चौधर का चस्का : सरपंच बनने के लिए 21 लाख रुपये से शुरू हुई बोली 2 करोड़ तक जा पहुंची

चौधर का चस्का : सरपंच बनने के लिए 21 लाख रुपये से शुरू हुई बोली 2 करोड़ तक जा पहुंची
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सरेआम सरपंची के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने की घोषणा से गांव के पढ़े लिखे व युवा वर्ग काफी हैरत में हैं। उनका मानना है कि जो व्यक्ति इतने पैसे लगाकर सरपंच का पद प्राप्त करेगा, क्या वह सरकार की ग्रांट में भ्रष्टाचार नहीं करेगा।

हरिभूमि न्यूज : फतेहाबाद

गांव की सरपंची को लेकर अब रईसजादों ने मजाक बनाकर रख दिया है। बिना जनाधार के लोग जो गांव से सरपंच नहीं चुने जा सकते, उन्होंने पैसे के दम पर गांव की चौधर लेने का नया रास्ता इजाद किया है। हालांकि उन्होंने इसके लिए विकास का सहारा लिया है। ऐसा ही वाक्या फतेहाबाद के गांव ढिंगसरा में सामने आया है। यहां तीन लोगों ने अलग-अलग समय में सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल कर विकास कार्यों के लिए 21 लाख से 2 करोड़ रुपये देने की घोषणा की है।

भट्टूकलां का ढिंगसरा गांव जाट बहुल गांव है। पंचायती चुनावों की घोषणा के साथ ही गांव में सरपंच को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई। ऐसे में सबसे पहले गांव के अजयपाल जाखड़ ने अपना वीडियो वायरल कर घोषणा करते हुए कहा कि गांव में सर्वसम्मति से सरपंच बनने पर सरकार द्वारा विकास कार्यों के लिए 11 लाख रुपये दिए जाते हैं। ऐसे में गांववासी उन्हें सर्वसम्मति से सरपंच चुनते हैं तो वे अपनी तरफ से विकास कार्यों के लिए 21 लाख रुपये खर्च करेंगे। अगर कोई मुझसे ज्यादा पैसे लगाता है तो वे उसका समर्थन करेंगे। इस वीडियो के वायरल होने के बाद गांव में सरपंची के चाहवान लोग खुलकर बोली लगाने लगे।

दूसरे नंबर पर गांव के प्रीतपाल डूडी ने सोशल मीडिया पर अपना वीडियो डाला। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें निर्विरोध सरपंच चुना जाता है तो वे गांव के विकास पर 51 लाख रुपये खर्च करेंगे। अभी इसकी चर्चा थमी नहीं थी कि सोमवार को गांव के तीसरे सरपंची के चाहवान जय सिंह तरड़ ने भी अपना वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दिया। जय सिंह तरड़ ने कहा कि अगर गांववासी उन्हें सर्वसम्मति से गांव का सरपंच चुनते हैं तो वे गांव के विकास पर 2 करोड़ रुपये खर्च करेंगे। 21 लाख से शुरू होकर बोली के 2 करोड़ तक पहुंचने से गांववाले भी हैरान है।

सरेआम सरपंची के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने की घोषणा से गांव के पढ़े लिखे व युवा वर्ग काफी हैरत में हैं। उनका मानना है कि जो व्यक्ति इतने पैसे लगाकर सरपंच का पद प्राप्त करेगा, क्या वह सरकार की ग्रांट में भ्रष्टाचार नहीं करेगा। अगर चुनावों में ऐसे ही पैसों का इस्तेमाल होता रहा है तो आम आदमी कभी सरपंची का चुनाव नहीं लड़ जाएगा। सरकार को ऐसे रईसजादों पर कार्रवाई करनी चाहिए। इस बारे जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त जगदीश शर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि गांववासियों को सर्वसम्मति से अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार है लेकिन किसी व्यक्ति विशेष द्वारा लोभ-लालच देकर सरपंची हथियाने का प्रयास करना लोकतंत्र के लिए खतरा है। ऐसे मामलों में कानून अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

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