चेहरे का रंग बदलना, पलकों में सूजन, दांत हिलना, मतलब ब्लैक फंगस का अटैक

चेहरे का रंग बदलना, पलकों में सूजन, दांत हिलना, मतलब ब्लैक फंगस का अटैक
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यह कहना पीजीआईएमएस में ईएनटी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आदित्य भार्गव कहना है कि स्वस्थ और मजबूत इम्यूनिटी वाले लोगों पर यह अटैक नहीं कर पाता है, परंतु दूसरी गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों, डायबीटीज के मरीज, कैंसर के उपचाराधीन मरीज और ट्रांसप्लांट करवाने वाले व्यक्तियों को ब्लैक फंगस से संक्रमित होने का खतरा रहता है।

रोहतक : ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस एक फंगल इन्फेक्शन है, जो आमतौर पर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से ग्रसित लोगों की पर्यावरणीय रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता को कम कर देता है। ब्लैक फंगस के संक्रमण के संकेत या चेतावनी मिल जाती है। यदि आपको नाक में दिक्कत महसूस हो रही हो, अगर सिरदर्द हो, चेहरे के एक हिस्से में दर्द महसूस हो या उस हिस्से पर सूजन आ जाए, चेहरा सुन्न पड़ रहा हो, चेहरे का रंग बदल रहा हो, पलकों पर सूजन हो या दांत हिलने लगे हों तो इसे ब्लैक फंगस का हमला समझें। यह नाक या मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। दूसरे चरण में यह आंख को प्रभावित करता है और तीसरे चरण में यह दिमाग पर हमला करता है। यह कहना पीजीआईएमएस में ईएनटी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आदित्य भार्गव का।

कमजोर इम्येनिटी वालों पर अटैक: इलाज के लिए चार से छह सप्ताह तक दवाइयां लेनी पड़ती हैं और गंभीर मामलों में तीन महीने तक इलाज चलता है। ब्लैक फंगस वातावरण में मौजूद है। खासकर मिट्टी में इसकी मौजूदगी ज्यादा होती है। स्वस्थ और मजबूत इम्यूनिटी वाले लोगों पर यह अटैक नहीं कर पाता है, परंतु दूसरी गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों, डायबीटीज के मरीज, कैंसर के उपचाराधीन मरीज और ट्रांसप्लांट करवाने वाले व्यक्तियों को ब्लैक फंगस से संक्रमित होने का खतरा रहता है।

आंख या नाक के पास लाल निशान दिख सकते हैं

स्टेरॉयड के अधिक इस्तेमाल से इम्यूनिटी कमजोर होने या अधिक समय तक आईसीयू में रहने वाले मरीज भी फंगल इंफेक्शन के लिए संवेदनशील होते हैं। ब्लैक फंगस सेे ग्रस्त लोगों के आंख या नाक के पास लाल निशान दिख सकते हैं या दर्द हो सकता है। इसके अलावा बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, खून की उल्टी और मानसिक संतुलन में बदलाव जैसे लक्षण हो सकते हैं।

कोविड से उभरने के बाद ये ध्यान रखें :  हाइपर ग्लाइकेमिया को नियंत्रण में रखें। डायबिटीज से ग्रस्त लोग यदि कोविड संक्रमित होते हैं तो वह डिस्चार्ज होने के बाद ब्लड ग्लूकोज स्तर पर नजर रखें। स्टेरॉयड का इस्तेमाल सावधानीपूर्वक किया जाए। ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान साफ और स्टेराइल वाटर का इस्तेमाल किया जाए। एंटीबॉयटिक और एंटी फंगल दवाओं का इस्तेमाल विवेकपूर्ण तरीके से किया जाए। वहीं लोगों को सलाह दी गई है कि लक्षणों को नजरअंदाज न करें। नाक बंद होने के सभी मामलों को बैक्टीरियल संक्रमण के संकेत न समझें, विशेषकर कोरोना मरीजों में। जांच कराने से न हिचकें और इसके इलाज में देरी न करें।

फेफड़े पर संक्रमण होने की स्थिति

अगर ब्लैक फंगस ने आपके फेफड़े पर आक्रमण कर दिया है तो आपको बुखार, सांस लेने में दिक्कत, खांसी, खांसी मेेंं खून आना, सीने में दर्द व धुंधला दिखना शुरू हो जाता है। आमतौर में मरीज में यह लक्षण दिखाई देते है। वहीं ब्लैक फंगस के बारे में कुछ अफवाहें हैं, जिन पर ध्यान न दें।

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