Charkhi Dadri : कपास के खेतों के समक्ष बनछटी डाली तो होगा गुलाबी सुंडी का प्रकोप

Charkhi Dadri : जिन किसानों की नरमा फसल के आसपास पिछले साल की कपास की बनछंटियां रखी हुई हैं या उनके खेतों के नजदीक कपास (Cotton) की जिनिंग मिल या तेल निकालने वाली मिल लगी हुई है तो उनको अपनी कपास की फसल पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है।
कृषि विशेषज्ञ डॉ. चंद्रभान श्योराण ने बताया कि इन खेतों में गुलाबी सुंडी का प्रकोप पहले से ही पाया जाता है। गुलाबी सुंडी अधखिले टिंडों में कपास के दो बीजों (बिनौले) को जोड़कर भंडारित लकड़ियों में निवास करती है। इसलिए बनछंटियों का प्रबंधन कपास की फसल में बौकी, डोडी निकलने से पहले ही करें। कपास की बनछंटियों से टिंडे और पत्ते झाड़कर नष्ट कर दें। फसल की शुरुआती अवस्था में गुलाबी सुंडी से प्रभावित नीचे गिरी हुई बौकी, डोडी व पौधों पर लगे रोजेटेड फूल (गुलाबनुमा ) को एकत्रित कर नष्ट कर दें। अपने खेतों में लगी फसल के 40 से 45 दिनों की होने पर गुलाबी सुंडी से बचाव के लिए लगातार निगरानी करें। फसल की बिजाई होने के 35-40 दिन बाद गुलाबी सुंडी के 2 फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ लगा दें। इनमे फंसने वाले गुलाबी सुंडी के पतंगों (मोथ) को तीन दिनों के अंतराल पर गिनते रहें।
उन्होंने बताया कि जून से मध्य अगस्त तक इनमें कुल 12 से 15 पतंगे प्रति ट्रैप तीन दिन में आते हैं। फसल में बौकी, डोडी आ गई है तो कीटनाशक के छिड़काव की जरूरत पड़ती है। इसके लिए पहला छिड़काव नीम आधारित कीटनाशक की 5 मिली लीटर मात्रा प्रति लीटर पानी के हिसाब से करें। फसल 60 दिन की हो जाने के बाद प्रोफेनोफोस 50 ईसी की 3 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर दूसरा छिड़काव करें। कपास की शुरुआती अवस्था में ज्यादा जहरीले कीटनाशकों का प्रयोग ना करें। ऐसा करने से हमारे मित्र कीटों की संख्या कम हो जाती है तथा नुकसानदायक कीटों की संख्या बढ़ने लगती है। किसान फसल प्रबंधन के लिए अपने क्षेत्र के कृषि विकास अधिकारी से भी संपर्क कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें - Sirsa : फीस जमा करवाने का झांसा देकर 24.50 लाख ठगे
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS