त्योहारी सीजन : पेंट की दुकानों पर कोरोना की मार, गत वर्षों की तुलना में आधा ही रह गया कारोबार

हरिभूमि न्यूज : महेंद्रगढ़
दीपावली नजदीक है। ऐसे में लोग अपने घरों, दुकानों व अन्य प्रतिष्ठानों की भी साफ-सफाई के लग गए हैं। साफ-सफाई के साथ-साथ लोग रंग रोगन भी करने लगे हैं, मगर इस बार रंग-रोगन कम ही लोग कर रहे हैं। जिस कारण पेंट की दुकान पर सीजन होने के बावजूद भीड़ नहीं है तथा पेंट विक्रेता दिनभर ग्राहकाें का इंतजार करते दिखाई दे जाते हैं। पेंट विक्रेताओं की माने तो इस बार गत वर्षों की तुलना में आधा ही काम रह गया है। जिसके कारण उनके व्यवसाय पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। सीजन में भी ग्राहक न आने से रंग-रोगन के व्यापारी मायूस हैं।
दीपावली बड़ा पर्व माना जाता है। इस पर्व को लेकर लोग एक माह पहले से ही तैयारियां शुरू कर देते हैं। दीपावली पर लोगों द्वारा अपने घराें की साफ-सफाई तथा उनकी रंगाई पुताई का कार्य भी किया जाता है। घरों के अलावा लोग अपने प्रतिष्ठानों की भी रंगाई पुताई करते हैं। जिसके कारण दीपावली के आसपास न तो रंग रोगन के दुकानदारों के पास समय होता है न ही रंग रोगन करने वाले मजदूरों के पास, मगर इस बार उल्टा हो रहा है। कोरोना की दो-दो लहर आने तथा तीसरी लहर के संकेत के कारण रंगाई पुताई का काम लोग कम ही करवा रहे हैं। जिसके कारण रंग रोगन की दुकानों पर भीड़ होने की बजाए सन्नाटा पसरा हुआ है। शहर में दस के करीब पेंट की दुकानें हैं। इन दुकानों के दुकानदारों ने बताया कि इस बार कोरोना की मार उनके व्यवसाय पर पड़ी है।
पेंट का कारोबार करने वाले राकेश कुमार की माने तो कोरोना ने उनके व्यवसाय को खत्म सा कर दिया है। उन्हांेने कहा कि दीपावली पर दो साल पूर्व जो भीड़ पेंट की दुकानों पर होती थी, वह अन्य किसी भी दुकान पर नहीं होती थी। मगर इस बार बिल्कुल विपरित है। उनका कहना है कि अभी तक कारोबार मुश्किल से गत वर्ष की तुलना में 65 प्रतिशत तक ही पहुंचा है। उन्होंने बताया कि काम बिल्कुल आधा ही रह गया है। उनका कहना है कि रंग पेंट के दाम भी इस बार ज्यादा नहीं बढ़े हैं, मगर कारोबार ज्यादा नहीं हुआ है।
कोरोना के कारण इस बार लोगों की कमर टूट गई है। पूर्व में दीपावली से पहले हर घर में लोग रंग पेंट करवाते हुए दिखाई दिया करते थे, मगर इस बार घरों या प्रतिष्ठानों के रंग रोगन करवाता हुआ कोई दिखाई नहीं दे रहा है। दुकानदाराें की माने तो कोरोना की दो लहर आने के बाद तथा तीसरी लहर की संभावना के चलते लोग आर्थिक रूप से कमजोर हो गए हैं, जो संपन्न लोग हैं, वो भी तीसरी लहर की आशंका के चलते कोई खास रुचि रंग रोगन में नहीं दिखा रहे हैं।
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