कोराेना वैक्सीन चोरी मामला : पर्जी पर 'सॉरी पता नहीं था यह कोरोना की दवाई है' लिखकर युवक पुलिस थाने में दे गया सभी वैक्सीन

हरिभूमि न्यूज. जींद
जिला मुख्यालय स्थित नागरिक अस्पताल के पीपी सेंटर का बीती रात ताला तोड़कर चोरी की गई कोविड 19 से संबंधित कोविशिल्ड तथा कोवैक्सीन की 1710 डोज शाम को नाटकीय ढंग से सिविल लाइन थाना पहुंच गई। चोरीशुदा वैक्सीन डोज को चेहरा ढांपा बाइक सवार युवक थाने के बाहर बने खोखे पर मुंशी की रोटी कहने की बात कहकर दे गया। युवक साथ में एक पर्ची भी छोड़कर गया है जिसमें लिखा है कि सॉरी, मुझे पता नहीं था यह कोरोना की वैक्सीन है।
अब सिविल लाइन थाना पुलिस सीसी टीवी फूटेज के माध्यम से बाइक सवार युवक का सुराग लगाने में जुटी हुई है। हालांकि पीपी सेंटर से गायब हुई फाइलों का अभी तक कोई सुराग नहीं लगा है। फिलहाल सिविल लाइन थाना पुलिस मामले की जांच कर रही है। सामान्य अस्पताल के पीपी सेंटर में बुधवार शाम को कैंपों से बची हुई 1710 वैक्सीन डोज को वहां रखे फ्रीज में रखा गया था। मध्य रात्रि को चोराें ने पीपी सेंटर के तालों को तोड़ कर फ्रीज में रखी वैक्सीन डोज तथा दूसरे कमरे में रखी इंकवायरी फाइलों को चोरी कर लिया। चोरी की घटना का सुबह उस समय पता चला जब स्टाफ पीपी सेंटर पर पहुंचा। हैरानी इस बात की है कि पीपी सेंटर में दवाइयों का स्टोर भी है। स्टोर से कोई दवाई गायब नहीं हुई।
50 हजार रुपये की नगदी को भी नहीं छेड़ा
इसके अलावा पीपी सेंटर में रखी 50 हजार रुपये की नगदी को भी नहीं छेड़ा गया। पीपी सेंटर से वैक्सीन डोज तथा फाइलें गायब होने पर हड़कंप मच गया। घटना की सूचना पाकर सीएमओ डा. मनजीत सिंह मौके पर पहुंचे और हालातों का जायजा लिया। बाद में डीआईजी कम एसपी ओपी नरवाल भी पीपी सेंटर में पहुंचे और उन्होंने टूटे हुए तालों, चोरी हुए सामान वाले कमरों की बारीकि से जांच की और जानकारी को जुटाया। वीरवार शाम को मामले में उस समय नाटकीय मोड आ गया जब चोरी हुई वैक्सीन डोज सिविल लाइन थाना में पहुंच गई। बताया जाता है कि चेहरा ढांपे बाइक सवार युवक सिविल लाइन थाना के बाहर बने खोखे पर कपड़े में लपेटकर उन्हें यह कहकर दे गया कि थाने के मुंशी की रोटियां है। चोरी हुई कोरोना वैक्सीन का नाटकीय ढंग से सिविल लाइन थाना पहुंचना चर्चा का विषय बना रहा।
सभी वैक्सीन खराब
पीपी सेंटर से अढाइ लाख रुपये कीमत की 1710 वैक्सीन डोज व महत्वपूर्ण फाइलों के गायब होने के पीछे मामला पूरी तरह संदिग्ध बन रहा है। चिकित्सकों के अनुसार वैक्सीन डोज नॉर्मल तापमान में एक घंटे में खराब हो जाती है। खुली रखने पर महज दस मिनट में खराब हो जाती है। जब लोग जागरूकता के बाद भी वैक्सीन डोज लगवाने से बच रहे हैं तो भला वैक्सीन डोज चोरी करने मे क्या फायदा, फिर अलमारियों में रखी फाइलों को क्यों चोरी किया गया। जबकि अलमारी में 50 हजार रुपये की नगदी रखी हुई थी। उसे नहीं छेड़ा गया, न ही वहां पर रखे लैपटॉप व कंप्यूटरों को चोरी किया गया। सबसे बड़ी बात यह कि पीपी सेंटर में दवाइयों का स्टोर भी है जिसमे काफी मंहगी दवाइयां भी थी। फिर दवाइयों वाले स्टोर को क्यों नहीं छेड़ा गया। जिस फ्रीज में वैक्सीन डोज रखी गई थी उन फ्रीजों में और भी दवाइयां थी। उन्हें नहीं छेडा गया। वैक्सीजन डोज के माध्यम से फाइलों को उडाना मुख्य मकसद रहा है।
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