नारनौल नागरिक अस्पताल का हाल : बाल रोग विशेषज्ञ के बगैर एसएनसीयू, मजबूरन गंभीर नवजात को किया जा रहा रेफर

नारनौल। जिला मुख्यालय स्थित नागरिक अस्पताल में विशेष नवजात देखभाल इकाई (एसएनसीयू-स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट) तो है, लेकिन बाल रोग विशेषज्ञ नहीं है। यहां की एक विशेषज्ञ महिला चिकित्सक जहां मैट्रनिटी लिव के चलते लंबे अवकाश पर हैं, वहीं एक अन्य बाल रोग विशेषज्ञ महिला चिकित्सक का करीब एक सप्ताह पहले ट्रांसफर कर दिया गया है, जिस कारण एसएनसीयू अब रामभरोसे ही है।
उल्लेखनीय है कि 21 जनवरी 2013 को तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री राव नरेंद्र सिंह के प्रयासों से पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस जिला स्तरीय अस्पताल में स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट की स्थापना करवाई थी। तब से लेकर अब तक यहां बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सक कभी होने या न होने का सिलसिला चला आ रहा है। यहां रहे कुछ बाल रोग विशेषज्ञों ने काफी प्रसिद्धि हासिल करने उपरांत सरकारी सेवाओं से इस्तीफा देकर खुद के बाल रोग उपचार अस्पताल खोल लिए तो कई बार अन्य कारणों से भी यहां बाल रोग विशेषज्ञ की कमी बनी रही। फिलहाल भी यही स्थिति करीब एक सप्ताह से बनी हुई है। यह स्थिति तब पुन: उभरकर सामने आई है, जब डा. प्रीति यादव गत एक अक्टूबर 2022 से 31 मार्च 2023 तक के लिए मैट्रनिटी लिव लेकर लंबे अवकाश पर चली गई हैं, जबकि दूसरी बाल रोग विशेषज्ञ महिला चिकित्सक डा. ज्योति यादव को करीब एक सप्ताह पहले धारूहेड़ा ट्रांसफर कर दिया गया है। इन हालातों में न्यू बोर्न बेबी का इलाज बाल रोग विशेषज्ञ की बजाए एमबीबीएस डाक्टरों से करवाया जा रहा है। कई बार न्यू बोर्न बेबी की गंभीरावस्था के चलते चिकित्सक उन्हें रैफर कर देते हैं और गरीब अभिभावकों को निजी अस्पतालों में लूटना पड़ रहा है। हालांकि वर्तमान में डा. विकास निर्मल बच्चों की केयर करने में लगे हुए हैं।
यह है एसएनसीयू सिस्टम
कई बार देखने या सुनने में आता है कि बच्चा पूरे नौ महीने की बजाए महज सात या आठ मास में ही पैदा हो जाता है। इन हालातों में बच्चे को सही प्रकार से विकास करने तक उसे मशीनों में रखा जाता है और विशेषज्ञ चिकित्सक ही बच्चे की स्थिति देखकर उसे जरूरत अनुसार ऑक्सीजन या अन्य दवाएं प्रदान करते हैं। कई बार नवजात शिशुओं में पीलिया व अन्य बीमारियां भी पाई जाती हैं, जिसका उपचार भी विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा किया जाता है। सरकारी अस्पताल में एसएनसीयू की मशीन एवं उपचार नि:शुल्क होता है, जबकि प्राइवेट में यही मशीन एवं उपचार प्रतिदिन की दर से 10 से 15 हजार रुपये खर्चा हो जाता है।
आधा दर्जन पैप मशीनें भी मिली
नागरिक अस्पताल के एसएनसीयू को हाल ही में सी-पैप मशीनें भी मिली हैं, जिन्हें छोटा वेंटीलेटर भी कहा जाता है। लगभग आधा दर्जन मशीनें मिलने उपरांत उन्हें संचालित करवाने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है।
छोटे स्टेशनों पर हैं बाल रोग विशेषज्ञ
कमाल की बात यह है कि जिले में छोटे स्टेशनों पर बाल रोग विशेषज्ञ सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन जिला मुख्यालय की सीट रिक्त बनी हुई है। चाहे महेंद्रगढ़ का उप नागरिक अस्पताल हो या नांगल चौधरी का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, दोनों जगहों पर बाल रोग विशेषज्ञ हैं, लेकिन जिला मुख्यालय पर यह सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं। सरकारी पद होने के चलते राजनीतिक दखल का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
महीने में आते हैं करीब 150 बच्चे
नागरिक अस्पताल स्थित एसएनसीयू में महीनेभर में करीब 150 बच्चों को भर्ती कर उपचार प्रदान किया जाता है, जबकि सामान्य ओपीडी से आए तीन-चार बच्चों को विशेषज्ञ नहीं होने के चलते रेफर कर दिया जाता है। इस प्रकार लगभग 100 शिशु हर माह रेफर हो रहे हैं, जिनमें से कुछ बच्चे समय पर उचित उपचार नहीं मिलने या समय पर अस्पताल तक नहीं पहुंच पाने के कारण असमय ही मौत का शिकार भी हो जाते हैं। इन हालातों को देखते हुए एसएनसीयू को बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सक की बड़ी सख्ती से आवश्यकता महसूस की जा रही है।
अन्य चिकित्सकों को भी देख रखी है बाल रोग की ट्रेनिंग
सिविल सर्जन डा. धर्मेश सैनी ने बताया कि अस्पताल के चिकित्सकों को बाल रोग विशेषज्ञ की भी ट्रेनिंग मिली हुई है और उनके द्वारा उपचार भी प्रदान किया जा रहा है। ट्रांसफर होने की वजह से यह पोस्ट रिक्त हुई है तथा इससे उच्चाधिकारी अवगत हैं। फिर भी हमने रिक्त पद भरने के लिए पत्राचार किया हुआ है, जैसे ही विशेषज्ञ मिलेंगे, उनकी सेवाएं शुरू कर दी जाएंगी।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS