दुकानों पर बिक रहा नेशनल हाईवे में लगने वाला सीमेंट

दुकानों पर बिक रहा नेशनल हाईवे में लगने वाला सीमेंट
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निमार्णाधीन चल रहे नेशनल हाईवे 152डी में प्रयुक्त होने वाली सरकारी सीमेंट को अवैध तरीके से ले जा रहे आरोपी को काबू किया है। उसके कब्जे से 101 कट्टे जेके सुपर सींमेंट बरामद करके वारदात में प्रयुक्त सोनालिका ट्रैक्टर व ट्राली जब्त कर ली गई।

हरिभूमि न्यूज : कैथल

ढांड पुलिस द्वारा नई सब्जी मंडी करनाल रोड ढ़ांड के पास से नाकाबंदी के दौरान निमार्णाधीन चल रहे नेशनल हाईवे 152डी में प्रयुक्त होने वाली सरकारी सीमेंट को अवैध तरीके से ले जा रहे आरोपी को काबू किया है। उसके कब्जे से 101 कट्टे जेके सुपर सींमेंट बरामद करके वारदात में प्रयुक्त सोनालिका ट्रैक्टर व ट्राली जब्त कर ली गई। आरोपी से पुलिस द्वारा व्यापक पूछताछ करते हुए आगामी कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।

पुलिस अधीक्षक लोकेंद्र सिंह ने बताया कि थाना प्रबंधक ढांड सबइंस्पेक्टर जयभगवान की अगुवाई में एएसआई राजेंद्र सिंह, एचसी अजय प्रताप, एएसआई रमेश कुमार तथा सिपाही तरसेम की टीम सांयकालीन गश्त के दौरान नई सब्जी मंडी करनाल रोड ढांड के पास मौजूद थी। सहयोगी सूत्रों से पुलिस को गुप्त जानकारी मिली कि गांव चंदलाना निवासी भगवान दास अपने सोनालिका ट्रैक्टर-ट्राॅली में चंदलाना की तरफ से 2 नंबर की सीमेंट लेकर आ रहा है। पुलिस द्वारा सजगता का परिचय देकर की गई नाकाबंदी दौरान चंदलाना साईड से आए संदिग्ध सोनालिका ट्रैक्टर-ट्राॅली को रुकवा कर जांच की गई तो ट्राॅली में 101 कट्टे जेके सुपर सीमेंट मिली, जिन पर नॉट फॉर रिटेल सेल लिखा हुआ था। उनके बारे ट्रैक्टर चालक भगवान दास कोई बिल या दस्तावेज पेश नहीं कर सका। जांच के दौरान मौके पर पहुंचे ढांड पुलिस के सबइंस्पेक्टर राजकुमार द्वारा जब आरोपी से व्यापक पूछताछ की गई तो खुलाशा हुआ कि उक्त सीमेंट को आरोपी निमार्णाधीन एनएच 152डी के चंदलाना पुल नजदीक स्थित गोदाम से अवैध तरीके की मार्फत औने-पौने दाम में खरीद कर लाया है, जिसे वह आगे कहीं बेचने की नीयत से ले जा रहा था।

नेशनल हाईवे निर्माण कार्य पर उठे सवाल

जिस प्रकार से नेशनल हाईवे निर्माण में प्रयुक्त होने वाला सीमेंट मार्केट में सरेआम बिक रहा है, इससे नेशनल हाईवे निर्माण कार्य पर सवालिया निशान लग गया है। नेशनल हाईवे निर्माण कार्य करीब छह माह से भी अधिक समय से जारी है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि यह गोरखधंधा पिछले लंबे समय से जारी हो। बिना अधिकारियों की मिलीभगत के सीमेंट आम आदमी तक कैसे पहुंचा, यह एक गंभीर विषय है। यदि मामले की निष्पक्षता से जांच करवाई जाए तो यह बड़ा खुलासा हो सकता है।

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