महेंद्रगढ़, दादरी व भिवानी के एनसीआर में शामिल रहने पर संकट के बादल, हरियाणा सरकार करेगी आखिरी फैसला

देवेंद्र यादव : महेंद्रगढ़
जिला महेंद्रगढ़, दादरी व भिवानी को एनसीआर में शामिल रहने के संकट के बादल छा गए हैं। एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की नई प्लानिंग के अनुसार ये जिले एनसीआर की सीमा से बाहर हो जाएंगे। केंद्र सरकार द्वारा भी नई प्लानिंग को मंजूरी देने की बात सामने आई है। हालांकि अभी कोई अधिकारिक पुष्टी नहीं हो पाई है, मगर अंतिम फैसला राज्य सरकार पर छोड़ दिया गया है। राज्य सरकार चाहेगी तो अब इन जिलों को एनसीआर से अलग भी किया जा सकता है। वहीं एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की नई प्लानिंग की पूरे जिले में चर्चा है। इसमें मिलीजुली प्रतिक्रियाएं सुनने को मिली हैं। कुछ का कहना है कि यह गलत हो रहा है, जबकि कुछ का कहना है कि एनसीआर में शामिल होने से फायदे कम नुकसान ज्यादा हैं। इसलिए अगर एनसीआर से अलग हो जाए तो कोई बुराई नहीं है।
महेंद्रगढ़, दादरी व भिवानी जिला 2005 से एनसीआर में शामिल है। कांग्रेस के शासनकाल में इसका दायरा बढ़ाया गया था। पहले दिल्ली व आसपास के क्षेत्र ही एनसीआर में शामिल थे। मगर बाद में इसका दायरा बढ़ा तो तत्कालीन सांसद श्रुति चौधरी ने इसकी सिफारिश की थी। जिसके बाद ये तीनों जिले भी एनसीआर में शामिल हो गए थे। हालांकि एनसीआर में शामिल होने का यहां के लोगों को कोई फायदा नहीं मिला है, मगर आगे इसके संभावित फायदे गिनाए जा रहे हैं। दिल्ली-एनसीआर में जो इलाके आते हैं वे चार राज्यों में फैले हुए हैं। चार राज्यों की बैठक में हाल में ही एनसीआर का दायरा दोबारा तय करके एक बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की गई। नेशनल कैपिटल रीजन के प्रस्तावित डेलीनेशन के लिए बीच का रास्ता निकालने की इस कोशिश के बाद एनसीआर के कुल इलाके में कमी आ सकती है। एनसीआर की नई सीमा 100 किलोमीटर तय की गई बताई जा रही है, जबकि पूर्व में यह 150 किलोमीटर थी। जिस कारण महेंद्रगढ़, दादरी व भिवानी जिला एनसीआर में शामिल था, मगर यदि यह सीमा 100 किलोमीटर ही रह जाती है तो उक्त तीनों जिले एनसीआर क्षेत्र से बाहर हो जाएंगे। हरियाणा ने अपने काफी इलाके को एनसीआर से बाहर निकालने की योजना बनाई है। चारों राज्यों की मीटिंग में एक आम राय यह बनी है कि दिल्ली के राजघाट से 100 किलोमीटर के सर्कुलर दायरे में आने वाले इलाकों को नेशनल कैपिटल रीजन में शामिल किया जाए। आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने यह जानकारी दी है।
इस बारे में सामाजिक कार्यकर्ता व सर्वसमाज मंच के प्रधान राधेश्याम गोमला बताया कि स्थानीय यादव धर्मशाला में सोमवार को सर्व समाज मंच द्वारा एक सर्वदल जिला अध्यक्षों की मीटिंग का आयोजन किया जाएगा। उन्हाेंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड ने 17 सितंबर 2005 को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के विकास हेतु अधिसूचित प्रारूप क्षेत्रीय योजना- 2021 तैयार किया था, जो विकास का एक ऐसा बहुआयामी कदम है। जो संबंधित क्षेत्र के विश्वस्तरीय विकास की गारंटी देता है। उन्होंने बताया कि इसके अंतर्गत अधिवास-प्रणालियों, आर्थिक गतिविधियों, परिवहन, दूरसंचार, क्षेत्रीय भूमि उपयोग, अवसरंचना सुविधाओं जैसे विद्युत और भूमि, सामाजिक अवसंरचना, पर्यावरण, विपदा प्रबंधन, विरासत एवं पर्यटन से संबंधित परस्पर संबंधित नीति ढांचा के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए शहरी और ग्रामीण अधिवासों के सतत विकास के लिए एक मॉडल उपलब्ध कराया जाता है। हाई-वे, बाई पास, मेट्रो व कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य जो हो रहे और सम्भावित हैं, ये लगभग इसी योजना के अंतर्गत हैं। जिला को बाहर करने उक्त सभी सुविधाओं से वंचित रहने का नुकसान झेलना पड़ेगा।
राजघाट से माना जाता है 100 किलोमीटर
रीजनल प्लान-2041 के तहत अब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की सीमा दिल्ली के राजघाट से 100 किलोमीटर के सर्कुलर दायरे तक तय कर दी गई है। राजघाट से चारों ओर 100 किलोमीटर के दायरे में आने वाले शहर या गांव एनसीआर योजना के दायरे में आएंगे। इससे पहले यह सीमा 150 से लेकर 175 किलोमीटर तक थी। इसका एक मतलब यह भी है कि अब 100 किलोमीटर के दायरे में ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के हिसाब से सड़कों, रेल या हवाई नेटवर्क का विकास किया जाएगा।
अभी कौन से इलाके एनसीआर में
एनसीआर में दिल्ली, उत्तर प्रदेश के आठ जिले, हरियाणा के कुल 22 में से 14 जिले और राजस्थान के दो जिलों अलवर व जयपर के हिस्सों को कवर करता है।
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