मनरेगा योजना में अटकी माइनरों की सफाई, किसान खुद बना रहे है पानी के लिए राह

भिवानी। आए दिन नेता व राजनेता किसानों के हितैषी होने का दावा करते है। पर हकीकत जानकर हर किसी की हैरानगी होगी। नहर व माइनरों की सफाई न होने की वजह से माइनरों के अंतिम छोर पर पानी नहीं पहुंच पा रहा है। सफाई न होने के चलते किसान अपने आप ही चलते पानी में नहर व माइनरों की जुगाड़ के जरिए पानी लाने का प्रयास कर रहे है। किसान झाड़ियों को रस्सी में बांधकर उस पर मिट्टी का बैग रखकर पानी में खींच रहे हैं। ताकि माइनर में जो घास उगा है व झाड़ियों के जरिए पानी के बहाव की तरफ झुक सके और पानी अंतिम छोर तक पहुंच सके। यह स्थिति किसी एक माइनर या नहर की नहीं है,बल्कि जिले की अधिकांश नहर व माइनरों की यही स्थिति बनी है,जबकि सरकार व अधिकारी नहर व माइनरों की सफाई मुक्कमल कराए जाने का दावा ठोक रहे है। यह हालत सुंदर ब्रांच से निकलने वाले माइनरों की है।
वैसे तो सफाई के मामले में जिले की नहर व माइनरों की स्थिति बेहद पतली बनी है,लेकिन खानक व सीपर माइनर की स्थिति बेहद खराब है। इन माइनरों में पीछे से तो पानी पूरा छोड़ा गया है,लेकिन आगे सफाई न होने की वजह से पानी नहीं पहुंच पा रहा है। किसानों ने अपने खेतों की सिंचाई करने व अंतिम छोर तक पानी पहुंचाने के लिए खुद सफाई का बीड़ा उठाया है। उक्त दोनों माइनरों में पानी के बीच में ही किसानों ने साफ करना शुरू कर दिया। क्योंकि माइनरों में झाड़ उगने व शिल्ट न निकलने की वजह से पानी अंतिम छोर तक नहीं पहुंच पा रहा है। ऐसे में इन दोनों माइनरों के किसानों ने पानी में माइनर में उतर कर घास काटा और शिल्ट निकाली। ताकि अंतिम छोर तक पानी पहुंचाया जा सके। उक्त इलाके के किसान यह कार्य पिछले एक सप्ताह से करने में जुटे है। खुद किसान माइनरों की सफाई में जुटे है।
सिचाई विभाग या पंचायत की ढिलाई, किसानों को परेशानी
रबी की फसल का मौसम सर पर आ गया है। किसानों को अपनी फसल की बुआई के लिए पानी चाहिए, पानी सरकार ने नहरों में छोड़ा भी है ,लेकिन उसका फायदा किसानों को नहीं मिल पा रहा है, उसका कारण है कि सिंचाई विभाग ने समय पर नहरों की सफाई नही, करवाई है। सफाई नहीं हुई तो किसानों का प्रर्याप्त पानी उपलब्ध नहीे हो पा रहा है,क्योंकि गंदगी से अटी नहरों के कारण पानी कम मात्रा में ही पहुंच पा रहा है। बताया जा रहा है कि सिंचाई विभाग मनरेगा के मजदूरों से इसकी सफाई करवाता है उसके लिए पंचायतों से मजदूरों के नाम की लिस्ट मांगी जाती है,लेकिन इस बार या तो सिंचाई विभाग समय पर हरकत में नहीं आया या फिर पंचायतों ने समय पर नाम की लिस्ट नहीे भेजी । फिलहाल खामियाजा किसानों को ही भुगतना पड़ रहा है। यहां यह बताते चले कि अगर इस वक्त खेतों की सिंचाई नहीं हो पाती तो किसानों के खेतों में रबी की फसलों की बिजाई नहीं हो पाएगी।
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