Cough Syrup Death Case : विवादों में घिरी 66 बच्चों की मौत की जांच, चीफ ड्रग कंट्रोलर पर जांच से पहले सैंपल बदलने के आरोप

Cough Syrup Death Case : विवादों में घिरी 66 बच्चों की मौत की जांच, चीफ ड्रग कंट्रोलर पर जांच से पहले सैंपल बदलने के आरोप
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पानीपत के एक अधिवक्ता ने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री व विजिलेंस को शिकायत कर प्रदेश के चीफ ड्रग कंट्रोलर पर करोड़ों रुपये लेकर जांच से पहले सैंपल बदलने के आरोप लगाकर नया विवाद खड़ा कर दिया है।

मोहन भारद्वाज-रोहतक। हरियाणा में बनी कफ सिरप से अफ्रीकी देशों में 66 बच्चों की मौत का मामला एक बार फिर विवादों में घिरता नजर आ रहा है। पानीपत के एक अधिवक्ता ने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री व विजिलेंस को शिकायत कर प्रदेश के चीफ ड्रग कंट्रोलर पर करोड़ों रुपये लेकर जांच से पहले सैंपल बदलने के आरोप लगाकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। जिसमें विभागीय अधिकारियों के साथ कुछ ड्रग कंपनियों के मालिकों के शामिल होने के भी आरोप लगाए है।

शिकायत में ड्रग कंट्रोलर पर सरकारी पद पर रहते हुए अंबाला के बलदेव नगर में एक फार्मा कंपनी लगाने व कई कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी करने की भी बात कही है। अधिवक्ता यशपाल ने अपनी शिकायत में चीफ ड्रंग कंट्रोलर पर विवादित मेडेन फार्मास्यूटिकल कंपनी मालिक से करोड़ों रुपये का लेनदेन कर अपने प्रभाव का प्रयोग करते हुए जांच से पहले सैंपल बदलवाने व जांच रिपोर्ट को प्रभावित करने के आरोप लगाए हैं।

शिकायत में सैंपल रिकॉल कर सरकारी लैब से पुन जांच करवाने व चीफ ड्रग कंट्रोल के कार्यकाल में हुए भ्रष्टचार की जांच करवाने की मांग की है। एडवोकेट यशपाल ने मनमोहन तनेजा के रोहतक में पदस्थ रहते हुए कार्यालय से फाइल गुम होने से शुरू हुए सफर से लेकर एक दिसंबर 2021 को चीफ ड्रग कंट्रोलर के पद पर आसीन होने से अब तक के सफर में उन पर भ्रष्ट्राचार से करोड़ों की संपत्ति बनाने व इस काम में उनका साथ देने वाले अधिकारियों व फार्मा कंपनी मालिकों का भी जिक्र किया गया है।

यहां भी हो चुकी हैं मौत

कफ सिरप से 2022 में गाम्बिया में हुई 66 बच्चों की मौत होने का अकेला मामला नहीं है। इससे पहले 1986 में मुंबई में 21 बच्चों की मौत भी इलाज के दौरान हुई थी। 2020 में जम्मू कश्मीर में 12 बच्चों की मौत हो चुकी है। खास बात यह है कि जिस कपांउड से 66 बच्चों की मौत हुई थी उसी कपांउड से मुंबई में भी मौत हुई थी।

इंसान के लिए जहर

डब्ल्यूएचओ ने खांसी की दवा में डाइथीलिन ग्लाइकोल व इथिलेन ग्लाइकोल को इंसान के लिए जहर करार दिया है। बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदारी मानी गई खांसी की दवा में इनकी मात्रा निर्धारित से अधिक होने का दावा किया गया था। ऐसे सिरप से पेट दर्द, सिरदर्द, उल्टी, दस्त, पेशाब करने में कठिनाई, मानसिक स्थिति में परिवर्तन और गुर्दे को गंभीर नुकसान होने के साथ मौत भी हो सकती है।

हमारी भूमिका नहीं

बच्चाें की मौत के बाद केंद्र मामले की जांच कर रहा है। इस पूरे प्रकरण में ड्रग विभाग की कोई भूमिका नहीं है। ऐसे में जांच प्रभावित करने का सवाल ही नहीं उठता। मुझ पर लगाए गए सभी प्रकार के आरोप निराधार है। - मनमोहन तनेजा चीफ ड्रग कंट्रोलर, हरियाणा।

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