CM Manohar Lal बोले : वर्ष के अंत तक प्रदेश के सभी राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालयों के क्लासरूम बन जाएंगे स्मार्ट

CM Manohar Lal बोले : वर्ष के अंत तक प्रदेश के सभी राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालयों के क्लासरूम बन जाएंगे स्मार्ट
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  • प्रदेश में अब तक 4035 क्लासरूम बन चुके स्मार्ट
  • सीएम ने की मॉडल संस्कृति विद्यालयों के बच्चों के अभिभावकों से बात

Haryana : मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि राज्य के राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालयों के 7400 क्लासरूम में से 4035 स्मार्ट क्लासरूम बन चुके हैं। बचे हुए क्लासरूम को इस वर्ष स्मार्ट क्लासरूम में बदला जाएगा। वे विशेष चर्चा कार्यक्रम के दौरान चंडीगढ़ से ऑनलाइन राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के अभिभावकों से चर्चा कर रहे थे।

उन्होंने बताया कि हर विद्यार्थी की सीखने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए इन विद्यालयों में शिक्षण के लिए नई तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। इन विद्यालयों की दीवारों को ऐसे सजाया गया है, जिससे दीवारों पर शिक्षण सामग्री पेन्ट करवाकर शैक्षणिक वातावरण का निर्माण हुआ है। इससे विद्यार्थी देखकर, पढ़कर तथा पेन्सिल के माध्यम से सीख सकते हैं। पूरे भवन को ही सहायक सामग्री में बदल दिया गया है। नई शिक्षा नीति के तहत हम प्रदेश में ऐसे शिक्षण संस्थान तैयार कर रहे हैं, जिनमें नन्हे बच्चे की केजी कक्षा से युवा विद्यार्थी की पीजी कक्षा तक की शिक्षा प्रदान की जाएगी। इस प्रकार एक ही छत के नीचे सम्पूर्ण शिक्षा मिलेगी। प्रदेश में चार विश्वविद्यालयों भगत फूल सिंह कन्या विश्वविद्यालय खानपुर कलां, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार और महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक में केजी से पीजी स्कीम के तहत दाखिले किए गए हैं।

मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालय खोलने की प्रक्रिया 2017 में की थी शुरू

मुख्यमंत्री ने अभिभावकों से आह्वान किया कि बच्चा जिस क्षेत्र में निपुण है, उसी में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें। आगे चलकर बच्चा क्या बने, इसका निर्णय उसे स्वयं लेने दे। उसका करियर बनाने में अपना पूर्ण सहयोग दें। बच्चों की पसंद व अभिरुचियों को निखारने में मदद करें। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए थ्री-एस यानी स्टडी, स्पोर्ट्स व स्कीन के समय में संतुलन बनाए। इसके साथ ही वह खेल के लिए भी समय निकाले, मोबाइल फोन व इंटरनेट के आने से बच्चे जरूरत से ज्यादा समय व्यतीत कर रहे हैं, उनकी इस आदत पर अंकुश लगाएं। उन्होंने बच्चों के मां -बाप को महाराज शिवाजी जैसे महापुरुषों की प्रेरणादायक कहानी सुनाने के लिए प्रेरित किया।

मॉडल संस्कृति स्कूलों में शिक्षा है निःशुल्क

उन्होंने बताया कि जिन विद्यार्थियों के अभिभावकों की वार्षिक आय 1 लाख 80 हजार रुपए तक है, उनके लिए मॉडल संस्कृति स्कूलों में शिक्षा निःशुल्क है। इन विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे 65 प्रतिशत विद्यार्थी गरीब परिवारों के हैं। हमने ऐसे परिवारों के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भी शिक्षा दिलवाने के लिए चिराग-योजना चलाई है। इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के विद्यार्थियों का दाखिला कक्षा 2 से 12वीं तक करवाया जाता है। इन बच्चों की फीस सरकार भरती है। इसके तहत अब तक 2,474 बच्चों का मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों में दाखिला करवाया गया है। इन विद्यालयों में पहली से दूसरी कक्षा के बच्चों पर पढ़ाई के दबाव को कम करने के लिए उन्हें कोई होम वर्क नहीं दिया जाता। इन विद्यालयों में शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी व हिन्दी दोनों ही रखा गया है। जो बच्चे अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, उनके लिए हर कक्षा में कम से कम एक सेक्शन का माध्यम अंग्रेजी है। बच्चों की शिक्षा की बुनियाद प्राथमिक स्तर पर मजबूत की जा सकती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इस पर बल दिया गया है ।

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