बहादुरगढ़ : चार दिन में मिले दो नवजातों के शव, गुनहगारों का पता नहीं

बहादुरगढ़ : चार दिन में मिले दो नवजातों के शव, गुनहगारों का पता नहीं
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लगातार सामने आ रही इन घटनाओं से मानवता शर्मसार हो रही है। लोग भी बच्चियों की दोषी कलयुगी माताओं को कोस रहे हैं। वहीं पुलिस का कहना है कि मामले में गंभीरता से जांच चल रही है। जल्द से जल्द मामले को सुलझाने का प्रयास है।

हरिभूमि न्यूज : बहादुरगढ़

इलाके में चार दिन के भीतर अलग-अलग दो स्थानों पर दो नवजात बच्चियों के शव पाए जा चुके हैं। निर्धारित 72 घंटे की समयावधि पूरी होेने के बाद एक बच्ची को मिट्टी दी जा चुकी है तो दूसरी बच्ची का शिनाख्त के लिए अस्पताल के शवगृह में रखवाया गया है। दोनों ही मासूमों के गुनहगार खुले घूम रहे हैं। उनका कुछ अता-पता नहीं है। उधर, पुलिस जांच में जुटी है।

दरअसल, गत 28 जनवरी की सुबह बराही फाटक के नजदीक रेलवे लाइन किनारे एक नवजात बच्ची का शव मिला था। तब पुलिस ने अज्ञात महिला के खिलाफ केस दर्ज किया था। शव को 72 घंटे के लिए नागरिक अस्पताल में रखवाकर पहचान के प्रयास शुरू किए गए। तीन दिन तक पहचान नहीं हुई तो पुलिस ने पोस्टमार्टम करा दिया। बच्ची के शव को मिट्टी दी जा चुकी है। इस मामले में रेलवे पुलिस जांच में जुटी है। अस्पतालों का रिकार्ड खंगाला जा चुका है लेकिन आज तक पुलिस के हाथ कोई लीड नहीं लगी है। मामला वहीं पर अटका हुआ है। बच्ची के गुनहगारों का कुछ अता-पता नहीं है। हालांकि पुलिस का कहना है कि अभी एक मकान की सीसीटीवी फुटेज बाकी है। इस मकान की फुटेज मिलने से कहीं हद तक मामले में बड़ी मदद मिलने की उम्मीद है।

रेलवे लाइन पर शव मिलने का मामला सुलझा नहीं था कि गांव दहकोरा के खेतों में सोमवार को एक नवजात बच्ची का शव मिल गया। इस मामले से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। पुलिस गई और शव को अपने कब्जे में लिया। इस संबंध में भी केस दर्ज हुआ है लेकिन आरोपित कौन है, किसी को कुछ पता नहीं। आसौदा थाना पुलिस ने गांव दहकोरा सहित आसपास लगते अन्य गांवों में पूछताछ शुरू कर दी गई है। अस्पताल व आशा वर्करों से गर्भवती महिलाओं तथा हाल-फिलहाल में हुई डिलीवरी की जानकारी जुटाई जा रही है। इस केस में भी पुलिस के हाथ कुछ पुख्ता नहीं लगा है। स्थिति जस की तस बनी हुई है। पुलिस का कहना है कि मामले में गंभीरता से जांच चल रही है। जल्द से जल्द मामले को सुलझाने का प्रयास है।

लगातार सामने आ रही इन घटनाओं से मानवता शर्मसार हो रही है। लोग भी बच्चियों की दोषी कलयुगी माताओं को कोस रहे हैं। शहर की निवासी बबीता ने कहा कि सरकार और सामाजिक संगठन लगातार तरह-तरह की मुहिम चलाकर लोगों को जागरूक करने का प्रयास करते हैं, लेकिन कुछ लोग अपने घिनौने कृत्य से इन प्रयासों पर पानी फेर रहे हैं। पुलिस को इन मामलों में सख्ती दिखाते हुए आरोपितों को कड़ा दंड देना चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं पर रोक लगे।

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