अंबाला : रिहायशी इलाके में धर्मगुरु को दफनाने पर विवाद, कब्र खुदी देख ग्रामीणों ने बुलाई पुलिस, बरेली ले जाना पड़ा शव

हरिभूमि न्यूज : मुलाना ( अंबाला )
शनिवार की सुबह गांव धनौरा में उस समय विवाद खड़ा हो गया जब अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ लोग एक बुजुर्ग धर्मगुरु के शव को दफनाने के लिए गांव के रिहायशी इलाके में स्थित एक प्लॉट में कब्र खोदने पहुंच गए। उक्त लोगों द्वारा लगभग पूरी कब्र खोद भी ली गई थी जिसकी भनक ग्रामीणों को लग गई। ग्रामीणों ने रिहायशी एरिया में कब्र खोदने व शव दफनाने का विरोध किया। वहीं अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों ने अपनी बात रखते हुए कहा कि उनके 95 वर्षीय गुरु की मौत सढौरा क्षेत्र में हुई है।
उनका एक प्लॉट गांव धनौरा में स्थित है। उन के गुरु की अंतिम इच्छा थी कि उनका शव उनके प्लॉट में किया जाए और पक्की कब्र बनाई जाए। जिस के बाद वह यहां पहुंचे है । लेकिन गांव के मुस्लिम समाज के लोगों व अन्य बिरादरी के बाशिंदों ने रिहायशी जगह में शव दफनाने का विरोध किया। ग्रामीणों ने शव दफानने को आए लोगों को कहा कि वह शव को गांव के कब्रिस्तान में दफना सकते हैं। मामला गर्माता देख पूरा गांव वहां एकत्रित हो गया। जिसके बाद सूचना पाकर पुलिस मौक पर पहुंची।
क्या था मामला
दरसल अल्पसंख्यक वर्ग के एक बुजुर्ग गुरु की सढ़ौरा में मृत्यु हुई थी जिस के बाद अल्पसंख्यक वर्ग के लोग उन्हें दफनाने के लिए गांव धनौरा में पहुंचे थे। स्थानीय मुस्लिमों व अन्य ग्रामीणों का कहना था कि शव को कब्रिस्तान में दफनाना चाहिए न कि रिहाशी इलाके में। वहीं शव दफनाने को गांव में पहुंचे बाहरी लोगों का कहना था कि उक्त प्लाट उनके गुरू ने खरीद किया था और वह अपने गुरु की इच्छानुसार शव को उनके प्लाट में ही दफनाना चाहते है। स्थानीय लोगों ने शव को आबादी वाली जगह में दफनाने से मना कर दिया। अमित कुमार नायब तहसीलदार मुलाना ने मौंके पर पहुंच मामले की जांच कर दोनों पक्षों की बात को सुना और मध्यस्ता की। काफी देर बाद शव लेकर आए लोग अपने गुरु के शव को बरेली में ले जाकर दफनाने पर राजी हो गए और खोदी गई कब्र को प्रशासन ने बंद करवा दिया।
बरेली का रहने वाला था मृतक तथाकथित गुरु
जुटाई गई जानकारी के अनुसार तथाकथित गुरु सूफी हबीबुल्ला की करीब 95 वर्ष की आयु में सढ़ौरा क्षेत्र के एक गांव में मौत हुई जबकि वो बरेली के रहने थे। बरेली उनका परिवार भी रहता है जबकि वो करीब 20 साल यमुनानगर के जागधौली गांव भी रहे । बीते कुछ सालों से वो धनौरा गांव में रह रहे थे। जहां उन्होंने करीब पांच साल पहले सढ़ौरा दोसडक़ा मार्ग पर आश्रम बनाने के लिए जगह ली थी। उनके अनुयायी जुनैद नियाजी के अनुसार यहां दफन होने की उनकी अंतिम इच्छा थी।
कब्र खुदती देख ग्रामीणों ने किया 112 पर कॉल
सुबह-सुबह गांव धनौरा में एक निजी प्लाट में कब्र को खुदता देख ग्रामीणों ने 112 नंबर पर पुलिस को कॉल की । पुलिस तुरंत मौके पर पंहुची । पुलिस के पहुंचते ही मौके पर भारी संख्या में ग्रामीण पहुंच गए। ग्रामीणों ने अल्पसंख्यक समुदाय गुरु को वहां दफनाने का पुरज़ोर विरोध किया। ग्रामीणो ने कहा कि यह जगह आश्रम बनाने के लिए ली गई बताई जा रही है तो यहां आश्रम बनाए लेकिन किसी को यहां दफनाने नहीं दिया जाएगा। ग्रामीणों ने बताया कि अल्पसंख्यक समुदाय के गुरू को दफनाने की जिद उनके बाहरी अनुयायी कर रहे है, जबकि स्थानीय अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी यही चाहते है कि उन्हें कब्रिस्तान में दफनाया जाए। अल्पसंख्यक समुदाय के गुरू सूफी की कब्र खोदने पहुंचे अधिकतर लोग बाहरी थे। जिनपर धनौरा ग्रामीणों ने गांव का सौहार्द बिगाडऩे के आरोप भी लगाए।
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