बाल विकास विभाग के अधिकारी सुस्त : दत्तक ग्रहण एजेंसी तक नहीं पहुंच रहे कोरोना से अनाथ हुए बच्चे

बाल विकास विभाग के अधिकारी सुस्त : दत्तक ग्रहण एजेंसी तक नहीं पहुंच रहे कोरोना से अनाथ हुए बच्चे
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बच्चों को गोद लेने के लिए अभिभावकों को लड़की के लिए करीब डेढ़ से दो साल तथा लड़के लिए करीब तीन साल का इंतजार करना पड़ रहा है।

सूरज सहारण. कैथल

केंद्र व प्रदेश सरकार निराश्रित बच्चों और महिलाओं को ऊपर उठाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है लेकिन इसके बावजूद आज भी प्रदेश के हजारों बच्चे इन योजनाओं के लाभ से महरूम हैं। इसमें कमी विभाग की नहीं बल्कि अधिकारियों व कर्मचारियों की है जो इसे लेकर जन जागरूकता अभियान चलाने की बजाय अपने कार्यालयों में आराम फरमा रहे हैं। यह हम नहीं बल्कि प्रदेश में चलाए जा रहे दत्तक ग्रहण एजेंसियों के आंकड़े कह रहे हैं। जून माह में प्रदेश में करीब 3000 ऐसे बच्चों की पहचान की गई थी जिनके अभिभावकों की कोरोना के कारण मौत हो गई थी। इनमें से 1500 तो ऐसे थे जिनकी मां व पिता दोनों की मौत हो गई। बचपन में जिन बच्चों के सिर से मां-बाप का साया उठ जाए उनका पालन-पोषण किस तरह से होता है यह एक अनाथ बच्चा ही समझ सकता है।

अभिभावकों को करना पड़ रहा इंतजार

विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी से बच्चा गोद लेने वाले अभिभावकों को बच्चे के लिए सालों इंतजार करना पड़ रहा है। वर्तमान में लड़की के लिए करीब डेढ़ से दो साल तथा लड़के लिए करीब तीन साल का इंतजार करना पड़ रहा है। वेंटिंग की लिस्ट अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है।

विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी को सौपे जा सकते हैं बच्चे

महिला एवं बाल विकास विभाग ने जहां इन बच्चों के लिए पेंशन का प्रावधान किया था तो वहीं विभाग द्वारा प्रदेश में आठ विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी भी चलाई जा रही हैं जहां अनाथ या अपनी मर्जी से बच्चों को डोनेट किया जा सकता है। इन एजेंसियों में बच्चों का सही ढंग से पालन- पोषण किया जाता है तथा सेंट्रल रिसोर्सिंज एडोप्शन एथोरिटी के ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से ऐसे अभिभावकों को सौंपा जाता है जिनको बच्चों की जरूरत होती है या इनमें से अधिकतर संतान विहीन होते हैं। दत्तक का यह कार्य न्यायालय के माध्यम से होता है। इससे जहां बच्चों को अभिभावक मिल जाते हैं तो वहीं अभिभावकों को भी संतान या वारिस मिल जाते हैं।

विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी के बारे में जागरूक नहीं ग्रामीण

कोरोना का कहर शहरों व कस्बों के साथ-साथ गांवों तक भी रहा। भले ही बड़े शहरों में जनता को विशेष दत्तक ग्रहण एजेसी का पता हो लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्र के अधिकतर लोग विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी से अनभिज्ञ हैं। अधिकतर महिला एवं बाल विकास विभाग के कर्मचारी अपनी डयूटी का निर्वहन सही ढंग से नहीं कर रहे हैं।

यूं होता है विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी का कार्य

विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से पंजीकृत होती हैं। इनमें जन्म से छह माह तक के बच्चों को रखा व आश्रय दिया जाता है। यदि कोई भी अभिभावक अपने बच्चों के पालन पोषण में असमर्थ है तो वह अपने बच्चों को एजेंसी में दान कर सकता है या फिर कुछ समय पालन पोषण के लिए भी छोड़ सकता है। इसके अलावा समाज द्वारा छोड़े गए अनाथ या जन्म देकर फेंके जाने वाले बच्चों को भी इन्हीं विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी में पाला जाता है। यहां रहने वाले सभी बच्चे ऑनलाइन पोर्टल पर होते हैं। जिन अभिभावकों के यहां बच्चे नहीं होते या फिर जो बच्चे गोद लेना चाहते हैं तो वे विभागीय नियमानुसार अपना पंजीकरण पोर्टल पर करवाते हुए इन एजेंसियों से न्यायालय के माध्यम से बच्चा गोद ले सकते हैं।

बच्चों और महिलाओं के विकास के लिए विभाग सजग : कमलेश ढांडा

महिला एवं बाल विकास मंत्री कमलेश ढांडा ने बताया कि विभाग बच्चों और महिलाओं के विकास के लिए पूरी तरह से सजग है। कोरोना में बेसहारा हुए बच्चों की पहचान कर ली गई है तथा उन्हें योजनाओं का लाभ दिलाया जा रहा है। विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी के बारे में विशेष जागरूकता अभियान चलाया जाएगा तथा इसमें लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कड़ा संज्ञान लिया जाएगा।

विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी का नाम कुल बच्चे दत्तक के लिए बच्चे

विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी हांसी-हिसार 28 19

हरियाणा बाल कल्याण परिषद चंडीगढ 35 14

विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी बहादुरगढ़ 04 02

माइरेकल चैरीटेबल सोसायटी फरीदाबाद 65 22

बाल उपवन आश्रम विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी कैथल 09 02

विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी रिवाडी 07 00

शिशु गृह बाल ग्राम राई 42 22

शैशव कुंज हिसार 02 02

बच्चों का आंकड़ा सीएआरए की वैबसाइट से लिया गया है।


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