उपभोक्ता फोरम ने क्लेम राशि न देने वाली हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को दिया झटका, आगे पढें

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उपभोक्ता को नौ प्रतिशत ब्याज समेत राशि का भुगतान, दस हजार रुपये मुआवजा, पांच हजार रुपये अधिवक्ता फीस देने के आदेश दिए है। साथ ही आयोग ने हेल्थ मेडिकल बीमा कंपनी को पांच लाख रुपये सामान्य अस्पताल के गरीब मरीज वेलफेयर फंड में जमा करवाने के आदेश दिए है। राशि गरीबों के इलाज पर खर्च की जाएगी।

हरिभूमि न्यूज. जींद

हेल्थ मेडिकल बीमा क्लेम राशि न देने पर जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग ने हेल्थ मेडिकल बीमा कंपनी को फटकार लगाते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। जिसमे उपभोक्ता को नौ प्रतिशत ब्याज समेत राशि का भुगतान, दस हजार रुपये मुआवजा, पांच हजार रुपये अधिवक्ता फीस देने के आदेश दिए है। साथ ही आयोग ने हेल्थ मेडिकल बीमा कंपनी को पांच लाख रुपये सामान्य अस्पताल के गरीब मरीज वेलफेयर फंड में जमा करवाने के आदेश दिए है। राशि गरीबों के इलाज पर खर्च की जाएगी।

मॉडल टाउन नरवाना निवासी घनश्याम दास ने अपने अधिवक्ता विनोद बंसल के माध्यम से जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग में गत 17 मार्च 2020 को दी शिकायत में बताया था उसने आठ जून 2019 को हेल्थ इंश्योरेंस एजेंट जगदीश की मार्फत स्टार हेल्थ एंड अलाइड इंश्योरेंस कंपनी लिमटेड से दस लाख रुपये की हेल्थ पॉलिसी ली थी। 30 हजार 880 रुपये का प्रीमियम उसने जमा करवा दिया था। 30 जुलाई 2019 को उसे हार्ट में दिक्कत हो गई। जिस पर उसे जिंदल अस्पताल हिसार ले जाया गया। जहां पर एक लाख 41 हजार से ज्यादा की राशि खर्च हुई। जब उसने हेल्थ मैडिकल बीमा क्लेम मांगा तो कंपनी ने 13 दिसम्बर 2019 को यह कहते हुए बीमा क्लेम राशि देने से मना कर दिया कि घनश्याम दास पहले से बीमार था और उसने तथ्यों को छुपाकर बीमा करवाया है।

जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग के चेयरमेन मनजीत सिंह नरयाल, सदस्य जसविंद्र सिंह, नीरू अग्रवाल ने मामले की सुनवाई को शुरु किया। हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को बुलाया गया, बावजूद इसके बीमा कंपनी अपना पक्ष रखने के लिए बैंच के सामने पेश नहीं हुई। आयोग की तीन सदस्यीय बैंच ने मामले की सुनवाई के तथा तथ्यों के आधार पर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को दोषी पाया गया। आयोग ने हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को फटकार लगाते हुए आदेश दिए कि वह नौ प्रतिशत ब्याज समेत क्लेम की गई राशि एक लाख 35 हजार 876 रुपये का भुगतान उपभोक्ता को करे। साथ ही दस हजार रुपये हर्जाना दे और पांच हजार रुपये अधिवक्ता की फीस दे। साथ ही पांच लाख रुपये सामान्य अस्पताल के गरीब मरीज वेलफेयर फंड में जमा करवाएं। ताकि उस सहायता राशि से गरीब लोगों का अच्छे से इलाज हो सके और वेलफेयर फंड में जमा करवाई गई राशि की रसीद उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग में जमा करवाए।

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