पिता का अपमान नहीं सह पाई बेटी, फंदा लगाकर दी जान

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़
दहेज रूपी सामाजिक बुराई के खात्मे के लिए बेशक कितनी ही मुहिम चलाई जाती हों, लेकिन आज भी बहुत से लोग इसके प्रति जागरूक नहीं हैं। पढ़े-लिखे परिवार भी दहेज का मोह नहीं छोड़ रहे, जिस कारण आए दिन कोई न कोई विवाहिता अपनी जान गंवा देती है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। शादी की मेहंदी ठीक से उतरी भी नहीं थी कि ससुरालियों ने विवाहिता को प्रताडि़त करना शुरू कर दिया और उसके पिता को अपमानित कर दिया। पिता का अपमान बेटी सह नहीं पाई और उसने फंदा लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। मृतका के पास से मिले सुसाइड नोट में ससुरालियों को मौत का जिम्मेदार ठहराया गया है। सेक्टर-6 थाना पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
मृृतका की पहचान प्रियंका के रूप में हुई है। सेक्टर-7 की निवासी प्रियंका की गत 15 मार्च को हालुवास भिवानी के निवासी तिपेंद्र के साथ हुई थी। तिपेंद्र बैंगलोर में एक्साइज इंस्पेक्टर है। शादी के बाद ही वे प्रियंका को बैंगलोर ले गए। शादी में पिता श्रीनिवास ने अपने सामर्थ्य अनुसार दान-दहेज दिया। लेकिन ससुराल के लोगों को ये दान-दहेज कम लगा। इसलिए शादी के बाद ही प्रियंका से और दहेज लाने की डिमांड की जाने लगी। उसे परेशान किया जाने लगा। गत एक अप्रैल को प्रियंका की ननद का श्रीनिवास के पास फोन आया कि हमें तुम्हारी बेटी को नहीं रखना, इसे ले जाओ। इसके बाद उसी दिन फ्लाइट से श्रीनिवास बैंगलोर पहुंचे। बेटी का घर बचाने के लिए उन्होंने ससुरालियाें से हाथ-पांव जोड़े, लेकिन वे नहीं माने। आरोप है कि गार्ड के जरिये श्रीनिवास को घर से बाहर निकाल दिया गया। जिसके चलते श्रीनिवास उसी रात अपनी बेटी को बहादुरगढ़ ले आए।
शनिवार की सुबह करीब पांच बजे श्रीनिवास उठे तो प्रियंका का शव फंदे पर लटक रहा था। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। सूचना मिलते ही सेक्टर-6 थाने से पुलिस मौके पर पहुंची और आवश्यक कार्रवाई शुरू की। दोपहर को पोस्टमार्टम करा शव परिजनों को सौंप दिया गया। मृतका के पास से पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला है। इस नोट में भी यही लिखा है कि उसे दहेज के लिए परेशान किया जाता था। उसके पिता को अपमानित किया गया। यह अपमान वह सहन नहीं कर पाई। अस्पताल में प्रियंका के पिता व अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। श्रीनिवास ने पुलिस से जल्द से जल्द आरोपितों को गिरफ्तार करने की मांग उठाई है।
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