ऑनलाइन तबादले को लेकर विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों में असमंजस

ऑनलाइन तबादले को लेकर विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों में असमंजस
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तबादलों को लेकर मुख्य सचिव का 13 अगस्त का आदेश-पत्र है कि 31 अगस्त तक सभी कर्मचारियों का डाटा एचआरएमएस पोर्टल पर अपलोड किया जाए, जबकि 19 अगस्त सुबह को उच्चतर शिक्षा निदेशालय (डीएचई) ने महर्षि दयानंद विवि प्रशासन को पत्र लिखकर अवगत करवाया कि ऑनलाइन तबादलों की पॉलिसी ही नहीं है।

हरिभूमि न्यूज : रोहतक

दो विरोधाभासी सरकारी आदेशों के चलते ऑनलाइन तबादले को लेकर आंदोलनरत विश्वविद्यालय कर्मियों के सामने गुरुवार को असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई। तबादलों को लेकर मुख्य सचिव का 13 अगस्त का आदेश-पत्र है कि 31 अगस्त तक सभी कर्मचारियों का डाटा एचआरएमएस पोर्टल पर अपलोड किया जाए, जबकि 19 अगस्त सुबह को उच्चतर शिक्षा निदेशालय (डीएचई) ने महर्षि दयानंद विवि प्रशासन को पत्र लिखकर अवगत करवाया कि ऑनलाइन तबादलों की पॉलिसी ही नहीं है। डीएचई का पत्र उस समय मिला, जब कर्मचारी ऑनलाइन तबादले का विरोध कर रहे थे। डीएचई का पत्र मिलने के बाद कर्मियों व छात्रों का आंदोलन तो खत्म हो गया, लेकिन जानकारों का कहना है कि मुख्य सचिव के आदेशों के सामने डीएचई का आदेश वैधानिक रूप से नहीं ठहरता है।

कर्मचारियाें को अंदेशा

गुरुवार को विरोध खत्म होने के बाद कर्मचारियों में चर्चा रही कि एक तरफ मुख्य सचिव डाटा अपलोड करवा रहे हैं, दूसरी तरफ डीएचई ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी से मना कर रहा है। अंदेशा है कि कहीं न कहीं ऑनलाइन तबादलों को लेकर घालमेल चल रहा है। डीएचई द्वारा जारी किए गए पत्र को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं। प्रशासनिक व्यवस्था में क्या डीएचई मुख्य सचिव के आदेशों से अलग आदेश दे सकता है? सवाल है कि डीएचई ने किस आधार पर आदेश जारी किया है कि ऑनलाइन तबादले की कोई पॉलिसी नहीं है।

यह कहा था मुख्य सचिव ने

विवि में ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर मुख्य सचिव अगस्त में तीन-चार बार कुल सचिवों को निर्देश दे चुके हैं कि सभी कर्मचारियों का डाटा एचआरएमएस पोर्टल पर अपलोड करें। ताकि उनके ऑनलाइन तबादले किए जा सकें। अंतिम पत्र 13 अगस्त को जारी किया था, जिसमें 31 अगस्त तक डाटा अपलोड करने के निर्देश सभी यूनिवर्सिटी को दिए गए हैं।

क्या कहता है शिक्षक संघ

महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के प्रधान डॉ. विकास सिवाच कहते हैं कि मुख्य सचिव ने ऑनलाइन तबादलों को लेकर जो पत्र जारी किए हैं, वे रद किए जाने चाहिए। उनको रद किए बिना उच्चतर शिक्षा निदेशालय के पत्र कोई महत्व नहीं है। अगर निदेशालय ने मुख्य सचिव से सलाह करके पत्र जारी किया तो ठीक है। वरना पत्र का कोई महत्व नहीं है। साथ ही डॉ. सिवाच कहते हैं मुख्य सचिव के आदेशों को शिक्षा निदेशालय किसी भी सूरत में निरस्त नहीं कर सकता है। क्योंकि उच्चतर निदेशालय सरकार का हिस्सा है, न की सरकार।

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