फर्जी आरसी घोटाले में आलाधिकारियों को क्लीनचिट, अपने स्तर पर सांठगांठ कर गिरोह चला रहे थे आरोपित

फर्जी आरसी घोटाले में आलाधिकारियों को क्लीनचिट, अपने स्तर पर सांठगांठ कर गिरोह चला रहे थे आरोपित
X
आरसी जारी के करने की एवज में हर गाड़ी के साथ कीमत के अनुसार अलग से रुपये लिए जाते थे। गिरोह से संबंधित ज्यादातर आरोपित गिरफ्तार हो चुके हैं, जो इस समय जेल में बंद हैं ।

विजय अहलावत : रोहतक

फर्जी आरसी घोटाले में एसटीएफ (STF) ने अब तक की जांच के बाद अधिकारियों को क्लीनचिट दी है। एसटीएफ का कहना है कि आरोपितों ने एसडीएम कार्यालय (SDM Office) के आपरेटर, क्लर्क से सांठगांठ कर अपने स्तर पर ही कारनामे को अंजाम दिया है। सम्बंधित विभाग का कोई आलाधिकारी(Officer) इसमें अभी तक संलिप्त नहीं पाया गया।

एसटीफ द्वारा अधिकारियों से भी पूछताछ की गई है। हालांकि उनकी नांक के नीचे बड़े ही गुपचुप ढंग से गैर कानूनी कार्य चल रहा था। पुलिस ने आरोपितों काे अलग अलग रूम में बैठा कर भी पूछताछ की ताकि वह किसी को बचा न सकें। इसके बाद चालान कोर्ट में पेश किया गया। अभी इस मामले में 7 और आरोपितों की गिरफ्तारी होनी हैं। उनसे पूछताछ में कोई नया खुलासा हो सकता है।

बैंकों से लोन करवाया गया

गाड़ी की फाइल चोरी करके, सबूत मिटाकर अलग अलग कंपनियों से वाहन बीमा करवाने के बाद फर्जी आरसी के माध्यम से बैंकों द्वारा लोन कराए जाते थे। खरीददार को बिना रकम दिए गाड़ी मिल जाती थी और बेचने वाले बैंक से लोन वाले रुपये हजम कर जाते थे। इसके अलावा कई लोगों को झूठ बोल कर भी गाड़ी बेची गई। अब तक 55 से ज्यादा गाड़ी बरामद हो चुकी है।

ऐसे हुआ था खुलासा

एसटीएफ ने तीन जून को चरखी दादरी से प्रवीण नाम के आरोपित को स्कॉर्पियो के साथ पकड़ा। गाड़ी की फर्जी तरीके से आरसी बनवाई गई थी। इसके बाद महम एसडीएम कार्यालय के कर्मचारी रेवेन्यू कालोनी निवासी अनिल कुमार, कर्मचारी कृष्ण कुमार, ऑपरेटर सोमबीर और टाइपिस्ट रमेश गिरफ्तार किए गए। गिरोह के मुख्य आरोपित महम निवासी अमित और सीसरखास गांव निवासी रमेश है। इन दोनों आरोपितों ने जून में चंडीगढ़ पुलिस के पास 17 लग्जरी गाड़ियों के साथ सरेंडर कर दिया था। पूछताछ में सामने आया है कि ऑफिस के बाहर टाइपिंग का काम करने वाले रमेश का ऑफिस में आना जाना था। जो ऑफिस के कर्मचारियों को पैसे का लालच देकर रमेश निवासी सीसर, अमित निवासी महम द्वारा लाई गई गाड़ियों के कागजात तैयार करने में भूमिका निभाता था। जांच में सामने आया है कि कंप्यूटर ऑपरेटर को अमित कुमार, प्रवीन निवासी दादरी, रमेश सीसर, सोमबीर वासी घसोला, धर्मबीर दादरी, सूबे निवासी बालसमन्द जिला हिसार, जसवंत निवासी सिसर, रमेश कुमार व इनके 6-7 अन्य साथी रुपयों का लालच देकर चोरी की गाड़ियों के फर्जी दस्तावेज तैयार कराते थे।

किसी भी बड़े अधिकारी की संलिप्तता नहीं

मामले की एसटीएफ द्वारा गहनता से जांच पड़ताल की जा रही है। जिसमें आठ आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। अभी तक की जांच में किसी बड़े अधिकारी की संलिप्तता नहीं मिली है। कर्मचारी अन्य लोगों के साथ मिलकर अपने स्तर पर ही गिरोह चला रहे थे। - बी. सतीश बालन, डीआईजी एसटीएफ

Tags

Next Story