महम शुगर मिल में ग्राहकों को मिलेगा 70 रुपये प्रति किलो किलो गुड़

हरिभूमि न्यूज : महम
अब महम शुगर मिल ने गुड़ बनाना शुरू कर दिया है। जो अच्छी क्वालिटी का रावादार है। इसके लिए मिल प्रबंधन की ओर से मिल के बाहर पट्रोल पंप के पास काउंटर खोल दिया है। गुड़ पूरी तरह से रसायना मुक्त है। मिल के फैक्टरी एरिया में जहां पर चीनी तैयार होती है। उसके पास ही गुड़ शक्कर बनाने के लिए मिल में जैग्गरी यूनिट तैयार की गई है। इस यूनिट की क्षमता 2 टन उत्पादन प्रतिदिन की है।
महम चीनी मिल के प्रबंध निदेशक जगदीप सिंह ढांडा ने बताया कि गुड़ व शक्कर बेचने के लिए महम चीनी मिल के बाहर पट्रोल पम्प के साथ रिटेल शॉप बनाई गई है। गुड़ का भाव प्रबंधन ने 70 रुपये प्रति किलोग्राम किया है। लेकिन यह भाव गुड़ के स्वाद सामने कुछ भी नहीं है। क्योंकि यह बिना रसायनों के बनाया जा रहा है। बाजार से गुड़ खरीदकर खाएंगे तो उसमें पता नहीं कितने केमिकल मिलें। ऐसे में अपनी सेहत से खिलवाड़ करने की बजाय थोड़ा सा ज्यादा पैसा खर्च कर लें।
क्यूब फोर्म में मिल रहा है गुड़
गुड़ ग्राहकों को क्यूब फोर्म में मिल रहा है। ताकि लोगों को खाते समय तोड़ने में परेशानी न हो। क्यूब वाले गुड़ के पैकेट का वजन एक किलोग्राम है। लोगों की मांग को देखते हुए मिल में गुड़ व शक्कर बनाने की यह नई शुरुआत की है। भिवानी, हिसार, जींद व रोहतक जिलों के ग्राहकों की मांग को ध्यान में रखते हुए महम चीनी मिल में जैग्गरी यूनिट लगाई गई है। इन जिलों के किसान महम शुगर मिल के शेयर होल्डर भी हैं।
पशुुओं के खाने में प्रयोग होता है ज्यादातर गुड़
सबसे ज्यादा गुड़ पशुओं के खाने में प्रयोग होता है। लोगों में शुगर मिल के गुड़ को लेकर काफी उत्साह बताया जा रहा है। उनका कहना है कि पशुओं के लिए भी जब गुड़ लाना होता था तो वह महंगा तथा खराब गुड़ मिलता था। अब यहां से ताजा व असली गुड़ प्राप्त होगा।
सभी कुछ रहेगा देसी और आर्गेनिक
गांवों में चलने वाले गन्ना क्रेशरों की भांति मिल में भी सब कुछ देसी व रावादार है। इसको वे बुजुर्ग आसानी से पहचान रहे हें जिसने कोल्हू में बना गुड़ खाया है यह गुड़ भी आर्गेनिक है। उसमें किसी तरह केमिकल की मिलावट नहीं है। इस यूनिट में उस तरह गुड़ शक्कर तैयार किया जा रहा है। जिस तरह खेत में लगाए जाने वाले कोल्हूओं में गुड़ शक्कर तैयार होते हैं। यहां पर कोल्हूओं व क्रेशर की तरह ही गन्ने का रस डालने व उसके पकाने के लिए कढाई सैट की गई हैं और उबलते रस में घुमाने के पलटे हैं। गन्ने के रस से तैयार गर्म तरल गुड़ का घोल डालने के लिए चाक बनाए गए हैं। गुड़ शक्कर का पारंपरिक टेस्ट लाने के लिए यहां पर सुकलाई का भी प्रबंध किया गया है। सुकलाई एक खास किस्म का पौधा होता है। उस पौधे को कूटकर और पानी में भिगोकर सुकलाई तैयार की जाती है। मिल में भी ऐसा ही किया गया है। कढ़ाई के नीचे पारंपरिक तरीके से ही आग जलाई जाती है। पहले जहां सूखी खोई (बगास)इसमें प्रयोग की जाती थी। अब यहां आग जलाने के लिए ईंधन के गुटके मंगवाए गए हैं। उन गुटकों को आग में झोंकने के लिए एक झोंका (कर्मचारी) भी है जो इंधन डालता रहता है।
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