Rohtak PGIMS में कमीशनखोरी धंधा : मरीज पीजीआई के, केमिकल पीजीआई का, मशीनें भी पीजीआई की और टेस्ट करके चांदी कूट रहे शहर के प्राइवेट लैब संचालक

Rohtak PGIMS में कमीशनखोरी धंधा : मरीज पीजीआई के, केमिकल पीजीआई का, मशीनें भी पीजीआई की और टेस्ट करके चांदी कूट रहे शहर के प्राइवेट लैब संचालक
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हरिभूमि ने मरीजों के साथ होने वाली इस लूट को रोकने के लिए 10 दिनों तक लगातार पड़ताल की। अचंभित करने वाले तथ्य सामने आए।

हरिभूिम टीम : रोहतक

हेडिंग पढ़कर हैरान मत होना। यही कड़वी, परेशान और आहत करने वाली सच्चाई है। पीजीआईएमएस में करोड़ों रुपये की मशीन सरकार की है, केमिकल सरकार का है और जगह भी सरकार की, लेकिन मोटा मुनाफा कूट रहे हैं प्राइवेट लैब वाले। जिन कंधों पर प्राइवेट लैब वालों के इस धंधे पर नकेल कसने की जिम्मेदारी है, उन्हें भी पता सब है, लेकिन नोटों की चमक कुछ करने ही नहीं दे रही। पिस रहे हैं बेचारे गरीब मरीज। जो प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवाने में सक्षम नहीं हैं, लेकिन पीजीआई के कमीशनखोर इन गरीबों को प्राइवेट दलालों के हाथों में सौंपकर चांदी कूट रहे हैं। हम यहां मरीजों के टेस्ट में होने वाले धंधे से पर्दाफाश कर रहे हैं। पीजीआई में ऐसा होना कोई नई बात नहीं है, वर्षों से मरीज ऐसे ही पिस रहे हैं।

हरिभूमि ने मरीजों के साथ होने वाली इस लूट को रोकने के लिए 10 दिनों तक लगातार पड़ताल की। अचंभित करने वाले तथ्य सामने आए। पीजीआईएमएस की इमरजेंसी में प्राइवेट लैब के कर्मचारी मरीजों का सैंपल ले रहे हैं। टेस्ट करने के बाद वहीं रिपोर्ट भी देने आते हैं। यहीं नहीं बड़ा कारनामा इमरजेंसी के कमरा नंबर-6 में देखने को मिला। यहां सैंपल का जांच करने के लिए बीजीए मशीन लगा रखी है, लेकिन इस मशीन पर सैंपल प्राइवेट लैब का कर्मचारी लगा रहा है। फिलहाल मामला इमरजेंसी का लिख रहे हैं। प्राइवेट लैब और अस्पताल वाले पीजीआईएमएस की छवि खराब करने में लगे हुए हैं।

ऐसे चल रहा खेल

प्राइवेट लैब वाले अपने कर्मचारियों को 24 घंटे पीजीआई में तैनात रखते हैं। यहां सिर्फ इमरजेंसी की बात करें तो डॉक्टर ने किसी मरीज का टेस्ट लिखा तो प्राइवेट लैब वाले तुरंत मरीज के पास पहुंच जाता है। लैब का कर्मचारी रोहित मरीज के सैंपल लेता है और जांच के लिए भेज देता है। जबकि पीजीआई में डॉक्टर या नर्स के अलावा कोई मरीज के खून का सैंपल नहीं ले सकता। लेकिन पीजीआई में नियम कानूनों को सरेआम ठेंगा दिखाया जा रहा है। यहां सरेआम प्राइवेट लैब के कारिंदे न केवल सैंपल ले रहे हैं बल्कि पीजीआई कर्मियों के सामने ही मोटा पैसा भी वसूल रहे हैं। रोकने टोकने वाला कोई नहीं। 

 सरकारी मशीन पर प्राइवेट व्यक्ति

अब इमरजेंसी के कमरा नंबर-6 की बात करें तो यहां लगाई गई बीजीए की सरकारी मशीन पर प्राइवेट लैब का कर्मचारी जांच करता मिला। यही नहीं टेस्ट की जांच रिपोर्ट भी खिड़की से यही व्यक्ति दे रहा है। पीजीआईएमएस के जिन कर्मचारियों की ड्यूटी बीजीए मशीन पर है, वे फरलों कर रहे हैं।

दो कर्मचारियों की ड्यूटी

बीजीए लैब में दो कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई है। पूरा-पूरा दिन ये ड्यूटी करते हैं, लेकिन जब इन्हें कहीं बाहर जाना पड़ता है तो य अपने दोस्त अंकित को यहां बैठा देते हैं। अंकित एक प्राइवेट लैब में असिस्टेंट है और इन दोनोें कर्मचारियों का जानकार भी है।

अपने टेस्ट भी इसी मशीन पर

सामने आया है कि प्राइवेट लैब का जो कर्मचारी बीजीए की मशीन पर बैठा होता है, वो अपनी लैब के टेस्ट भी इसी मशीन पर करता है। सरकारी मशीन, सरकारी केमिकल और जांच प्राइवेट लैब के सैंपल की होती है। आराम फरमाते हैं कर्मचारी यह सब चौंकाने वाला है कि पीजीआई के कर्मचारी ड्यूटी के दौरान देर रात आराम फरमाने चले जाते हैं और उनकी सीट पर प्राइवेट मुनाफाखोर विराजते हैं। 

सहयोग के लिए युवा को सलाम

बीते कई दिनों से हरिभूमि के पास पीजीआईएमएस में कमीशनखोरी के धंधे की सूचना थी, लेकिन बड़ा सवाल था कि इन प्राइवेट लैब वालों को कैमरे में कैसे कैद करके बेनकाब किया जाए। क्योंकि संस्थान के कई कर्मचारी इन्हीं से अपनी जेबें गर्म कर रहे थे। हरिभूमि की टीम ने कई प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिली। सहयोग दिया, इस गोरखधंधे से आहत पीजीआईएम में ही कार्य कर रहे एक युवा ने। गरीब मरीजों से हो रही लूट से आहत यह युवा मजबूरों की सेवा के इरादे से चिकित्सा क्षेत्र में आया, लेकिन यहां हो रही लूट से आहत हो गया। उसने न केवल आगे बढ़कर सहयोग किया, बल्कि मुनाफाखोरों को बेनकाब करने में अहम भूमिका निभाई। सुरक्षा कारणों के चलते यहां उनका नाम प्रकाशित नहीं कर पा रहे। धन्यवाद दोस्त, आप जैसों के कारण ही बुराई पर अच्छाई की जीत संभव है।

मशीन पर प्राइवेट लैब का कर्मचारी बैठा हो, ऐसा हो ही नहीं सकता

ऐसा हो ही नहीं सकता कि पीजीआई की लेब में मशीन पर प्राइवेट लैब का कर्मचारी बैठा हो। बताओ तो तुरंत कार्रवाई होगी। अभी तक इस बारे में कोई जानकारी या शिकायत मेरे पास नहीं आई। -डॉ. ईश्वर, चिकित्सा अधीक्षक, पीजीआईएमएस।

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