कॉमनवेल्थ में महेंद्रगढ़ का सूखा खत्म : 10 हजार मीटर वॉक रेस में संदीप पूनिया का Bronze, लंबा कद आया काम

सतीश सैनी : नारनौल
हरियाणा के अंतिम छोर पर बसे महेंद्रगढ़ जिला का नाम भी अब खेल जगत में आ गया है। खिलाड़ी संदीप पूनिया इस जिला के पहले ऐसे खिलाड़ी हैैँ, जिन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स ( Commonwealth Games ) में कोई मेडल जीता है। इग्लैंड के बर्मिंघम में रविवार को गेम्स के 10वें दिन दोपहर करीब साढ़े तीन बजे 10 हजार मीटर वॉक रेस शुरू हुई। इसमें संदीप पूनिया ने कांस्य पदक हासिल कर लिया है। जब मेडल हासिल करने की खबर जिला व प्रदेश के लोगों को पता चली तो पिता प्रीतम, माता ओमवती, भाई सुरेंद्र, बहन ममता, पत्नी गीता व दो बच्चे इशांत व सोनम में शामिल परिवार के लोगों को बधाई देने का सिलसिला शुरू हो गया। शाम होते-होते डीजे की धून पर पूरा गांव झूम उठा।
यूं हुई संदीप की शुरूआत...
हर एक इंसान के अंदर कोई न कोई खूबी जरूर होती है। जरूरत है बस उसको पहचानने की। जब कोई उस खूबी को परख लेता है और उसके लिए अवसर उपलब्ध कराता है तो वह इंसान उसी के दम पर दुनियाभर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा लेता है। ऐसा ही कुछ महेंद्रगढ़ जिले के छोटे से गांव सुरेहती के संदीप के साथ हुआ था। गांव सुरेहती जाखल में किसान प्रीतमसिंह का बेटा संदीप पूनिया 14 सितंबर 2006 को जीआरओ चरखीदादरी में भर्ती हुआ था। भर्ती होने के दो साल बाद वर्ष 2008 में संदीप की लंबाई व सुडोल शरीर को देखकर कैप्टन सीताराम नागौर ने पूछा कि खिलाड़ी बनोंगे। उस वक्त संदीप की नजर में खेल का मतलब कुश्ती या कबड्डी ही था। बचपन से उसे किसी खेल के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। संदीप को लगा कि शायद कुश्ती या कबड्डी खेलने को कहेंगे। कोच ने जब समझाया कि पैदल चाल भी एक खेल है और आपको ओलंपिक में भी भाग लेने का मौका मिल सकता है तो संदीप को विश्वास ही नहीं हुआ। लेकिन फिर उसने हां कर दी। वैसे भी बचपन में मीलों पैदल चलने की आदत थी तो ज्यादा परेशानी नहीं हुई। संदीप ने इस मुकान के पीछे अपने निजी कोच कैप्टन सीताराम नागौर की परख बताई। हालांकि अब वह सेवानिवृत्त हो चुके है।
हर स्पर्धा में भारतीय खिलाड़ी जीत रहे दिल!#CWG2022 की ट्रिपल जंप में #EldhosePaul को स्वर्ण पदक तथा रेस वाल्किंग में महेन्द्रगढ के बेटे संदीप पुनिया को कांस्य पदक जीतने पर अनंत बधाई एवं मंगलकामनाएं।@OlySKP pic.twitter.com/jXJFSCi5P6
— Manohar Lal (@mlkhattar) August 7, 2022
फिर चला आम आदमी से मेडल जीतने का सफर
साल-2012 से रूस के अलेक्जेडर से पैदल चाल की बारिकियां सीखी। इस खिलाड़ी ने साल-2014 में 50 किलोमीटर पैदल चाल में तीन घंटा 56 मिनट 22 सैकेंड का रिकार्ड बनाया हुआ है। यह रिकार्ड चाइना में हुए गेम में बनाया था। इसी अपने रिकार्ड को संदीप ने चार साल बाद 2017 में दिल्ली में तोड़ा। वहां 50 किलोमीटर पैदल चाल को तीन घंटे 55 मिनट में पूरा किया। वह नेशनल में पांच बार गोल्ड, दो बार सिल्वर और दो बार ब्रांज मैडल जीत चुके है। दो बार वर्ल्ड चैम्पियनशिप का रिकार्ड उनके नाम है। पहला मार्च-2013 रूस में और दूसरा अगस्त-2015 में बीजिंग में बनाया था। यहीं नहीं, साल-2012 में वह लंदन में हुए ओलम्पिक में क्वालीफाई भी कर चुके है किंतु किसी कारण वह उस वक्त हिस्सा नहीं ले सके थे। साल-2016 में ब्राजील के रियो की जिनेरिया में होने वाले ओलंपिक की 50 किलोमीटर पैदल चाल स्पर्धा के लिए क्वालीफाई किया। चंडीगढ़ में 19 फरवरी को 2017 में संदीप को भीम अवार्ड दिया गया। फरवरी-2017 में दिल्ली में चौथी नेशनल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। यहां अपने ही रिकार्ड को संदीप ने तोड़ा। 15 फरवरी 2018 को दिल्ली में हुई नेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल हासिल कर एशियन गेम में क्वालीफाई किया।
इसके बाद अगस्त-2018 में इन्डोनेशिया में हुए एशियन गेम में भाग लिया। इस गेम से पहले मई-2018 में चीन में हुई वर्ल्ड चैम्पियनशिप में भी संदीप ने भाग लिया था। फरवरी-2019 में तमिलनाडू में 16वीं नेशनल ओपन रेस वॉकिंग चैम्पियनशिप-2019 में संदीप ने ब्रांज मैडल जीता। इसके बाद यूपी के लखनऊ में अगस्त-2019 में 59वीं नेशनल इंटरस्टेट सीनियर एथलीट चैम्पियनशिप-2019 में गोल्ड मेडल हासिल किया। ाारखंड के रांची में 59वीं नेशनल ओपन एथलीट चैम्पियनशिप-2019 में ब्रांज मेडल हासिल किया। इसके बाद रांची में फरवरी-2020 में सातवीं नेशनल ओपन रेस वॉकिंग और तीसरी इंटरनेशनल चैम्पियनशिप-2020 में गोल्ड मेडल हासिल किया। इसके बाद बेंगलूरू भारतीय खेल प्राधिकरण में अभ्यास किया। फिर जापान की राजधानी टोक्यो में होने वाले टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लेने 30 जुलाई 2021 को रवाना हुए। वहां पांच अगस्त 2021 को 20 किलोमीटर पैदल चाल में मुकाबला हुआ और काफी प्रयास के बाद वह मेडल हासिल नहीं कर पाए थे। इसके बाद अब इग्लैंड के बर्मिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में भागीदारी की है।
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