Corona : डेल्टा और ओमिक्रॉन के लक्षणों में ये हैं अंतर, सावधानी के इन 4 तरीकों से ही बचाव संभव

हरिभूमि न्यूज. रेवाड़ी
कोरोना का ओमिक्रोन वेरिएंट भले ही दूसरी लहर में आए डेल्टा से सेहत को भले ही कम प्रभावित कर रहा हो, परंतु संक्रमण का फैलाव पहले से करीब पांच गुणा ज्यादा है। कम ताकतवर होते हुए भी क्रोनिक मरीजों के लिए यह वेरिएंट घातक साबित हो सकता है। सुरक्षा के चार मंत्र अपनाकर न केवल खुद को सुरक्षित किया जा सकता है, बल्कि दूसरों की सेहत को भी स्वस्थ्य रखने में सहयोग दिया जा सकता है। सुरक्षा के इन चार तरीकाें मॉस्क, सोशल डिस्टेसिंग, सेनेटाइजेशन व वैक्सीनेसन को अपनाकर कोरोना को मात देना संभव है।
किसी भी स्तर पर की गई थोड़ी सी लापरवाही संक्रमण का फैलाव का कारण बन सकती है। जिससे खुद के साथ दूसरों की जिंदगी को भी खतरा बढ़ सकता है। संक्रमण की रफ्तार अधिक होते हुए कोरोना के नए वेरिएंट के डेल्टा से कमजोर पड़ने की मुख्य वजह वैक्सीन को माना जा रहा है। तीसरी लहर में कोरोना को लेकर हरिभूमि द्वारा विशेषज्ञ चिकित्सकों से की गई बातचीत में कुछ इसी प्रकार के तथ्य उभरकर सामने आए।
डेल्टा व ओमिक्रोन में अंतर
दूसरी वेव में आया डेल्टा व तीसरी वेव में आया ओमिक्रोन दोनों कोरोना का रूप तो हैं, परंतु अब तक दोनों में पाए गए अंतर से विशेषज्ञों ने ओमिक्रॉन की बजाय डेल्टा को अधिक खतरनाक माना है। जिसके अंतर को ऐसे समझा जा सकता है।
डेल्टा : तेज बुखार, बदन दर्द, सांस लेने में दिक्कत, स्वाद का महसूस ना होना, गले में दर्द, खांसी जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। संक्रमण के फैलाव की गति कम होने के बावजूद फेफड़ों पर प्रहार करने के कारण इसे अधिक घातक माना जाता है।
ओमिक्रॉन : हल्का बुखार, खांसी, जुकाम व गला खराब होता है। स्वाद में कोई फर्क नहीं पड़ता और डेल्टा की तुलना में पांच गुणा रफ्तार के साथ फैलता है। गंभीरता से नहीं लेने व क्रोनिक मरीजों के लिए कमजोर होते हुए भी यह घातक साबित हो सकता है।
चार तरीकों से बचाव संभव
सिटी हर्ट अस्पताल के फिजिशियन विशेषज्ञ डॉ. पवन गोयल ने कहा कि देखने में कमजोर लग रहे ओमिक्रोन को हल्के में लेना बड़ी भूल साबित हो सकती है। मॉस्क, सेनेटाइजेशन, सोशल डिस्टेसिंग व वैक्सीनेसन कोरोना से बचाव का मूल मंत्र है। सभी प्रकार की वैक्सीन कोरोना से बचाव में कारगर हैं।
वायरस का कमजोर पड़ना शुभ संकेत
ग्लोबल अस्पताल के फिजिशियन विशेषज्ञ डॉ. नरेश सत्संगी ने वायरस का कमजोर पड़ना शुभ संकेत हैं। वैक्सीनेसन या मोटेशन कारण चाहे जो भी हो। संक्रमण के फैलने की गति अधिक होने के कारण थोड़ी सी लापरवाही घातक साबित हो सकती है।
लंबी अवधि तक रहता है बुखार
गंगा सहाय अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. हेमेश्वर गुप्ता ने कहा कि देखने में यह भले ही सामान्य दिख रहा है, परंतु इसे कम करके आंकना जीवन को जोखिम में डाल सकता है। विशेषकर लंबी अवधि तक बुखार व खांसी को हल्के में लेना भारी भूल होगी।
वैक्सीन ले चुके लोगों पर असर कम
शांति यादव अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. करतार यादव ने कहा कि वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके लोगों पर नए वैरिएंट का प्रभाव कम दिख रहा है। सामान्य बुखार व खांसी, गला खराब होने के साथ कभी तेज बुखार भी देखने को मिल रहा है। नियमों का पालन व वैक्सीन बचाव का बेहतर तरीका है।
बचाव में ही सुरक्षा
विराट अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. विराट ने कहा कि सुरक्षा ही सबसे बेहतर उपाय है। कोई भी लक्ष्ण दिखाई देने पर विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह लें और जरूरत पड़ने पर खुद को घर में आइसोलेट करें। बिना वजह इधर-उधर घूमने से बचे।
क्रोनिक लोगों को अधिक खतरा
आईएमए के प्रधान डॉ. आरबी यादव ने कहा कि नया वेरिएंट भले ही फिलहाल कमजोर दिख रहा हो, परंतु क्रोनिंग मरीजों के लिए घातक साबित हो सकता है। लोग घबराए नहीं, सावधानी रखें। जिले में उपचार के सभी संसाधन मौजूद हैं।
पुख्ता हैं हमारी सभी तैयारियां
रेवाड़ी के सीएमओ डॉ. कृष्ण कुमार ने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए हमारी तैयारी पुख्ता है। 1281 बैडाें के अलावा ऑक्सीजन सहित हर प्रकार की सुविधा मौजूद है। आमजन भी मॉस्क, सोशल डिस्टेसिंग, सेनेटाइजेशन जैसे नियमों का पालन कर व नियमानुसार वैक्सीन लगवाकर कोरोना को हराने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। महामारी को हराने में सामूहिक प्रयास कारगर साबित होंगे।
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