लोगों की बदल रही सोच : घोड़ी पर बैठी दुल्हन, पिता बोला, बेटा-बेटी एक समान

रेवाड़ी। जिस हरियाणा को पुरुष प्रधान सोच से जाना जाता है, अब वहां लोगों की सोच बदल रही है। विवाह में जो रस्म बेटे के दूल्हा बनने पर निभाई जाती रही है, उसी रस्म को बेटी की शादी में निभाया जा रहा है। जिले के गांव बूड़ौली में घोड़ी पर दूल्हे की तरह सजी-धजी बैठी बेटी अलका धनखड़ का बनवारा जब गांव की गलियों से गुजरा तो ग्रामीण भी घर से बाहर निकल कर मंगल गीत गाते हुए बेटी को दूध पिला कर आशीर्वाद दे रहे थे।
गांव के सुबेदार राजसिंह धनखड़ ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश देते हुए इस बात को साबित किया हैं कि म्हारी बेटियां बेटों से कम सैं के। उन्होंने अपनी बेटी का बनवारा घोड़ी पर बैठाकर बैंड बाजे के साथ निकाला। इस दौरान परिवार वालों ने खूब नाच गाकर खुशियां मनाई। इस परिवार ने बेटियों के प्रति लोगों की सोच बदलने वाला संदेश देकर एक अनूठा उदाहरण पेश कर दिया है।
अलका के पिता राजसिंह ने कहा कि आज बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से पीछे नहीं है तो हमें भी अब अपने पुराने रीति-रिवाजों में कुछ बदलाव करते हुए उन्हें समाज में आगे बढ़ने का पूरा अवसर देना चाहिए। बनवारा उसके भाई अमित कुमार नंबरदार ने दिया था। अमित ने बताया कि अलका ने जयपुर राजस्थान से वनस्पति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट किया हुआ है। इस मौके पर लड़की के ताऊ करतार सिंह धनखड सहित समस्त परिवार व ग्रामीण मौजूद रहे।
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