CBI कर्मचारी निकला पेपर सॉल्वर गैंग का मुख्य आरोपी, सोनीपत STF ने गिरफ्तार कर रिमांड पर भेजा, हुए ये खुलासे

हरिभूमि न्यूज. सोनीपत
पेपर सॉल्वर गैंग के मुख्य आरोपित सीबीआई कर्मी को एसटीएफ सोनीपत ने गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार आरोपित सोनीपत के गांव पिपली का रहने वाला दिशांत उर्फ रॉकी उर्फ ऑकी है। आरोपित सीबीआई के दिल्ली स्थित मुख्यालय में लोअर डिवीजन क्लर्क के पद नियुक्त था। आरोपित को सीबीआई की टीम जेईई मेंस का पेपर लीक करने के मामले में पहले गिरफ्तार कर चुकी थी और वह अब जमानत पर आया था। उसे अब एसटीएफ ने गिरफ्तार कर पांच दिन के रिमांड पर लिया है।
एसटीएफ सोनीपत प्रभारी इंस्पेक्टर सतीश देशवाल ने बताया कि पानीपत में दर्ज पेपर लीक मामले में दिशांत को उसके गांव पिपली से गिरफ्तार किया गया है। वह पेपर लीक गिरोह के मुख्य सरगना रोबिन का साथी है। वह लंबे समय से उसके साथ जुड़ा था। आरोपियों का जाल हरियाणा के साथ ही पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों में फैला है। इसे लेकर 6 अक्तूबर, 2021 को पानीपत के सेक्टर-13/17 में पानीपत के सुरक्षा शाखा प्रभारी प्रमोद के बयान पर मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले के आरोपित हैकिंग साफ्टवेयर का प्रयोग कर नौकरी लगवाने के नाम पर लोगों से पैसे लेते हैं। आरोपित वर्ष 2013 से अपना गिरोह चला रहे हैं।
इस मामले के सरगना दिल्ली पुलिस के सिपाही रोबिन को पुलिस पहले काबू कर चुकी है। दिशांत उसकी करीबी टीम में शामिल था। दिशांत से पहले इस मामले एसटीएफ 22 आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है। आरोपित कई विभागों की परीक्षा पास करवाने की एवज में तीन लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक लेते थे। पुलिस ने आरोपित दिशांत को अदालत में पेश कर पांच दिन के पुलिस रिमांड पर लिया है। जिससे उसके अन्य साथियों का पता लगाने के साथ ही मामले से जुड़े सभी साक्ष्य जुटाए जा सके।
स्क्रीन हैक कर सॉल्व कराते हैं पेपर
केंद्र सरकार व अन्य राज्यों द्वारा आयोजित सरकारी नौकरी की ऑनलाइन परीक्षा में आरोपित किराये पर लैब लेकर स्क्रीन हैक कर धांधली कराते हैं। ट्रस्ट बनाकर कॉलेज व स्कूलों की कंप्यूटर लैब किराये पर ली जाती थी। रैकेट की देशभर में 19 लैब हैं, जहां से पूरा धंधा चलाया जाता था। इनकी सोनीपत व पानीपत में कई लैब हैं।
वर्ष 2016 में सीबीआई में हुआ भर्ती
एसटीएफ के अनुसार आरोपित दिशांत वर्ष 2016 में सीबीआई में बतौर एलडीसी नियुक्त हुआ था। उसके बाद ही वह इस गिरोह से जुड़ गया। अब रिमांड के दौरान पता लगाया जाएगा कि इसने एलडीसी का टेस्ट उत्तीर्ण करने के लिए इस गिरोह की मदद तो नहीं ली थी। हालांकि एसटीएफ का कहना है कि यह रिमांड के दौरान पता किया जाएगा।
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