सरकार के नए नियम के चलते दूध डेरियों पर संकट, शहर में बिना मंजूरी के पशुओं को नहीं पाला जा सकता

महेंद्रगढ़। प्रदेश सरकार (Haryana Government) के पिछले दिनों जारी किए गए आदेशों के चलते शहर में दुग्ध संकट छा सकता है। इसके अलावा शहर की सैकड़ों डेरियों पर गाज गिर सकती है। सरकार के नए आदेश अनुसार बिना सरकार की मंजूरी के कुत्ते, बिल्ली और पक्षियों को नहीं पाला जा सकेगा। वहीं शहर में दुधारू और अन्य पशुओं को भी रखने पर रोक रहेगी।
ग्रामीण अंचल से सटे होने के कारण शहर में सैकड़ों की तादाद में डेरियां है। वहीं शहर कई मोहल्लों में लोग पशुपालन से अपने परिवार गुजारा करते है। सरकार के नियम सख्ती से लागू हुए तो पशु पालकों के लिए संकट खड़ा होना तय है।
शहर में पशुओं को रखने से निश्चित तौर पर परेशानियां होती है। शहर के कई मौहल्ले तो ऐसे हैं जहां पर सैकड़ों की तादात में पशुओं को रखा जा रहा है। इन मोहल्लों में गोबर को सड़क पर ही डाला जाता है। इतना ही नहीं सीवर में भी गोबर डाल दिया जाता है। दूध निकालकर पशु पालक अपने पशुओं को सड़कों पर खुला छोड़ देते हैं। इतना ही नहीं शहर की सड़कों पर ही पशुओं को बांधा जा रहा है। पशुओं को शहर से बाहर किया जाएगा तो निश्चित तौर पर परेशानियां कम होगी, लेकिन दूध को लेकर संकट खड़ा हो सकता है। अभी तो अपने नजदीक पशुपालक के पास जाकर लोग आंखों के सामने शुद्ध दूध निकलवाकर ले आते हैं लेकिन अगर डेयरी बाहर हो गई तो दूध देने आने वाले पर ही निर्भरता होगी। ऐसे में थोड़ी परेशानी भी बढ़ सकती है।
प्रति माह आते है करीब 60 कुतों के काटने के केस
प्रदेश में लगातार कुत्ते या बंदर द्वारा लोगों पर हमला करने के केस सामने आते रहते है। कई जगह पिटबुल नस्ल के कुत्ते लोगों पर जानलेवा हमला भी कर चुके है। इसके अलावा कई स्थानों पर लोगों को गंभीर रूप से घायल किया जा चुका है। ऐसी घटनाओं को देखते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया है। शहर के नागरिक अस्पताल में प्रतिमाह करीब 60 लोग कुत्ते के काटने के बाद इंजेक्शन लगवाने के लिए चिकित्सकों के पास आते है। इसके अलावा करीब एक वर्ष पहले एक व्यक्ति पर बंदरों ने हमला कर घायल कर दिया था। जिसको प्राथमिक उपचार के बाद रोहतक पीजीआई में रेफर किया गया था।
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