कोरोना ने छीना सैकड़ों बच्चों से माता-पिता का साया, अब सरकार ने सुध ली

कोरोना ने छीना सैकड़ों बच्चों से माता-पिता का साया, अब सरकार ने सुध ली
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उच्च न्यायालय के आदेश पर सरकार ने कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों का डाटा महिला एवं बाल विकास विभाग के पोर्टल पर अपलोड करने के आदेश दिए हैं।

सूरज सहारण : कैथल

पिछले दो सालों से देश व प्रदेश में चल रहे कोरोना के कहर के कारण हजारों बच्चों के सिर से माता-पिता का साया उठ गया है। ऐसे में ये बच्चे अनाथ होकर रह गए हैं। लंबे समय के इंतजार के बाद अब सरकार ने ऐसे बच्चों की सुध ली है। इसमें उच्च न्यायालय के आदेश पर ही सरकार ने कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों का डाटा महिला एवं बाल विकास विभाग के पोर्टल पर अपलोड करने के आदेश दिए हैं।

महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत प्रदेश में आठ दत्तक ग्रहण एजेंसी चलाई जा रही हैं। इनमें छह सरकारी तथा दो समाजसेवी व धार्मिक संस्थाओं के सहयोग से चलाई जा रही हैं। प्राइवेट एजेंसी कैथल तथा फरीदाबाद में चलाई जा रही हैं। इसके अलावा सरकारी एजेंसी हिसार, चंडीगढ़, बहादुरगढ़, रेवाड़ी और सोनीपत में चलाई जा रही हैं। प्रदेश भर कहीं से भी मिलने वाले लावारिस व अनाथ बच्चों को बाल कल्याण कमेटी की मदद से पुलिस व समाजसेवी संस्थाओं द्वारा इन स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसियों में भेजा जाता है। यहां पर बच्चे की मेडिकल के साथ-साथ उन्हें सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाई जाती हैं। यही नहीं यहां रहने वाले अनाथ बच्चों को विभागीय पोर्टल के माध्यम से निसंतान दंपतियों को गोद भी दिया जाता है। यदि बाल उपवन आश्रम स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी कैथल की बात की जाए तो इस एजेंसी को श्री सनातन धर्म सभा चलाया जा रहा है। इसमें से अब तक करीब 30 से भी अधिक बच्चों को गोद दिया गया है। यही नहीं एजेंसी की एक बच्ची को बैल्जियम के दंपति ने भी गोद लिया है। इन एजेंसियों की समय-सयम पर जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार के अधिकारियों द्वारा जांच भी की जाती है ताकि बच्चों को बेहतरीन सुविधाएं मिल सकें।

अकसर देखने में आता है कि समाज में अनचाही संतान को कई बार सुनसान में फेंक दिया जाता है। यह अपराध की श्रेणी में आने के साथ-साथ समाज को भी शर्मशार करता है। इसे रोकने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जिले के सभी नागरिक अस्पतालों तथा स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसियों में शिशु पालने रखवाए गए हैं। इन पालों में कोई भी व्यक्ति बिना अपनी पहचान बताए अपने बच्चे को छोड़ सकता है। यही नहीं यदि कोई व्यक्ति या महिला अपने बच्चे के पालन-पोषण में असमर्थ है तो वह भी उसे स्पेशलाइज्ड डॉप्शन एजेंसी में छोड़ सकती है।

आनलाइन पोर्टल पर आवेदन के माध्यम से लिया जा सकता है बच्चे को गोद

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा समाज में मिलने वाले अनाथ बच्चों के सुखद भविष्य को देखते हुए इन बच्चों को गोद देने की प्रक्रिया भी चलाई है। इसके लिए विभाग द्वारा कारा डाट एनआईसी डाट इन- वैबसाइट पर विशेष पोर्टल चलाया गया है। इस पोर्टल पर सभी स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसियों का डाटा आनलाइन रखा गया है। कोई भी नि:संतान दंपति या जिसके बाद पहले से दो बच्चे हों, वह बच्चा गोद ले सकता है। इसके लिए इच्छुक व्यक्ति को संबंधित पोर्टल या स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसियों के माध्यम से आनलाइन आवेदन करना होता है। व्यापक जांच व पूछताछ उपरांत दस्तोवजों की वैरीफिकेशन उपरांत इच्छुक दंपति को इन एजेंसियों से न्यायालय के माध्यम से बच्चा गोद दिया जाता है।

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