बच्चों की तस्करी नहीं थम रही : रोजाना पलक झपकते गायब हो जाते हैं एक दर्जन से ज्यादा बच्चे

ओ.पी. पाल : रोहतक
प्रदेश में बच्चे सुरक्षित नहीं है, यह बच्चों की तस्करी, लापता या अपहरण जैसे अपराधों का बढ़ता ग्राफ गवाही दे रहा है। प्रदेश में हर दिन कम से कम एक दर्जन बच्चे पलक झपकते ही गायब हो जाते हैं, जिन्हें गलत काम के लिए ऐसे अपराधों का शिकार बनाया जा रहा है। सबसे भयावह हालात ये हैं कि लापता या तस्करी के शिकार बच्चों में लड़कों से ज्यादा लड़कियां हैं। प्रदेश में पिछले तीन साल में बच्चों के गायब होने या अपहरण के दर्ज किये गये 14 हजार से ज्यादा मामले बच्चों की सुरक्षा को लेकर बनाए गये कानूनों के झोल की ओर इशारा करते हैं, इनमें 63 मामले बाल तस्करी के भी शामिल हैं।
यह आलम तब है जब बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर पिछले दिनों संबन्धित कानूनों को सख्त बनाया जा चुका है। बच्चों के प्रति बढ़ते अपराधों के चौंकाने वाले आंकडों के बीच पांच माह पहले ही हरियाणा में बच्चों के संरक्षण के लिए काम करने वाली बाल कल्याण समिति, बचपन बचाओं आंदोलन जैसी संस्थाओं और पुलिस ने लापता या तस्करी के जाल में फंसे दस हजार से भी ज्यादा बच्चों को बरामद किया है।
नाबालिग बच्चियों के लापता होने से चिंता
हरियाणा में सबसे चिंताजनक पहलू ये है कि प्रदेश में अपहरण की शिकार बालिकाएं हो रही है, जिसके लिए उन्हें बेचा जा रहा है। प्रदेश में बच्चों की तस्करी, अपहरण की घटनाओं के आंकड़े इस बात की भी गवाही दे रहे हैं कि बच्चों का अपहरण हत्या, फिरौती वसूलने, मानव तस्करी, वैश्यावृत्ति, यौन अपराध, भीख मंगवाने, जबरन नाबालिग लड़कियों से शादी करने जैसे गैर कानूनी कामों के लिए किये जा रहे हैं। हरियाणा में बाल तस्करी के मामलों की जांच में पुलिस भी पुष्टि कर चुकी है कि 23 नाबालिक लड़की और तीन बच्चों की मानव तस्करी ज्यादातर देह व्यापार में धकेलने इरादे से की गई।
अधर में तस्करी प्रकोष्ठ
सरकार बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर पिछले दिनों संबन्धित कानूनों को सख्त बना चुकी है, लेकिन इसके बावजूद यौन शोषण पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। केंद्र सरकार राज्यों कमो एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल की स्थापना करने के भी निर्देश दे चुकी है, लेकिन हरियाणा में अभी तक इस सेल की स्थापना नहीं हुई।
त्वरित कार्रवाई की जरूरत
हरियाणा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग बच्चों को न्याय दिलाने के लिए जिस प्रकार से कार्य कर रहा है, उसके लिए उसे देश का प्रथम पुरस्कार भी मिल चुका है। आयोग का कार्य तस्करी, अपहरण या लापता हुए बच्चों के अलावा बच्चों के खिलाफ अपराधों को लेकर पुलिस या अन्य एजेंसी द्वारा की जाने वाली कार्रवाई की सतर्कता के साथ निगरानी करता है। लेकिन यदि तस्करी या अपहरण या अन्य तरीके से लापता किसी बच्चें या लड़की का पता लगता है तो पुलिस उस मामले को गुमशुदगी में दर्ज कर लेती है जो गलत है। वहीं सुराग मिलने पर बच्चों को बरामद करने के लिए त्वरित संसाधनों का इस्तेमाल नहीं करती, जिसकी वजह से बच्चों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है। - ज्योति बैंदा, चेयरमैन, राज्य बाल अधिकारी संरक्षण आयोग, हरियाणा
बच्चों की सुरक्षा महत्वपूर्ण
हरियाणा में लापता बच्चों को रिकवर करने का आंकड़ा ठीक है। पुलिस के लिए एक-एक बच्चा महत्वपूर्ण है, जिसकी सुरक्षा के लिए पुलिस की टीमें निर्धारित की जाती हैं, जो बच्चों के संरक्षण के लिए काम करने वाली एजेंसियों के साथ मिलकर काम करती हैं। पुलिस को बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में बच्चों को सुरक्षित बरामद करने में सफलता भी मिल रही और अपराधियों की भी धरपकड़ हो रही है। फिर भी यदि एक भी बच्चा गायब होता है तो उसे बरामद करने के लिए पुलिस कोई भी कोर कसर नहीं रख रही। - संदीप खिरवार, एडीजी(कानून व्यवस्था)
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS