हरियाणा में शुरू करें इस ड्राई फ्रूट की खेती, प्रति एकड़ मिलेगी 1.40 लाख की सब्सिडी, कुछ साल बाद फायदा ही फायदा

हरियाणा में शुरू करें इस ड्राई फ्रूट की खेती, प्रति एकड़ मिलेगी 1.40 लाख की सब्सिडी, कुछ साल बाद फायदा ही फायदा
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बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार दक्षिणी हरियाणा की रेतीली जमीन में इसकी खेती किसानों को मालामाल कर सकती है। किसान को 3 बार में सब्सिडी मिलेगी।

हरिभूमि न्यूज : रेवाड़ी

बागवानी करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए हरियाणा सरकार ने अब खजूर की खेती को बढ़ावा देने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। खजूर के पौधे लगाने वाले किसानों को प्रदेश सरकार की ओर से प्रति एकड़ 1.40 लाख रुपए सब्सिडी देना शुरू किया है, जो किसान को 3 बार में मिलेगी। बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार दक्षिणी हरियाणा की रेतीली जमीन में खजूर की खेती किसानों को मालामाल कर सकती है। बागवानी विभाग ने प्रयोग के तौर पर रेवाड़ी जिले के दो गांवों में खजूर के पौधे लगवाए हैं।

जिले में बागवानी करने वाले किसानों की संख्या काफी कम है। बागवानी के नाम पर किसान अमरूद, किन्नू व नींबू की फसलों पर जोर देते हैं। इनकी संख्या भी जिले में काफी कम है। बागवानी विभाग क्षेत्र की जमीन में खजूर के उत्पादन को बढ़ाने की संभावनाएं तलाश रहा है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र की जमीन और जलवायु खजूर उत्पादन के लिए बिल्कुल सही है। सबसे बड़ी बात यह है कि अधिक लवणीय क्षेत्रों में जहां खारी पानी के कारण सरसों और गेहूं की फसलें नहीं होती, वहां बागवानी से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं। जिले में अभी तक करीब 3 हजार हेक्टेयर भूमि पर बागवानी की जाती है। इस खेती में रूचि रखने वाले किसान खेतों में फलदार पौधे और नींबू प्रजाति के पौधे लगाते हैं, जो अधिक लवण वाली जमीन में भी तैयार हो जाते हैं।

सरकार की ओर से प्रदेश में खजूर की उत्पादन बढ़ाने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए हैं। यह फसल रेतीली और कालर भूमि पर भी तैयार हो जाती है। बंजर भूमि पर भी इस फसल से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। खजूर के पौधे को तैयार होने के लिए 30 डिग्री और फसल पकने के लिए 45 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत है। इस क्षेत्र में इसी तरह का तापमान बना रहता है। सर्दी के समय पौधों को बचाने की आवश्यकता जरूर पड़ती है। सरकार ने इस क्षेत्र की जमीन और जलवायु को देखते हुए खजूर की फसल के लिए ज्यादा अनुदान देने का निर्णय लिया है। किसान को पौधे लगाते समय पहली किस्त के रूप में 80 हजार रुपए दिए जाते हैं। दूसरी और तीसरी साल में 28-28 हजार रुपए दिए जाते हैं।

एक एकड़ में लगते हैं 62 पौधे

बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार एक एकड़ में खजूर के 62 पौधे लगाए जाते हैं। पौधे से पौधे की दूरी 25 फीट होती है। सरकार की शर्त है किसान नेशनल हॉर्टिकल्चर लैब की नर्सरियों से ही पौधे खरीदेंगे। इन पौधों में 3 नर और 59 पौधे मादा लगाए जाते हैं। एक पौधे की कीमत 4 से 4.5 हजार रुपए तक होती है। खजूर के पौधे लगाए जाने के बाद नष्ट होने की आशंका कम होती है। प्रति पेड़ 70 से 100 किलोग्राम तक खजूर पैदा करता है, जिससे एक एकड़ में 50 क्विंटल तक खजूर पैदा होने की संभावना होती है। बाजार में इसे जैम, चटनी, अचार और बेकरी उत्पादों में यूज किया जाता है, जिससे इसका भाव अधिक होता है।

पांच साल में शुरू होता है उत्पादन

बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार खजूर का उत्पादन 5 साल में शुरू हो जाता है। पौधों के पेड़ बनने तक किसान अपनी जमीन में पौधों के बीच में दूसरी फसल भी उगा सकते हैं। वैसे तो खजूर की मादा किस्मों में बरही, खुनेजी, हिल्लावी आदि शामिल हैं, परंतु इस क्षेत्र के लिए मादा बरही पौधे को सबसे उपयुक्त माना गया है। नर प्रजाति में धनामी और मदरसी उगाए जा सकते हैं। विभाग की ओर से जैनाबाद और धारण गांवों में एक-एक एकड़ भूमि पर खजूर के बाग गत वर्ष प्रयोग के तौर पर लगवाए हैं। इस बार अच्छी सब्सिडी को देखते हुए किसान विभागीय कार्यालय में पूछताछ के लिए आ रहे हैं। इस बार खजूर में दिलचस्पी लेने वाले किसानों की संख्या बढ़ने के पूरे आसार हैं।

उत्सुकता दिखा रहे किसान

इस क्षेत्र की जमीन खजूर की खेती के लिए पूरी तरह उपयुक्त है। अच्छी अनुदान राशि और बाद में अच्छी कमाई के चलते किसानों को खजूर उत्पादन की ओर ध्यान देना चाहिए। इस बार बड़ी संख्या में किसान खजूर की खेती उत्सुकता दिखा रहे हैं। जल्द ही इसके लिए आवेदन आने शुरू हो जाएंगे। - डा. मनदीप यादव, जिला बागवानी अधिकारी।

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