हरियाणा में कारगर रहा फसल पंजीकरण का फार्मूला, दूसरे राज्यों में भी मंथन

योगेंद्र शर्मा : चंडीगढ़
हरियाणा की मंडियों में आने वाले किसानों के उत्पादों को लेकर पहले से पोर्टल पर पंजीकरण का फार्मूला किसानों (Farmers) औऱ राज्य के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है। मंडियों में आकर हर साल किसानों के नाम पर खेल करने और राजस्व (Revenue) को चूना लगाने वालों पर जहां ब्रेक लग चुका है। वहीं कईं पड़ोसी राज्य हरियाणा के इस फार्मूले को अपने यहां लागू करने पर मंथन में जुट गए हैं।
इस बार मंडियों में चल रही धान खरीद का काम 15 नवंबर तक निपट जाने की पूरी उम्मीद है। अभी तक राज्य की विभिन्न मंडियों में 52 लाख मीट्रिक टन धान पहुंच चुका है, जिसके 55 लाख मीट्रिक टन तक यहा इसके थोड़ा ऊपर पहुंच जाने की उम्मीद है। 11 हजार करोड़ की देनदारी में साढ़े छह हजार करोड़ की राशि का भुगतान किया जा चुका है। फिलहाल कई दिनों से 30 हजार एमटी तक माल पहुंच रहा है।
उधर, गत साल के आंकड़ों पर गौर करें, तो 64 लाख मीट्रिक टन तक माल पहुंचा था। अर्थात नौ से दस लाख मीट्रिक टन का अंतर इसबार पड़ा है। अफसरों का कहना है कि अपने प्रदेश के किसानों का समय पर सूचना भेजने के बाद और बाहर के राज्यों से पुराने समय से आने वाले उन किसानों का माल लिया जाएगा, जिनके पास में राजस्व रिकार्ड व साक्ष्य होंगे। ट्रेडिंग और खेल करने वालों को खेल किसी सूरत में नहीं करने दिया जाएगा। कुछ इसी तरह से बाहरी माल पहुंचने के कारण इस बार पंजाब में अच्छा खासा बवाल हो रहा है। यूपी,बिहार, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से माल पहुंचने की उम्मीद है।
करनाल में खेल करने वाले मार्केट कमेटी सचिव पर गाज
करनाल में मार्केट कमेटी सचिव और कुछ अन्य पर शिकंजा कसा जा रहा है। बिना किसी कारण के सुबह पांच बजे पहुंचकर गेट पास बनाने वाले के विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है। इसके अलावा सचिव द्वारा एक आढ़ती को लागिन दिए जाने की भी जांच की जा रही है।
गेहूं की खरीद पर भी लागू रहा पंजीकरण का सफल फार्मूला
इस बार गेहूं की खरीद पर नजर डालें, तो 74 लाख मीट्रिक टन की खरीद हुई थी। खास बात यह है कि अप्रैल मई के दौरान हुई खरीद का काम भी मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकरण के बाद में हुआ था। गेहूं के अलावा एजेंसियों ने सरसों की खरीद भी की थी। खास बात यह है कि पिछले साल के आंकड़ों पर गौर करें, तो 95 लाख मीट्रिक टन की खरीद हुई थी। दूसरी ओर विपक्षी दलों और नेताओं की ओर से हमला कर हवाई खरीद के आरोप लगाए जा रहे थे। अर्थात पिछली बार भी ट्रेडर्स ने जमकर गेम किया औऱ 20 लाख मीट्रिक टन इस तरह की गेहूं खरीदी गई, जिसका राज्य के किसानों से लेना देना नहीं था। दूसरा, पड़ोसी राज्यों से आने वाले की भी पहचान नहीं हो सकी थी, कि वास्तव में किसान माल लेकर आया या फिर फायदा उठाने वाले ट्रेडर। कुल मिलाकर उस फार्मूले को जीरी के सीजन में भी लागू किया गया।
पंजाब में हुई खरीद को लेकर चौकाने वाले आंकड़े
पड़ोसी राज्य पंजाब में हुई खरीद को लेकर सवाल उठने लगे हैं। लक्ष्य से कहीं ज्यादा खरीद चौकाने वाले आंकड़े बताए जा रहे है। जिसके कारण वहां पर विपक्ष भाजपा, अकालियों द्वारा उंगली उठाई जा रही है। जिसके कारण पंजाब सरकार को राजस्व की भारी हानि हुई है।
मंडी में आने वाले किसान के उत्पाद की पूरी जानकारी रहती
हरियाणा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास का कहना है कि हम राज्य के किसानों के हितों को लेकर बेहत गंभीर हैं। राज्य में पैदा होने वाली गेहूं और धान की फसल के साथ-साथ बाकी फसलों बाजरा, मूंग, सरसों सभी का ब्योरा मेरी फसल मेरा ब्योरा पर पंजीकरण किया गया है। जिससे मंडी में आने वाले किसान के उत्पाद की पूरी जानकारी रहती है, साथ ही सूचना के बाद में आने वाले किसानों को मंडी में भी किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती।
775 किसानों को भेजे जा रहे नोटिस : एसीएस पीके दास
हरियाणा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के एसीएस पीके दास का कहना है कि राज्य में अपने उत्पाद का ब्योरा देने के बाद में उससे कहीं ज्यादा माल मंडी में पहुंचाने वाले इस तरह के किसानों को चिन्हित कर लिया गया है, जिन्होंने ब्योरा तो कुछ अन्य दिया था।लेकिन मंडी में माल अपने उत्पादन से कहीं ज्यादा पहुंचा दिया है। इस तरह से इस बारे में उन्हें स्पष्टीकरण देना होगा।
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