स्वच्छता रैंकिंग : सफाई की वास्तविकता सरकारी आंकड़ों के विपरीत, इंटरनेट मीडिया पर लोगों ने उठाए सवाल

स्वच्छता रैंकिंग :  सफाई की वास्तविकता सरकारी आंकड़ों के विपरीत, इंटरनेट मीडिया पर लोगों ने उठाए सवाल
X
आंकड़ों में बहादुरगढ़ के रैंक में जबरदस्त उछाल आया है। जबकि असल में धरातल पर सफाई में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। शहर में अब भी जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं।

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़

स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 के नतीजे घोषित हो गए हैं। आंकड़ों में बहादुरगढ़ के रैंक में जबरदस्त उछाल आया है। जबकि असल में धरातल पर सफाई में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। शहर में अब भी जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं। कुल 6 हजार अंकों में से बहादुरगढ़ का स्कोर 3066.41 रहा। केंद्र सरकार द्वारा जारी स्वच्छता सर्वेक्षण के आंकड़ों में इस बार बहादुरगढ़ नगरपरिषद का रैंक देशभर में 120वां रहा, जबकि पिछले साल 216वां रैंक था।

सरकारी आंकड़ों में बेशक बहादुरगढ़ ने उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है। शहर की गली-सड़कों पर गंदगी नजर आ जाएगी। शहर का सबसे मुख्य सार्वजनिक स्थल बस स्टैंड कूड़ाघर नजर आता है। दिनभर सड़क पर धूल उड़ती रहती है। शौचालयों की स्थिति बदहाल है। बावजूद इसके रैंकिंग में अप्रत्याशित उछाल अब सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बना हुआ है। दरअसल, वर्ष 2017 में बहादुरगढ़ 353वें, 2018 में 209वें, 2019 में 228वें और 2020 में 216वें रैंक पर था। वर्ष 2020 में जहां बहादुरगढ़ को कुल 6 हजार में से 2331.92 अंक मिले थे, वहीं वर्ष-2021 में छह हजार में से 3066.41 अंक मिले हैं। हालांकि वर्तमान में चल रहे स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में कुल 7500 अंक होंगे। बीते पांच वर्ष में शहर की सफाई का खर्च करीब दस गुणा से ज्यादा बढ़ चुका है। लेकिन शहर की सफाई में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है।

शहर की सफाई व्यवस्था की बात करें तो पिछले पांच साल में जिस स्पीड से सफाई पर खर्च बढ़ रहा है। उसी रफ्तार से शहर में गंदगी में भी इजाफा हो रहा है। इंटरनेट मीडिया पर चल रही चर्चा में नागरिकों का कहना है कि शहर की सफाई करने में विफल रही नगर परिषद बेशक बेहतर स्वच्छता रैंक हासिल करने में सफल रही। लेकिन इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। लोगों का कहना है कि वर्तमान रैंकिंग से स्वच्छता सर्वेक्षण की पोल भी खुल गई है। बेशक नगर परिषद सभी कॉलोनियों से यूजर चार्ज वसूल रही है, लेकिन अभी भी हर घर से कूड़ा कलेक्शन केवल कागजों तक सीमित है। असल में बांग्लादेशी मूल के लोग अनेक कॉलोनियों में कूड़ा उठा रहे हैं और इसके लिए पैसे वसूल रहे हैं। मजबूरन नागरिकों को दोहरा भुगतान करना पड़ रहा है।

पूर्व पार्षद वजीर राठी के अनुसार बहादुरगढ़ की सफाई के हालात बहुत अच्छे नहीं हैं। डोर-टू-डोर कलेक्शन सुनिश्चित किए जाने की जरूरत है। दस गुणा खर्च बढ़ने के बाद भी शहर की सफाई व्यवस्था में कोई सुधार नहीं है। पॉश कालोनियों से लेकर अंदरूनी इलाकों में कूड़े के ढेर हैं। नालियों में गोबर बह रहा है। नाले गंदगी से अटे पड़े हैं। न कूड़ा उठता है, न सफाई होती है।

निवर्तमान पार्षद रमन यादव के अनुसार शहर में चारों तरफ गंदगी है। रोजाना गोबर शहर की नालियों में बहाया जाता है। कूड़ा सड़कों पर फैंकने के साथ जला दिया जाता है। इससे शहर के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर हो रहा है। हर घर से कूड़े के उठान की कोई व्यवस्था नहीं हैं। एनजीटी के हस्तक्षेप के बाद कूड़ा निस्तारण प्लांट शुरू हुआ है, कूड़े के प्रबंधन के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है।


बहादुरगढ़ में बालौर रोड पर खस्ताहाल शौचालय।

Tags

Next Story