Farmers News : धान की फसल पर बीमारी का खतरा, ऐसे नियंत्रण करें किसान

अमरजीत एस गिल/ रोहतक। रोहतक जिले की 50 हजार हेक्टेयर समेत प्रदेश की लगभग 12 लाख हेक्टेयर धान फसल पर पत्ता लपेट सूंडी का खतरा मंडरा रहा है। कई जिलों में बीमारी काफी तेजी से फैल रही है। रोहतक जिले में कहीं-कहीं इसका असर स्पष्ट रूप से दिखाई रहा है। एकाध खेत में बीमारी का ज्यादा प्रकोप भी है। कृषि विशेषज्ञ बीमारी का बिना रसायनों का प्रयोग किए बहुत ही सीधा-सरल उपाय बता रहे हैं। कृषि वैज्ञानिकों दावा कर रहे हैं कि जिस खेत में बीमारी के लक्ष्ण दिखाई दे रहे हैं, उस खेत में किसान एक रस्सी को लेकर एक सिरे से दूसरे तक पूरे खेत में घूमा दें।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग रोहतक के गुण नियंत्रक डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि जिस खेत में सूंडी के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, उसमें रस्सी घूमाकर बीमारी पर प्राकृतिक नियंत्रण किया जा सकता है। इन्होंने कहा कि रस्सी का एक सिर खेत की एक मेढ़ पर दूसरा दूसरी पर होना चाहिए। दो व्यक्ति इसे पकड़कर फसल के ऊपर से घुमा दें। इससे सूंडी जमीन में गिर जाएगी। सूंडी दोबारा से पौधे पर नहीं चढ़ेगी। ऐसा क्वालिटी कंट्रोलर डॉ. कुमार ने बताया। इन्होंने कहा कि रस्सी घुमाने से पहले खेत में पानी भरा होना जरूरी है। अगर पानी नहीं है तो फिर ये उपाय बिल्कुल भी कारगार नहीं होगा। सूंडी पर नियंत्रण पेस्टीसाइड के इस्तेमाल से भी किया जा सकता है। लेकिन इस पर किसान को पैसा खर्च करना पड़ेगा। इसके अलावा रसायनों के छिड़काव पर अलग से मेहनत भी करनी पड़ेगी। गुण नियंत्रक डॉ. राकेश कुमार बताते हैं कि कारटप हाईड्रोक्लोराइड और मोनोक्रोटोफास के स्प्रे से बीमारी पर नियंत्रण किया जा सकता है। इन्होंने कहा कि किसान 200एमएल मोनो को 200 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें। इससे स्टम बोरर पर कंट्रोल हो जाएगा। 7.5 किलोग्राम को बालू रेत में मिलाकर धूली करें।
बरसात न होने से हुआ प्रकोप
बीमारी का प्रकोप बरसात न होने की वजह से हुआ है। प्रदेश में पिछले डेढ महीने से भी ज्यादा समय से धान की जरूरत के मुताबिक बारिश नहीं हुई है। वर्षा नहीं हुई तो लगातार तापमान ज्यादा बना रहा। जिससे बीमारी का प्रकोप शुरू हुआ। गांव भगवतीपुर के किसान प्रवीन कुमार बताते हैं कि उनके खेत में बीमारी फैली हुई है। इन्होंने कहा कि पैदावार कम होने की पूरी आशंका बन गई है। मानसून की शुरुआत में ज्यादा बारिश हुई तो धान खराब हो गई। इसके बाद बरसात नहीं हुई तो फसल वैसे सूख गई। और अब बीमारी ने फसल को आ घेरा।
ये हैं लक्षण
इस कीट से ग्रस्त फसल के पत्ते फोल्ड हो जाते हैं। सूंडी द्वारा पत्ते का रस चूसने से सफेद हो जाते हैं। कई बार पत्तों में छिद्र भी हो जाते हैं। जिससे पौधों का विकास रुक जाता है और पैदावार व गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। बताया जा रहा है कि अधिक मात्रा में यूरिया खाद डालने से फसल का पौधा भरपूर फुटाव करने के साथ ही नर्म हो जाता है। जिससे फसल में हवा का प्रवेश न होने से बीमारियों की चपेट में आने का अंदेशा रहता है। फसल के पत्तों पर तितलियां अपने अंडे छोड़ देती हैं। जिनसे फसल में पत्ता लपेट सहित अन्य कीट उत्पन्न हो जाते हैं। फसल में पत्ता लपेट सूंडी बढ़ने का सबसे बड़ा कारण सूंडी भक्षी किसान मित्र पक्षियों की संख्या में भारी कमी का होना है। फसल को पत्ता लपेट सुंडी रोग सूखा देती है। ये सुंडियां पत्ते को लपेट लेती हैं और अंदर ही अंदर खा लेती हैं. इससे पत्तों के ऊपर सफेद रंग की धारियां पड़ जाती हैं. इससे धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचता है।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS