प्राइवेट सेक्टर में 75 प्रतिशत आरक्षण का मामला : हाई कोर्ट में सभी पक्षों की सुनवाई, फैसला सुरक्षित

हरियाणा के लोगों को प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी हरियाणा सरकार (Haryana Government) के कानून के खिलाफ याचिका पर वीरवार को जस्टिस एजी मसीह व जस्टिस संदीप मौदगिल की बेंच ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। 17 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को आदेश दिया था कि वो इस मामले पर चार सप्ताह के भीतर निर्णय ले। पिछले एक सप्ताह से इस मामले में रोजाना सुनवाई हो रही थी।
पिछले सप्ताह जस्टिस अजय तिवारी की अध्यक्षता वाली पीठ ने बिना किसी कारण दिए इस मामले से अपने को अलग करते हुए यह याचिका चीफ जस्टिस को भेज दी थी। जस्टिस तिवारी ने चीफ जस्टिस से आग्रह किया था कि वे इस केस को सुनवाई के लिए उस पीठ को दें, जिसके सदस्य जस्टिस अजय तिवारी न हों। इसके बाद जस्टिस एजी मसीह व जस्टिस संदीप मौदगिल की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई शुरू की थी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार इस मामले पर 16 मार्च तक हाई कोर्ट ने फैसला लेना था। तीन फरवरी को जस्टिस तिवारी की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य में कानून के लागू करने पर पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर जस्टिस अजय तिवारी की पीठ पर यह आरोप लगाया था कि उनको सुने बगैर यह आदेश पारित किया गया है। 17 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण न देने पर कंपनियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई पर रोक लगाते हुए आरक्षण के रोक के आदेश को रद्द कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाई कोर्ट ने अंतरिम रोक के फैसले में कारण नहीं बताया। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को इस मामले में दोबारा सुनवाई कर चार सप्ताह में निपटारे का आदेश दिया था। इस पर दोबारा सुनवाई करते हुए जस्टिस तिवारी की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र से जब जवाब मांगा तो केंद्र ने कहा कि उसे इस मामले में जवाब देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह कानून राज्य का अपना कानून है।
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