बहादुरगढ़ : पक्षी विहार को बचाने के लिए जीव प्रेमियों ने शुरू की मुहिम

बहादुरगढ़ : पक्षी विहार को बचाने के लिए जीव प्रेमियों ने शुरू की मुहिम
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यह पक्षी विहार कहीं हद तक आम आदमी की नजर से दूर है। ज्यादातर जीव एवं पक्षी प्रेमी ही यहां आ रहे हैं। जिस भूमि पर है, वह गांव के किसानों की है। इसलिए पक्षी प्रेमियों को यह चिंता सताए जा रही है कि भविष्य में यदि किसान अपनी जमीन बेचते हैं तो हजारों पक्षियों से आशियाना छिन जाएगा। इसी को ध्यान में रखते हुए अब युवा जीव प्रेमियों ने इसे बचाने के लिए मुहिम छेड़ दी है।

हरिभूमि न्यूज : बहादुरगढ़

गांव मांडोठी स्थित वेटलैंड के पक्षी विहार को बचाने के लिए जीव प्रेमियों ने मुहिम छेड़ दी है। जीव प्रेमी इस पक्षी विहार की आमजन से सीधी पहुंच बनाने के प्रयास में जुटे हैं। यदि आमजन का जुड़ाव होगा तो कहीं हद तक आवाज मजबूती से उठ पाएगी। फिलहाल लोगों की सुविधा के लिए यहां मचान आदि की व्यवस्था की जाएगी।

दरअसल, गांव मांडोठी में काफी एकड़ आर्द्रभूमि (वेटलैंड) है। यह वेटलैंड किसी पक्षी विहार से कम नहीं है। वर्षों से यहां हर साल 80 से अधिक प्रजाति के हजारों विदेशी पक्षी आते हैं। जिनमें से कई पक्षी बेहद दुर्लभ प्रजाति के हैं। इस बार तो (पहली बार) ग्रेटर व्हाइट फ्रंटेड गूज-3 और ग्रेट क्रेस्टेड ग्रेब प्रजाति के पक्षी यहां देखे जा रहे हैं। फिलहाल यह पक्षी विहार कहीं हद तक आम आदमी की नजर से दूर है। ज्यादातर जीव एवं पक्षी प्रेमी ही यहां आ रहे हैं। जिस भूमि पर है, वह गांव के किसानों की है। इसलिए पक्षी प्रेमियों को यह चिंता सताए जा रही है कि भविष्य में यदि किसान अपनी जमीन बेचते हैं तो हजारों पक्षियों से आशियाना छिन जाएगा। इसी को ध्यान में रखते हुए अब युवा जीव प्रेमियों ने इसे बचाने के लिए मुहिम छेड़ दी है।

जीव प्रेमी सोनू व प्रदीप ने कहा कि ठंडे देशों से पक्षी अक्टूबर में आते हैं और मार्च तक रहते हैं। लगभग आधा साल यहां रहते हैं तो इन्हें विदेशी भी नहीं कह सकते। आमतौर पर लोग पक्षियों की सुंदरता देखने के लिए रुपये खर्च करके चिडि़याघर या पक्षी विहार जाते हैं। यहां वो खूबसूरत नजारा मुफ्त में देखा जा सकता है। मगर लोगों को इसकी जानकारी नहीं है। लोगों तक इसकी पहुंच बनाने के लिए अब प्रयास शुरू कर दिए हैं।

इसी कड़ी में यहां दो मचान बनाए जाएंगे, ताकि लोग उनके जरिये आसानी से पक्षियों की सुंदरता निहार सकें। यदि आम नागरिकों तक इसकी पहुंच बनेगी तो आवाज बुलंद हो सकेगी। अगर सरकार किसानों की जमीन जायज रेट में खरीद ले तो किसानों को भी इससे कोई आपत्ति नहीं होगी। ऐसा करने से जिले में यहां एक अच्छा पर्यटन स्थल बन सकता है। पक्षियों का आशियाना भी बच जाएगा और जिले का भी नाम हो जाएगा।

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