रेवाड़ी में भूख से मर रहीं गाय : 500 गोवंश को गोशाला में 3 दिन से नहीं मिला चारा, अधिकारियों को नहीं परवाह

हेमंत शर्मा : रेवाड़ी
भ्रष्टाचार के मामले में चर्चित रहने वाले नगर परिषद के अधिकारियों को उन बेजुबान जानवरों का पेट भरने के लिए चारे की व्यवस्था करने की फुर्सत नहीं है, जिन्हें शहर से पकड़ने के बाद गोशाला में छोड़ा जाता है। पशु चारा सप्लाई करने वाले ठेकेदार का पेमेंट नहीं करने पर उसने गोशाला में चारा भेजना बंद कर दिया है। गोशाला प्रबंधन बार-बार इन अफसरों से फरियाद लगा रहा है, परंतु अधिकारियों को इसकी कोई परवाह नहीं है। नतीजा यह है कि करीब 500 गोवंश को तीन दिन से चारा नहीं मिल पाया है, हालांकि गोसेवक गोवंश का चारा प्रबंध करने में लगे हुए हैं, लेकिन फिलहाल गोवंश का भूख से मरने का संकट खड़ा हो चुका है। चारे की समस्या को लेकर गुरुवार को काफी गोसेवकों ने प्रदर्शन करके सचिवालय में डीडीपीओं एचपी बंसल को ज्ञापन भी सौंपा।
शहर और कस्बों में घूमने वाले गोवंश को पकड़ने के बाद नगर परिषद धारूहेड़ा स्थित श्री नंदू गोशाला में पहुंचाती है। नप अधिकारियों ने गोशाला संचालकों को आश्वासन दिया हुआ है कि वह इन पशुओं के चारे की कोई कमी नहीं आने देंगे। नप और नपा दोनों बड़ी संख्या में पशुओं को पकड़कर इस गोशाला में पहुंचा देते हैं। इसके बाद अधिकारी इस बात की सुध नहीं लेते कि इन पशुओं को भरपेट चारा मिल रहा है या नहीं। गोशाला प्रबंधन के पास आय के ऐसे स्रोत नहीं हैं, जिनके दम पर वह बड़ी संख्या में गोवंश के चारे का इंतजाम कर सकें। ठेका खत्म होने के पर ठेकेदार भी चारा भेजना बंद कर देता है।
शहर में कचरे में मुंह मार रहे गोवंश
नगर परिषद में पार्षदों व अधिकारियों की खींचातानी में शहर के कार्य व समस्याएं बढ़ती जा रही है। दो सप्ताह पहले एडवोकेट सुधी भार्गव की शिकायत पर कोर्ट के आदेश पर भी अभी तक शहर की सड़कों पर गोवंश घूम रहे है यहां तक की डंपिंग स्टेशनों पर लगे कूड़े के ढेर में मुंह मार रहे है। 21 नवंबर को हुई बैठक के हंगामें की भेंट चढ़ जाने पर गोशाला में चारे की अदायगी की स्वीकृति का प्रस्ताव भी रखा रह गया, जिससे ठेकेदार की पेमेंट न होने पर उसने तीन दिन से गोशाला में चारा भेजना बंद किया हुआ है।
5 साल में तीन गुना महंगा हुआ चारा
पशुपालक भी इन दिनों महंगे चारे की समस्या का सामना कर रहे है। शहर में चारे की कमी के कारण पंजाब से चारा लाया जा रहा है। चारा महंगा होने के कारण नई अनाजमंडी के बाहर 5 दिन से गाडि़यां भरी हुई खड़ी है। बाजरा की फसल अधिक बरसात के कारण खराब हो गई थी, जिससे बाजरे से बनने वाला पशुचारा काफी कम हुआ था। कड़बी के काला पड़ जाने के कारण पशुपालक खरीद नहीं रहे है। काली पड़ी कड़बी का भव भी 800 रुपए प्रति क्विंटल है। 5 साल पहले तूड़े के भव जहां 650 रुपए क्विंटल के करीब थे उसके भाव आज 1600 रुपए क्विंटल हो गए है। आढ़ती जय नारायण ने बताया कि तूड़ा जींद से लाया जा रहा है। बीच में प्रशासन की ओर से राजस्थान सीमा में तूड़ा न बेचने पर प्रतिबंध लगान पर एक बार इसके भाव 1200 रुपए प्रति क्विंटल हो गए थे। अब फिर से दाम 400 रुपए क्विंटल बढ़ गए है। इतना महंगा पशुचार खिलाना आम पशुपालकों के वश में नहीं होने के कारण उनकी चिंता लगातार बढ़ रही है। जयनारायण ने बताया कि नगर परिषद की ओर उनका भी गोशाला के चारे का पेमेंट अटका हुआ है।
गोशालाओं पर बना हुआ संकट
अधिकांश गोशालाओं के पास आय के साधन नहीं हैं। ऐसी गोशालाएं लोगों से मिलने वाले चंदे पर ही डिपेंड करती हैं। चारा नहीं मिलने के कारण इन गोशालाओं के सामने गायों के खिलाने के लिए चारे की किल्लत बनी हुई है। जिन गोशालाओं के पास धन की कमी नहीं है, उनमें महंगा पशुचारा भी खरीदा जा सकता है। आर्थिक संकट से जूझने वाली गोशालाओं के लिए महंगा चारा खरीदना मुश्किल बना हुआ है। गोशाला के संचालक रोहित यादव ने बताया कि वह कई दिनों से संबंधित अधिकारियों के पास गोशाला में चारा उपलब्ध कराने के लिए चक्कर काट रहे हैं, परंतु नगर परिषद के अधिकारी मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे। अगस्त माह में भी गोशाला में चारे की समस्या पैदा हो थी, जिसके लिए डीसी गुहार लगाने पर व्यवस्था हो गई थी, लेकिन अब तीन दिन से फिर से चारा खत्म है।
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