Sirsa : नगर परिषद का बजट बढ़ता गया, रैकिंग गिरती गई, आधे से भी कम सफाई कर्मचारियों के कंधों पर शहर की जिम्मेदारी

Sirsa : नगर परिषद का बजट बढ़ता गया, रैकिंग गिरती गई, आधे से भी कम सफाई कर्मचारियों के कंधों पर शहर की जिम्मेदारी
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साल 2020 को छोड़कर पिछले पांच सालों में रैकिंग में सुधार नहीं हो पाया है। सफाई में लगे सरकारी कर्मचारी साल दर साल कम होते जा रहे हैं, वहीं बजट बढ़ता जा रहा है। पांच सालों में सिरसा शहर में मोटे अनुमान के मुताबिक सफाई पर 50 करोड़ से भी अधिक की धनराशि खर्च की जा चुकी है।

महाबीर गोदारा/सिरसा। शहर में सफाई के नाम पर हर साल मोटी रकम खर्च होने के बावजूद स्वच्छ सर्वेक्षण रैकिंग (Swachh Survekshan Ranking) में सुधार नहीं हो रहा है। पूरे शहर में सफाई व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए न केवल सरकारी अमला बल्कि निजी हाथों में भी सफाई का काम करवाया जा रहा है। इसके बावजूद रैकिंग साल दर साल गिरती जा रही है। साल 2020 को छोड़कर पिछले पांच सालों में रैकिंग में सुधार नहीं हो पाया है। सफाई में लगे सरकारी कर्मचारी साल दर साल कम होते जा रहे हैं, वहीं बजट बढ़ता जा रहा है। पांच सालों में सिरसा शहर में मोटे अनुमान के मुताबिक सफाई पर 50 करोड़ से भी अधिक की धनराशि खर्च की जा चुकी है।

नगर परिषद सिरसा के कार्यकारी अधिकारी संदीप मलिक का दावा है कि शहर को साफ-सुथरा रखने के लिए गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए जहां सरकारी सफाई कर्मचारी सफाई अभियान में योगदान दे रहे हैं, वहीं आधा शहर निजी कंपनी को दिया गया है। शहर में जहां गलियों व बाजारों में साफ-सफाई के लिए सरकारी कर्मचारी काम कर रहे हैं, वहीं घर-घर से कूड़ा उठाने के लिए निजी कंपनी को ठेका दिया गया है। निजी कंपनी के वाहन सुबह-सवेरे ही स्वच्छता की लहर चली के स्लोगन के साथ डोर टू डोर कूड़ा उठाने के लिए निकलते हैं।

नगर परिषद सिरसा में 2017-18 में सफाई पर 9 करोड़ 75 लाख रुपये खर्च किए गए, वहीं 2018-19 में यह खर्च बढक़र 11 करोड़ 22 लाख 10 हजार पहुंच गया। इसी प्रकार 2019-20 में 8 करोड़ 74 लाख 6 रुपये खर्च हुए तो इसी प्रकार 2020-21 में 7 करोड़ 18 लाख 72 हजार रुपये खर्च हुए। 2021-22 में सफाई पर सबसे अधिक धनराशि खर्च की गई। इस वित्तीय वर्ष में 12 करोड़ 76 लाख 16 हजार रुपये की राशि खर्च हुई। इसके अलावा सफाई से जुड़े दूसरे संसाधनों पर साल 2017-18 में 65 लाख 69 हजार 775 रुपये की राशि खर्च हुई। वहीं 2018-19 में 6 लाख 66 हजार 924 रुपये की राशि खर्च की गई, जबकि वित्तीय वर्ष 2019-20 में 44 हजार रुपये की राशि सफाई से जुड़े संसाधनों पर खर्च हुए। इसी प्रकार साल 2020-21 में 95 लाख 70 हजार रुपये जबकि 2021-22 में 93 लाख 91619 रुपये की राशि खर्च हुई।

नगर परिषद सिरसा में सफाई कर्मचारियों की 309 तथा व दरोगा के 9 पद स्वीकृत है जो कभी भी पूरी तरह से नहीं भरे गए। यही कारण रहा कि शहर में सफाई के मामले में रैकिंग पर सीधा-सीधा प्रभाव पड़ा। सिरसा नगर परिषद को टॉप-टेन तो दूर 100 में भी स्थान नहीं मिला। 2018 में सफाई कर्मचारियों के 102, 2019 में 112, 2020 में 128, 2021 में 137 तथा 2022 में 154 पद खाली रहे जो सफाई अभियान में एक बड़ा रोड़ा माना जा रहा है। अगर सफाई कर्मचारियों के कामों का बंटवारा कर निरीक्षण का काम कर रहे दरोगाओं की बात करें तो 2020 और 2021 में कोई सफाई दरोगा नगर परिषद सिरसा में नहीं रहा और 2018 व 2019 में केवल एक-एक सफाई दरोगा से काम चलना पड़ा। 2022 में 8 सफाई दरोगाओं की नियुक्ति हुई।

2020 में पहली बार सुधरी रैकिंग

नगर परिषद सिरसा में स्वच्छता को लेकर भारत सरकार द्वारा निकाली गई रैकिंग की बात करें तो 2020 में रैकिंग में सुधार देखने को मिला। इस बार पहले के मुकाबले 176 प्वाइंट के साथ रैकिंग सुधरी। 2021 में 236, 2019 में 270, 2018 में 291 व 2017 में रैकिंग 274 रही।

टॉप रेकिंग में स्थान मिलेगा

सफाई निरीक्षक पवन कुमार का कहना है कि हर बार रैकिंग में सुधार के लिए गंभीरता से प्रयास करते हैं और अगली बार उन्हें उम्मीद है कि जिस तरह शहर में सफाई व स्वच्छता पर काम किया गया है, उसके चलते इस बार नगर परिषद सिरसा को टॉप रेकिंग में स्थान मिलेगा।

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