गजेंद्र चौहान को सुपवा का कुलपति नियुक्त करते ही विवाद शुरू, इनेलो ने उठाए सवाल

चंडीगढ़। इनेलो के प्रधान महासचिव एवं ऐलनाबाद के विधायक अभय चौटाला ने गजेंद्र चौहान को पंडित लख्मीचंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ परफार्मिंग एंड विजुअल आर्ट्स रोहतक ( सुपवा ) का कुलपति लगाए जाने को उच्च शैक्षणिक संस्थानों की नींव कमजोर करने वाला कदम बताया है। उन्होंने कहा कि यह हरियाणा प्रदेश की विडंबना है कि भाजपा सरकार द्वारा बाहरी और दागी लोगों को शिक्षा क्षेत्र के कुलपति जैसे अहम पदों पर लगाया जा रहा है। गजेंद्र चौहान को कुलपति बनाने के लिए सभी नियमों को ताक पर रख कर शैक्षणिक योग्यता और मापदंडों में बदलाव किया गया है जो बेहद चिंता का विषय है।
अभय चौटाला ने कहा कि इससे पहले चौहान को 2015 में महाराष्ट्र के पुणे स्थित फिल्म और टेलीविजन संस्थान का चेयरमैन बनाया गया था और नियुक्ति के समय ही संस्थान के छात्रों, अध्यापकों और संस्थान से पासआउट अभिनेताओं ने भारी विरोध किया था। भारी विरोध के चलते ही 2017 में चौहान को एफटीआईआई के चेयरमैन का पद छोडऩा पड़ा था। चौहान के चरित्र का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसने वाहवाही लूटने के लिए ट्वीट कर प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के अवार्ड जीतने का झूठा प्रचार किया था लेकिन लोगों का विरोध और अपनी फजीहत होते देख ट्वीट डिलीट करना पड़ा।
अभय सिंह चौटाला ने कहा कि भाजपा लगातार ऐसे लोगों को जो भ्रष्टाचार और संगीन जुर्म में संलिप्त हैं, उनको शिक्षण संस्थानों में बड़े पदों पर नियुक्ति देकर हमारी शिक्षा पद्धति और संस्कृति को खत्म करना चाहती है। जबसे भाजपा सत्ता में आई है तब से ऐसे अनेकों उदाहरण हैं, जब दागी और अयोग्य लोगों को शिक्षा के सर्वाेच्च शिखर माने जाने वाले विश्वविद्यालयों में कुलपति जैसे संवैधानिक पदों पर नियुक्ति देकर छात्रों पर जबरन थोंपा है। चौहान जो कि अगर महाभारत धारावाहिक को छोड़ दें तो हमेशा सी-ग्रेड फिल्मों में अभिनय करने वाले अभिनेता रहे हैं और हमारे समाज और संस्कृति में ऐसे लोगों का कोई स्थान नहीं है।
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