हस्तशिल्प मेले में संस्कृति के रंग : इतिहास का जादुई आकर्षण समेटे है हनुमान सैनी की लघु चित्रकारी

रवींद्र राठी: बहादुरगढ़
भारतीय इतिहास और संस्कृति का जादुई आकर्षण समेटी लघु चित्रकारी बरबस ही युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। नेशनल अवार्ड विजेता जयपुर निवासी हनुमान सैनी हरियाणा के दर्जनों उभरते कलाकारों को इस प्राचीन कला की बारीकियां सिखा रहे हैं।
दशकों से हाथ के हुनर को नए आयाम दे रहे हनुमान के अनुसार लघु चित्रों की दुनिया इतिहास, धर्मग्रंथों और युगों से लोगों के जीवन का बहुरूपदर्शक है। लघु कला प्रेम का एक गहन श्रम है, जिसे विविध प्रकार कागज, पत्तों, लकड़ी या कपड़े आदि की एक श्रृंखला पर चित्रित किया जाता है। दरअसल, लघु चित्रकारी नाजुक हस्तनिर्मित चित्रकारी है, जो सामान्य पेंटिंग की तुलना में आकार में बहुत छोटी होती हैं। यह भारत की एक प्राचीन कला है। यह चित्रकारी बड़ी सावधानी से की जाती है और हर पहलू को बड़ी बारीकी से चित्रित किया जाता है। मोटी-मोटी रेखाओं से बनाए गए चित्रों को बड़े सुनियोजित ढंग से गहरे रंगों से सजाया जाता है। पत्थरों को पीस कर प्राकृतिक रंग बना, उसे कागजों पर अपनी कल्पना में भरने वाले राजस्थान के हनुमान सैनी की लघु चित्रकारी आपको आगे बढ़ने से रोकने में सक्षम है।
स्वर्ग लोक की एक पेंटिंग बनाने में 16 माह लगे
जयपुर निवासी हनुमान सैनी ने स्वर्ग लोक की एक पेंटिंग बनाने में 16 महीने लगा दिए और उसकी इस अनुपम रचना के लिए उसे वर्ष 2014 का नेशनल अवार्ड तत्कालीन राष्ट्रपति के हाथों मिला। बचपन में स्कूल के दौरान कक्षा के ब्लैक बोर्ड पर स्कैच बनाने वाले हनुमान गत 35 वर्षों से लघु चित्रकारी में नए आयाम स्थापित कर रहे हैं। हैरत की बात यह है कि हनुमान की इस बेहतरीन कला को परखने के लिए सूक्ष्मदर्शी का सहारा लेना पड़ता है। पेड़ के सूखे पत्तों पर बनाए गए हाथी-घोड़े हर किसी को प्रभावित कर रहे हैं। हनुमान बताते हैं कि भारतीय कलाकार अपनी चित्रकला में अनेक परिदृश्यों को शामिल करते हंै। हाल ही में राजस्थान की विख्यात ढोला मारू की प्रेमकथा को भी हनुमान की तूलिका ने बेहतरीन रूप दिया है। ऊंट पर बैठक राजकुमार व राजकुमारी को देखकर लोग देखते ही रह जाते हैं। ये चित्रकला का एक बहुत शानदार, व्यक्तिपरक और भव्य रूप हैं।
सोने-चांदी और सब्जियों से तैयार होते है रंग
इसके प्रयोग किए जाने वाले रंग खनिजों एवं सब्जियों, कीमती पत्थरों तथा विशुद्ध चांदी एवं सोने से बनाए जाते हैं। रंगों को तैयार करना और उनका मिश्रण करना एक बड़ी लंबी प्रक्रिया है। इसमें कई सप्ताह लग जाते हैं। इसके लिए बहुत बढ़िया किस्म के ब्रुशों की जरूरत पड़ती है। इन चित्रों में फूलों और जानवरों की आकृतियों को भी बार-बार चित्रित किया जाता है।
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