CM Manohar Lal बोले : 2004 से 2014 तक अनुसूचित जाति के उत्पीड़न के मामलों की एफआईआर नहीं होती थी दर्ज

- आम लोगों को एफआईआर दर्ज करवाने के लिए पड़ता था भटकना
- सरकार ने निर्देश दिए कि हर एफआईआर दर्ज की जाए
- एफआईआर की संख्या बढ़ने से अपराध बढ़ने का अंदाजा नहीं लगाया जाना चाहिए
Haryana : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि 2004 से लेकर 2014 तक अनुसूचित जाति के उत्पीड़न के मामलों की एफआईआर ही नहीं दर्ज की जाती थी और अगर दर्ज होती भी थी तो उन्हें दबाकर रखा जाता था। उस समय लोग एफआईआर दर्ज करवाने के लिए भटकते थे। भाजपा सरकार आने के बाद यह निर्देश जारी किए कि थानों में जो व्यक्ति एफआईआर दर्ज करवाने आएगा, एफआईआर अवश्य दर्ज की जाए। सीएम हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के दौरान अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत दर्ज मामलों में से कितने वापिस लिए गए, कितनों पर समझौता हुआ और कितने रद्द हुए, इसकी जानकारी भी सदन को लेनी चाहिए। आपसी झगड़ों के दौरान कुछ लोग अनुसूचित जाति और अुनसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 का उपयोग करते हुए मामले दर्ज करवाते हैं, लेकिन जब राज्य सरकार ने अनुसूचित जाति आयोग का गठन किया तो आयोग को इन मामलों का अध्ययन करने के लिए कहा। आयोग ने भी यह पाया कि अधिकतर मामले सामान्य विवादों पर दर्ज करवाए गए हैं। इसलिए एफआईआर की संख्या बढ़ने से अपराध बढ़ने का अंदाजा नहीं लगाया जाना चाहिए। भाजपा सरकार में हर एफआईआर दर्ज की जा रही है, आम लोगों को अब एफआईआर दर्ज करवाने में कोई दिक्कत नहीं होती। किसी भी मामले में घोटाला पाया जाता है तो राज्य सरकार संबंधित के विरुद्ध अवश्य कार्रवाई करेगी
विधायक अभय चौटाला द्वारा विभिन्न विभागों, बोर्डों और निगमों में दर्ज भ्रष्टाचार के मामलों के संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि जब भी भ्रष्टाचार की कोई शिकायत आती है, तो सबसे पहले एफआईआर दर्ज की जाती है, उसके बाद जांच होती है और जांच के बाद पता चलता है कि क्या कार्रवाई की जानी है। इसलिए केवल शिकायत आने से यह कह देना कि कोई घोटाला हुआ है, यह वाक्य पूरी तरह से गलत है। एफआईआर दर्ज होने, जांच होने के बाद मामलों का ट्रायल होता है और तब पता चलता है कि घोटाला हुआ या नहीं। यदि किसी मामले में यह पता लगता है कि घोटाला हुआ है, तो सरकार संबंधित के विरुद्ध अवश्य कार्रवाई करेगी।
विधायक किसी भी अधिकारी से विकास कार्यों की ले सकते हैं जानकारी, विश्राम गृह में बुला सकते हैं
उन्होंने कहा कि विधायक जनता द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि हैं, वे किसी भी अधिकारी से अपने क्षेत्र के विकास कार्यों के बारे व अन्य जानकारी ले सकते हैं। हालांकि, विधायक के पास एग्जिक्यूटिव पावर नहीं होती है, इसलिए वे विधिवत रूप से आधिकारिक तौर पर अधिकारियों की बैठक नहीं बुला सकते। उन्होंने विपक्ष द्वारा प्रदेश में बेरोजगारी के दिए गए आंकड़ों पर सदन को जानकारी देते हुए बताया कि आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) की रिपोर्ट के अनुसार जुलाई-सितंबर, 2023 के दौरान हरियाणा की बेरोजगारी दर 5.2 प्रतिशत रही, जबकि राष्टीय स्तर पर यह आंकड़ा 6.6 प्रतिशत है। पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में इसी अवधि के दौरान बेरोजगारी दर 14.5 प्रतिशत, पंजाब में 8.8 तथा राजस्थान में 12 प्रतिशत रही। भाजपा सरकार बेरोजगारी दर को कम करने में सफल रही है।
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