सड़कों को निगल रहा भ्रष्टाचार : गुणवत्ता विहीन निर्माण करने वालों के खिलाफ कमीशन के फेर में नहीं होती कोई कार्रवाई

सड़कों को निगल रहा भ्रष्टाचार : गुणवत्ता विहीन निर्माण करने वालों के खिलाफ कमीशन के फेर में नहीं होती कोई कार्रवाई
X
हालत यह है कि सड़क निर्माण व मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपए खर्चने के बावजूद कुछ दिनों में उनकी हालत जर्जर हो रही। अब दोबारा मरम्मत की योजना बनाई जा रही है। कार्रवाई करने की बजाय शासन और प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है।

रवींद्र राठी. बहादुरगढ़। राजनीतिक रूप से प्रेरित भ्रष्टाचार(Corruption) विकास के लिए एक व्यापक चुनौती बन गया है। क्षेत्र से गुजरने वाले नेशनल हाइवे से लेकर स्टेट हाइवे तक ध्वस्त हो रहे हैं। शहर की अंदरूनी सड़कों की हालत भी बेहद खस्ता है। हालत यह है कि सड़क निर्माण व मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपए खर्चने के बावजूद कुछ दिनों में उनकी हालत जर्जर हो रही। अब दोबारा मरम्मत की योजना बनाई जा रही है। कार्रवाई करने की बजाय शासन और प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। हर तरह की सड़क भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है। कुछ समय पहले बनी सड़कों की स्थिति ऐसी हैं कि मानो बरसों से बनी ही नहीं। शहर की कई सड़कें जानलेवा हो गई हैं। हादसे की आशंका बनी हैं। फिर भी नेता-अफसर आंखें मूंदे बैठे हैं।

जी हां, सेक्टर-6 में नगर परिषद द्वारा कभी 10 करोड़ से सीमेंट कंक्रीट की सड़कें बनाई जाती हैं, तो कभी 6 करोड़ से तारकोल की सड़कें व इंटरलॉकिंग टाइलें बिछाई जाती हैं। असल में आगे-आगे टाइलें बिछाई जा रही थी और पीछे-पीछे उखाड़ी जा रही थी। वेस्ट जुआं ड्रेन पर 67 करोड़ रुपए में रिमॉडलिंग के काम के तहत सीसी सड़क बनती है, लेकिन हैंडओवर से पहले यह सड़क टूट जाती है। निर्माण करने वाली एजेंसी पर कार्रवाई करने की बजाय नगर परिषद इसकी मरम्मत करने का प्रस्ताव बैठक में पास करती है। इसके विरुद्ध आवाज उठाने की बजाय जनता के चुने हुए प्रतिनिधि ठेकेदार को लाभ पहुंचाने वाले निर्णय पर सहमति जता देते हैं।

बहादुरगढ़ से बालौर होते हुए इस्सरहेड़ी तक की सड़क के निर्माण पर करीब 6 करोड़ खर्च किए गए, लेकिन निर्माण के दौरान ही यह सड़क कई जगह से उखड़ गई थी। परिणाम यह हुआ कि कुछ महीने में सड़क जर्जर हो गई। सेक्टर-6 और सेक्टर-9 की अंदरूनी सड़कों की गुणवत्ता भी बेहद खराब थी। हालत यह है कि इन सड़कों पर चलना भी बड़ी चुनौती है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि बनने के साथ सड़क क्यों टूट रही हैं? सड़क निर्माण के दौरान करोड़ों की राशि का बंदरबांट होता है। नीचे से लेकर ऊपर तक, अफसर से लेकर नेता तक सब अपना हिस्सा लेने के लिए गुणवत्ता से हुए समझौते को नजरअंदाज कर देते हैं।

कई अधिकारियों का दावा है कि ओवरलोडेड वाहनों से सड़क टूट रही हैं। लेकिन असलियत में कमीशन का खेल सड़कों पर भारी पड़ रहा है। जानकारों की मानें तो सड़क निर्माण में नीचे और ऊपर की परत की मात्रा मानक से कम दी जाती है और ठेकेदार पैसे बचाने के चक्कर में घटिया क्वालिटी की सामग्री इस्तेमाल करता है। ऐसे में जब उन सड़कों से ओवरलोड वाहन गुजरते हैं, सड़क धंसने और टूटने लगती है और कुछ दिनों में ही वहां खतरनाक गड्ढे बन जाते हैं। हालांकि गुणवत्ता जांचने के लिए अधिकारियों की मॉनिटरिंग कमेटी भी बनाई जाती है और थर्ड पार्टी भी शामिल की जाती है, लेकिन तमाम प्रयास भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं।

बहादुरगढ़। जर्जर सड़कों में बने गड्ढों से गुजरते वाहन।

एक ओर सड़क बनती है, तो दूसरी ओर सड़क उखड़ती है। शहर में सड़क निर्माण कार्य में खुलकर भ्रष्टाचार हो रहा है। कुछ दिन पहले झज्जर रोड पर एक छोटे से हिस्से को रिपेयर किया जाता है। लाखों रुपए का बिल बनता है, लेकिन इससे पहले ही सड़क में गड्ढे हो जाते हैं। जिसके चलते राहगीर परेशान हैं। आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे ठेकेदार इतनी घटिया सड़क बना रहे हैं कि लोग जर्जर सड़कों पर चलने से कतरा रहे हैं। विभागीय अफसरों के द्वारा इसकी मॉनिटरिंग करने की बजाय अपने कमीशन तक ध्यान केंद्रित किया जाता है। डिफेक्ट लाइबिलिटी पीरियड के दौरान भी अधिकारी-नेता ठेकेदारों पर पूरी तरह से मेहरबानी बरतते हैं।

ये भी पढ़ें- हरियाणा सरकार ने निकाय प्रधानों से छीन ली चेक पर हस्ताक्षर करने की पावर

Tags

Next Story