भिवानी चिड़ियाघर में बंद शेरों के प्रति चिंता बढ़ी, कोरोना टेस्ट की तैयारी शुरू

कुलदीप शर्मा : भिवानी
चिड़ियाघर की शान सुधा, गीता व अर्जुन की दहाड़ को सुरक्षित बनाए रखने के लिए जल्द ही इनका कोरोना टेस्ट करवाया जा सकता है। हैदराबाद के नेहरू जूलोजिकल पार्क में 8 एशियाई शेर कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद सभी चिड़ियाघर में बंद शेरों के प्रति चिंता बढ़ गई है ।
फिलहाल अधिकारियों के पास शेरों के कोरोना टेस्ट करवाने के लिए आदेश तो नहीं आए हैं लेकिन अधिकारियों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। जैसे ही अधिकारियों के पास आदेश आएंगे वैसे ही इनका कोरोना टेस्ट करवाया जाएगा ताकि अगर कोई शेर कोरोना पॉजिटिव आता है तो उसका समय रहते उपचार किया जा सके।फिलहाल चिड़ियाघर की शान बढ़ा रहे सुधा, गीता व अर्जुन में किसी प्रकार के कोविड लक्षण नहीं है तथा वो अच्छी तरह से खाना खा रहे हैं। सूत्रों की माने तो शेरों को जब खाना डालने के लिए कर्मचारी जाता है तो वो पूरी तरह से सुरक्षा के नियमों का पालन किया जा रहा है, ताकि संक्रमण का खतरा कम से कम किया जा सके। फिलहाल एक साल से चिड़ियाघर के अंदर सिर्फ कर्मचारियों की ही इंट्री है।
नवंबर माह में भिवानी आए थे शेर
उल्लेखीनय है कि शेरों की आवाज तथा उनका रूप देखने के लिए बेताव शहरवासियों का इंतजार पिछले साल नवंबर माह में समाप्त हुआ था । चिड़ियाघर में दो मादा तथा एक नर शेर पहुंच गए थे तथा अब चिड़ियाघर खुलने के बाद लोग इनकी दहाड़ को सुन पाएंगे। कुरुक्षेत्र में जन्में ये तीनों शावक अब करीब साढ़े तीन साल के हो चुके हैं तथा इनका वजन तथा आकार देखने पर यह छह से सात साल के प्रतीत होते हैं। तीनों शेरों का चिड़ियाघर के अधिकारी अपने बच्चों की तरह ख्याल रख रहे हैं। रोहतक से इन तीनों शेरों को भिवानी लाया गया था तथा लोगों की आवाजाही पर लगी रोक के चलते शेरों को माहौल में ढलने के लिए पर्याप्त समय मिल रहा है ।
नामकरण के दिन मिला नाम गीता, सुधा व अर्जुन
कुरूक्षेत्र की धरती पर जन्म लेने के बाद जब इनका नाम करण का दिन आया तो नर शावक को अर्जुन तथा मादा शावकों को सुधा और गीता का नाम दिया गया। जिस स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था उसी स्थान यानि कुरूक्षेत्र के चिड़ियाघर में करीब ढाई साल पहले इन शावकों का जन्म हुआ था। कुरूक्षेत्र में जन्म लेने के बाद तथा रोहतक में बेहतर परवरिश के अब तीनों शावक भिवानी के चिड़ियाघर में दहाड़ रहे हैं।
करीब पांच साल सुनाई दे रही शेर की दहाड़
करीब पांच साल पहले चिड़ियाघर की शान रहे टाइगर ब्रांडिस की मौत होने के बाद बाड़ा खाली पड़ा था। ब्रांडिस को चूहे के पेशाब के कारण लेप्टोस्पायरोसिस नामक बीमारी हो गई थी तथा उसके बाद वो ठीक हो गया था लेकिन 2015 में बीमार होने के बाद उसे तमाम कोशिशों के बावजूद नहीं बचाया जा सका था। इसके बाद अनेक बार चिड़ियाघर में टाइगर तथा शेर लाने के लिए फाइलों का सिलसिला तो चला लेकिन सिरे नहीं चढ़ पाया लेकिन अब चिड़ियाघर में तीन शेरों के आ जाने के बाद चिडि़याघर की शान बढ़ गई है तो वहीं दूसरी तरफ चिड़ियाघर खुलने के बाद आने वाले लोगों को भी शेर की दहाड़ सुनने को मिलेगी।
चिड़ियाघर में बढ़ जाती है शेरों की उम्र
चिड़ियाघर तथा जंगलों में रहने वाले शेरों की उम्र में काफी अंतर देखने को मिलता है। जंगल में रहने वाले शेर जहां 10 से 12 साल तक ही जीवित रहते हैं तो वहीं चिडि़याघर में रखे जाने वाले शेर 20 साल तक जीवित रह सकते हैं। उम्र बढ़ने के साथ साथ शिकार करने की क्षमता भी कम होती चली जाती है जिससे भूख के अभाव में तथा लड़ाई में घायल होने से शेर जंगल में दम तोड़ देते हैं जबकि चिड़ियाघर में रहने वाले शेरों को समय पर खाना मिलता है तथा उन्हें ज्यादा भाग दौड़ भी नहीं करनी पड़ती जिसके चलते उनकी उम्र 20 साल तक रहती है। फिलहाल चिड़ियाघर में जो दो मादा व एक नर शेर है उनकी उम्र मात्र साढे तीन साल है ।
सुरक्षा के लिहाज से जल्द हो सकता है टेस्ट
जिला वन अधिकारी वीके सिंह से बात हुई तो उन्होंने बताया कि चिड़ियाघर की शान गीता, सुधा व अर्जुन फिलहाल अच्छी प्रकार से खाना खा रहे हैं तथा उनमें किसी प्रकार के कोविड के लक्षण नहीं है। सुरक्षा की दृष्टि से तीनों शेरों का कोविड टेस्ट करवाया जा सकता है तथा जैसे ही अधिकारियों के आदेश प्राप्त होंगे उनके सैंपल लेकर जांच के लिए भिजवा दिए जाएंगे।
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