फसल पंजीकरण में गड़बड़झाला : CSC संचालकों के साथ मिल दूसरों की जमीन पर खड़ी फसल का करवा गए रजिस्ट्रेशन

बाढड़ा ( चरखी दादरी )
सरकार द्वारा भावांतर भाव योजना के तहत जो लाभ दिया जाता है उसका प्रलोभन लोगों में इस कदर देखने को मिल रहा है कि दूसरी की जमीन पर खड़ी फसलों को अपने नाम चढ़वा लिया है। भू-मालिकों को इसकी जानकारी तब मिली जब सरकार द्वारा बीते सप्ताह पोर्टल को फसल पंजीकरण के लिए दोबारा से खोला गया। उस दौरान जो किसान किसी कारणवश पहले अपनी फसलों का पंजीकरण नहीं करवा पाए थे उन्होंने फसल पंजीकरण करवाना चाहा तो पोर्टल के माध्यम के से जानकारी मिली की उनकी जमीन पर किन्हीं और लोगों ने पंजीकरण करवा रखा है। इस प्रकार की घटना से पंजीकरण से वंचित लोगों में रोष है और उन्होंने इसमें सीएससी सेंटर संचालकों पर मिलीभगत के आरोप लगाते हुए पुलिस थाने में शिकायत देने और धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाने की बात कही है।
सरकारी खरीद के तहत फसल बेचने, भावांतर भरपाई योजना का लाभ लेने आदि के लिए किसानों को अपनी फसलों का पंजीकरण मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर करना अनिवार्य किया गया है। सरकार द्वारा बाजरा उत्पादक किसानों के लिए भावांतर भरपाई योजना के तहत किसानों को रुपये देने की घोषणा की है। सरकार की घोषणा के बाद से काफी किसानों ने फसल पंजीकरण भी करवाया है इसके अलावा काफी संख्या में किसान किसी कारणवश फसल पंजीकरण करवाने से वंचित भी रह गए थे। बीते सप्ताह इन किसानों को दोबारा से मौका देने के लिए पोर्टल को तीन दिन के लिए दोबारा से खोला गया था। इस दौरान सामने आया कि जिन किसानों ने पहले पंजीकरण नहीं करवाया था उनकी जमीन पर दूसरे लोगों ने पंजीकरण करवाकर योजना का लाभ लेने का प्रयास किया है।
किसानों में रोष
काफी संख्या में ऐसे किसान है जिनकी जमीन पर दूसरे लोगों ने पंजीकरण करवा लिया है ओर पोर्टल बंद होने के कारण वे इस पर कोई आपत्ति भी नहीं लगा सकते। किसान पवन, महेंद्र, संदीप, महेंद्र, अजय आदि ने कहा कि उन्होंने फसल पंजीकरण करवाने का प्रयास किया तो उस जमीन पर पहले पंजीकरण हो चुका था। किसानों का आरोप है कि कुछ लोगों ने सीएससी सेंटर संचालकों से मिलीभगत करके जमीन का पंजीकरण करवाया लिया है जिसके चलते वे अपनी ही जमीन पर पंजीकरण नहीं करवा पाए। किसानों का कहना है कि वे पुलिस को शिकायत देकर ऐसे लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करवाएंगे।
किसान संगठनों ने उठाया था मुद्दा
तीन दिन पहले भारतीय किसान युनियन की अगुवाई मे बाढड़ा एसडीएम के नाम बर्बाद हुई फसलों व किसानों की दूसरी मांगों को लेकर बाढड़ा एसडीएम के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया था उसमें भी इस मुद्दे का जिक्त्र कर फसल पंजीकरण व फसल खराबे के लिए किए जाने आवेदनों में पारदर्शिता की मांग की गई थी।
काश्तकार बनकर करवाया गया है पंजीकरण
कृषि विभाग चरखी दादरी के टीए डा जितेंद्र सिहाग ने बताया कि कृषि विभाग किसानों को बार.बार फसल पंजीकरण के लिए जागरूक करता है लेकिन इसके बावजूद कुछ किसान पंजीकरण नहीं करवाते इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों के नाम जमीन तो है लेकिन उनको योजना का लाभ नहीं मिलता जिसके चलते वे भी पंजीकरण नहीं करवाते। जिस जमीन पर पंजीकरण नहीं करवाया गया होता है उस जमीन पर दूसरे लोग पंजीकरण करवाकर अपना मोबाइल नंबर व बैंक खाता नंबर दर्ज करवा देते हैं जिससे योजना लाभ उन्हें मिलता है। डा सिहाग ने कहा कि पोर्टल खुला होने पर तो इस पर आपत्ति दर्ज की जा सकती है लेकिन अब पोर्टल बंद हो चुका है।
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