चर्चा में हरियाणा का यह गांव : सरपंच चुनाव में हारे प्रत्याशी को ग्रामीणों ने दिए 75 लाख रुपये, 35 साल से चल रही परम्परा

हरिभूमि न्यूज : फतेहाबाद
हरियाणा पंचायत चुनावों के बाद जहां गांवाें में आपसी रंजिश को लेकर झगड़े होने के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं वहीं कुछ ऐसे भी गांव हैं जोकि भाईचारे की नई मिसाल लिख रहे हैं। हरियाणा के फतेहाबाद जिले में गांव नाढोडी में एक वोट से हारे प्रत्याशी को जहां ग्रामीणों द्वारा गत दिवस लाखों रुपये, कार व जमीन देकर सम्मानित किया गया था वहीं अब भट्टूकलां के गांव पीलीमंदौरी में भी ऐसा ही हुआ है। ग्रामीणों की मानें तो इस गांव में पिछले करीब 35 सालों से यह परम्परा चली आ रही है, जहां चुनाव में हारने वाले प्रत्याशी को हमेशा लाखों रुपये जुटाकर सम्मानित किया जाता है। मंगलवार को भी गांव में कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सरपंच पद के चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे हनुमान कुकना को पूरे गांव में 75 लाख रुपये की बड़ी राशि जुटाकर प्रोत्साहन के रूप में भेंट की गई। गांव की इस अनोखी परम्परा का आज जिलेभर में चर्चा रही।
जानकारी के अनुसार भट्टू खंड के गांव पीलीमंदौरी से सरपंच पद के चुनाव को लेकर धर्मबीर गोरछिया और हनुमान कुकणा के बीच मुकाबला था। इन चुनावों में धर्मबीर गोरछिया 200 मतों के अंतर से जीते थे। धर्मबीर के जहां 2131 वोट मिले वहीं हनुमान को 1931 वोट मिले थे। इसके बाद धर्मबीर समर्थकों ने जहां जीत का जश्न मनाया था वहीं हनुमान व उनके समर्थकों में निराशा था। गांव के बड़े बुजुगार्ें ने बताया कि 1988 से यह परंपरा चली आ रही है। भले ही कम वोटों से प्रत्याशी हारे या ज्यादा से, हारने वाले को इसी प्रकार सम्मानित किया जाता है।
उन्होंने कहा कि एक माह का चुनावी मेला जा चुका है लेकिन चुनाव के बाद गांव का प्रेम प्यार न बिगड़े, हारने वाले को द्वेष भावना न आए, वह हतोत्साहित न हो, इसलिए पूरा गांव अपनी भावनानुसार नगदी देता है और राशि इकट्ठी कर हारे उम्मीदवार को दी जाती है। आज हारे प्रत्याशी हनुमान कूकना को पूरे गांव में 75 लाख रुपये की बड़ी राशि जुटाकर प्रोत्साहन के रूप में भेंट की। कार्यक्रम में भारी संख्या में ग्रामीण जुटे और नोटों की मालाएं पहनाकर हनुमान कूकणा को सम्मानित किया। हनुमान कूकणा ने इस प्यार और समर्थन पर गांव का आभार जताया और कहा कि चुनाव में भी पूरा गांव उनके साथ था और आज भी तन, मन और धन से उनके साथ है, इससे ज्यादा वे कुछ नहीं कह सकते।
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