DAP Crisis : डीएपी खाद की ब्लैकमेलिंग के खिलाफ दहिया खाप ने उठाई आवाज

DAP Crisis : डीएपी खाद की ब्लैकमेलिंग के खिलाफ दहिया खाप ने उठाई आवाज
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ग्रामीणों ने बताया कि किसानों को गेहूं की बिजाई के लिए डीएपी खाद की आवश्यकता है। लेकिन खरखौदा क्षेत्र में किसानों को उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। जिन खाद विक्रेताओं के पास डीएपी खाद उपलब्ध है, वे उसकी ब्लैकमेलिंग कर रहे है और खाद के साथ किसानों को बीज व अन्य अनावश्यक दवाएं भारी भरकम रेट पर थौप रहे हैं।

सोनीपत/ खरखौदा। दहिया खाप प्रधान जयपाल दहिया के नेतृत्व में ग्रामीणों ने डीएपी खाद की ब्लैकमेलिंग व बिजली बिलों में सिक्योरिटी की रसीद न देने की शिकायत सीएम विंडो व हरियाणा सरकार को ज्ञापन के माध्यम से दी। ग्रामीणों ने बताया कि किसानों को गेहूं की बिजाई के लिए डीएपी खाद की आवश्यकता है। लेकिन खरखौदा क्षेत्र में किसानों को उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। जिन खाद विक्रेताओं के पास डीएपी खाद उपलब्ध है, वे उसकी ब्लैकमेलिंग कर रहे है और खाद के साथ किसानों को बीज व अन्य अनावश्यक दवाएं भारी भरकम रेट पर थौप रहे हैं। अगर कोई किसान उन्हें लेने से इंकार करता है, तो उससे 200 रुपए अतिरिक्त वसूले जा रहे हैं। यों जो किसान बीज व दवाएं लेने से मना करता है, उसे खाद नहीं दिया जा रहा है।

दहिया खाप प्रधान जयपाल दहिया के नेतृत्व में विभिन्न तपों के प्रधान व ग्रामीण रमेश चंद्र मंडोरा, पूर्ण, धर्मबीर तुर्कपुर, अतर सिंह, विनोद, देवेंद्र थाना कलां, नरेश मंडोरा, जय सिंह रोहट, बीरबल सेहरी, प्रेम सिलाना, रमेश मटिंडू, सहित दहिया खाप की कार्यकारिणी, पूर्व सरपंच राधे, जयकिशन सहित अनेक ग्रामीण उपस्थित रहे। इसके बाद ग्रामीण खरखौदा बिजली निगम कार्यालय में पहुंचे व बिजली निगम के अधिकारियों के सामने मांगे रखी व सिक्योरिटी की रसीद न देने की जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि बिजली निगम द्वारा लगभग सभी बिजली बिलों में सिक्योरिटी की राशि के नाम पर पैसे वसूले जा रहे हैं।जबकि उसकी कोई रसीद नहीं दी जा रही है। बहुत से उपभोक्ता पहले भी सिक्योरिटी जमा करवा चुके हैं। ऐसे में या तो ये सिक्योरिटी वापस दी जाए या फिर सिक्योरिटी राशि की रसीद दी जाए।

इस बारे में सीए संजीव व जेई इकबाल ने बताया कि सरकार की पॉलिसी के मुताबिक कार्य किया जा रहा है। रसीद बिल के हिसाब से दी जा रही है। खाप प्रतिनिधियों ने चेताया है कि जल्द ही उनकी समस्याओं का समधान नहीं हुआ तो वे आंदोलन करने को विवश होंगे। जिसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी।

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