National Family Health Survey में चौकाने वाले आकंडे, आगे पढ़ें

National Family Health Survey में चौकाने वाले आकंडे, आगे पढ़ें
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बीते पांच साल पहले नवजात बच्चों का सेक्स रेसों 698 था, इसमें भी 264 अंकों का सुधार हुआ है और अब यह रेसों 962 पर पहुंचा है। बेटियों की संख्या में बढ़ोतरी के आंकड़े सुखद हैं, लेकिन बच्चों व गर्भवती महिलाओं में खून की कमी, शुगर और हाइपर टेंशन के मामलों में बड़े स्तर पर इजाफा हुआ है।

सतीश सैनी : नारनौल

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (National Family Health Survey-5) में कई अच्छी खबरों के साथ ही जिला के लिए चौंकाने वाले आंकड़े भी सामने आए हैं। साल 2015-16 में महेंद्रगढ़ जिला का लिंगानुपात 876 था, अब 60 अंकों का सुधार होकर 936 पहुंच गया है। बीते पांच साल पहले नवजात बच्चों का सेक्स रेसों 698 था, इसमें भी 264 अंकों का सुधार हुआ है और अब यह रेसों 962 पर पहुंचा है। बेटियों की संख्या में बढ़ोतरी के आंकड़े सुखद हैं, लेकिन बच्चों व गर्भवती महिलाओं में खून की कमी, शुगर और हाइपर टेंशन के मामलों में बड़े स्तर पर इजाफा हुआ है।

महेंद्रगढ़ जिला की रिपोर्ट सर्वे में सामने आया है कि 15 से 49 साल की महिला जो गर्भवती नहीं है वो 61.2 प्रतिशत एनिमिक है। गर्भवती महिला 15 से 49 साल की जिनमें खून की कमी पाई जाती है उनकी संख्या 43 प्रतिशत थी, पांच साल बाद अब बढ़कर 62.8 प्रतिशत हो गई है जोकि गंभीर विषय है। महिलाओं का बीएमआई (बॉडी मास्क इनडेक्स) 18.5 केजी/एम2 नॉर्मल होता है। अब नॉर्मल से नीचे 19.2 घटकर 14.3 प्रतिशत हो गया है यानि महिलाओं के वजन में पहले के मुकाबले अब बढ़ोतरी हो रही है।

गर्भावस्था से प्रसूति तक अब खर्चा हो रहा 2497 रुपये

गर्भवती महिला का पहला अल्टीनेटल चैकअप 74.1 प्रतिशत था। अब पांच साल में बढ़कर 88.1 हो गया है। चारों अल्टीनेटल (एएनसी) 44.3 से 55.2 प्रतिशत हो गया है। गर्भवती महिला की डिलीवरी के अगले दो दिन में एएनएम/एलएचवी/चिकित्सक आदि के द्वारा पीएनसी चैकअप पहले 76.8 थे, अब बढ़कर 88.0 प्रतिशत हो गए है। वर्ष 2015-16 में एक गर्भवती महिला का एवरेज कुल खर्च सरकारी योजनाओं के तहत गर्भावस्था से प्रसूति तक 1094 रुपये आता था। यहां भी महंगाई की मार पड़ी और अब यह खर्च दोगुना से ज्यादा 2497 रुपये हो गया है।

सरकारी में नॉर्मल व प्राइवेट अस्पताल में ऑपरेशन डिलीवरी बढ़ी

संस्थानगत प्रसूति जो पहले 96.8 प्रतिशत थी, अब 98.9 हो गई है। वहीं ऑपरेशन द्वारा डिलीवरी जो पहले 12.3 प्रतिशत थी अब बढ़कर 22.6 प्रतिशत हो गई है। इसमें सरकारी अस्पतालों में 7.1 से बढ़कर 15.9 प्रतिशत और प्राइवेट अस्पतालों में 33.4 से बढ़कर 36.5 प्रतिशत हुई है। यानि पहले के मुकाबले अब ऑपरेशन डिलीवरी अधिक होने लगी है।

72.3 प्रतिशत बच्चों में ब्लड की कमी

जिला में छह माह से 59 माह के में 72.3 प्रतिशत बच्चों में ब्लड की कमी पाई गई है। छह से 23 माह के बच्चों को उचित आहार की उपलब्धता पहले 20.7 प्रतिशत मिलती थी जो अब घटकर 8.6 प्रतिशत हुई है। यहीं नहीं, बीसीजी (बैसिलस कैटमेट-गुएरिन) का टीका पहले 100 प्रतिशत लगता था। अब यह घटकर 94.3 प्रतिशत पर आ गया है। वहीं 12 से 23 माह के 84 प्रतिशत बच्चों को पूण टीकाकरण का लाभ मिलता था। यह भी घटकर 70.1 प्रतिशत हो गया है।

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