अपमानजनक टिप्पणी करने का केस : क्रिकेटर युवराज सिंह जांच में शामिल, वह फोन पुलिस को उपलब्ध करवाना होगा

युवराज सिंह के खिलाफ हांसी में एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज एफआइआर मामले में सुनवाई के दौरान पुलिस की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि युवराज सिंह ने जांच ज्वाइन कर ली लेकिन जिस फोन या आइ पेड के माध्यम से यह बातचीत हुई थी, वह अभी पुलिस को नहीं सौंपा गया। जिस कारण सही जांच नहीं हो सकती। पुलिस के इस जवाब पर हाई कोर्ट ने युवराज सिंह के वकील को फोन या आइ पेड पुलिस को उपलब्ध करवाने के आदेश देते हुए मामले की सुनवाई एक महीने के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले हांसी की एसपी नितिका गहलोत ने हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर मामले की स्टेटस रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंपी थी। जांच रिपोर्ट में कोर्ट को बताया गया कि जिस अपमानजनक शब्द का प्रयोग युवराज सिंह द्वारा किया गया है वह हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ में केंद्र के गजट के अनुसार एससी वर्ग से संबंधित है। पुलिस की ओर से बताया गया कि युवराज सिंह जांच में शामिल हो चुके हैं। अभी तक की जांच में एक सर्वे करवाया गया था कि युवराज द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द के क्या मायने हैं। स्थानीय लोगों के बीच से इस सर्वे से सामने आया कि यह शब्द अनुसूचित जाति के लोगों के लिए अपमानजनक शब्द के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही पुलिस ने दलील दी कि गूगल करने पर भी गूगल यह बताता है कि यह सब दलित वर्ग के लिए अपमानजनक टिप्पणी के रूप में इस्तेमाल होता है।
कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश को जारी रखते हुए एफआइआर पर अगले आदेशों तक किसी भी किस्म की कार्रवाई किए जाने पर रोक जारी रखी। ज्ञात रहे कि क्रिकेटर युवराज सिंह ने पिछले साल इंस्टाग्राम पर यजुवेंद्र चहल से वीडियो चैटिंग करते हुए दलित समाज के लिए अपमानजनक टिप्पणी की थी जिस पर हांसी थाना शहर में उसके खिलाफ अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार अधिनियम के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मुकदमे को खारिज कराने के लिए युवराज सिंह ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिस पर हाई कोर्ट ने हरियाणा पुलिस को युवराज सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने का आदेश दिया था।
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