लाखों रुपये की जमीन हड़पने के आरोप में बिल्डर सहित आठ पर केस, बैंक मैनेजर, तहसीलदार व पटवारी भी फंसे, पढ़ें पूरा मामला

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़
फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रजिस्ट्री करा लाखों रुपये की जमीन हड़पने का मामला सामने आया है। एक बिल्डर व उसके साथियों पर जमीन हड़पने व जान से मारने की धमकी देने का आरोप है। आर्थिक अपराध जांच शाखा की जांच के बाद अब सदर थाने में बिल्डर विपुल गर्ग, तत्कालीन तहसीलदार, तहसील कर्मी, बैंक शाखा प्रबंधक व पटवारी सहित आठ लोगों पर साजिश रचने, धोखाधड़ी और धमकी देने समेत छह धाराओं के तहत एफआईआर हुई है।
मातन गांव के निवासी बलवान का कहना है कि जाखोदा के निवासी रामकिशन के जरिए उसकी मुलाकात बिल्डर विपुल गर्ग से हुई थी। विपुल से 12 कनाल जमीन का सौदा 67 लाख रुपये में तय हुआ। गर्ग ने बतौर बयाना आठ लाख रुपये का चेक दिया। गत 12 अगस्त 2017 को चेक बाउंस हो गया। ये चेक बाउंस होना एक तरह से जमीन हड़पने का षड्यंत्र था, लेकिन वह समझ नहीं पाया। इसके बाद रामकिशन ने पुन: विपुल से संपर्क कराया और विश्वास दिलाया कि इस बार कोई गलती नहीं होगी। इसके बाद छह फरवरी 2018 को उन्होंने मुझे तहसील कार्यालय बहादुरगढ़ में बुलाया और एग्रीमेंट करा लिया गया। इस एग्रीमेंट के बाद उन लोगों ने दो लाख रुपये का चेक दिया। रजिस्ट्री के लिए एक महीने का समय दिया गया था। उसी दिन थोड़ी देर बाद विपुल गर्ग व रामकिशन आदि ने मिलीभगत कर उसे चाय-पानी के बहाने कोई नशीला पदार्थ खिला दिया। फिर उन्होंने कहा कि एग्रीमेंट में फोटो गलत हो गए हैं, दोबारा ठीक कराना होगा। इसके बाद वे नशे की हालत में उसे ले गए।
कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराए और फोटो भी उतरवा लिए। इसके बाद उसे घर छोड़ गए। उस वक्त वह उनके इरादों को भांप नहीं पाया। आठ फरवरी को दो लाख रुपये वाला चेक भी बाउंस हो गया, लेकिन विपुल ने आरटीजीएस के माध्यम से 16 फरवरी को दो लाख रुपये की रकम खाते में जमा करा दी। इसके बाद रजिस्ट्री कराने का समय आने पर भी विपुल ने उससे संपर्क नहीं किया। फिर मैंने अपने वकील को सारा मामला समझाया और गर्ग को लीगल नोेटिस भिजवाया। वर्ष 2020 में जब उसका लड़का आनंद जमीन की फर्द जमाबंदी लेने तहसील में गया तो पता चला कि हमारी 12 कनाल जमीन अमित लैंड कंसोलिडेशन कंपनी के नाम हो चुकी है। जबकि इस जमीन पर किसान के्रेडिट लोन चल रहा था। इसके बाद जब पूरा रिकार्ड चेक कराया तो पता चला कि इन लोगों ने जमीन हड़पने के लिए छह फरवरी 2018 को संदीप के नाम स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी बनवाई थी। उसी के आधार पर रजिस्ट्री कराई गई।
रजिस्ट्री के लेख पत्र में जमीन लोन मुक्त दर्शाई गई। इस जमीन पर लिए गए लोन की राशि आरटीजीएस के माध्यम से अमित लैंड कंसोलिडेशन द्वारा 24 अप्रैल 2019 व सात मई 2019 को चुका दी गई। गत 25 अक्टूबर को तहसीलदार व कर्मचारियों से मिलीभगत करके रजिस्ट्री करवाई और अमित लैंड कंसोलिडेशन के नाम से राजस्व रिकार्ड में दर्ज करा कब्जे में दिखा दी गई। जबकि इस जमीन पर आज भी वह काबिज है। इस संबंध में मांडोठी चौकी में शिकायत दी गई थी लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। जब उसने कानूनी कार्रवाई करनी चाही तो विपुल ने उसे व परिवार को जान से मारने की धमकी दी। मामला आर्थिक अपराध जांच शाखा में गया तो अब विपुल गर्ग, छारा के निवासी संदीप, तत्कालीन तहसीलदार, रोहतक के अशोका चौक स्थित एक्सिस बैंक के तत्कालीन मैनेजर, जाखोदा के निवासी रामकिशन, जसोरखेड़ी निवासी बलबीर, धर्मपाल और राहुल पटवारी आदि पर केस दर्ज हुआ है।
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