खट्टर सरकार का बड़ा फैसला : दिव्यांगों को प्रमोशन में 4 प्रतिशत हॉरिजॉन्टल आरक्षण मिलेगा

हरियाणा सरकार ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 में कवर होने वाले बेंचमार्क नि:शक्त व्यक्तियों ( पीडब्ल्यूबीडीएस ) को पदोन्नति के मामले में 4 प्रतिशत क्षैतिज ( हॉरिजॉन्टल) आरक्षण का लाभ देने का निर्णय लिया है। इस संबंध में मुख्य सचिव द्वारा सभी प्रशासिनक सचिवों, विभागाध्यक्षों, बोर्डों, निगमों, सावर्जनिक उपक्रमों के मुख्य प्रशासकों, प्रबंध निदेशकों, मंडल आयुक्तों, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय, चंडीगढ़ के रजिस्ट्रार, जिला उपायुक्तों व उपमंडल अधिकारियों नागरिक तथा राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार को पत्र जारी किया गया है। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि जारी पत्र के अनुसार दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016, 19 अप्रैल, 2017 को लागू हुआ था, इसलिए 4 प्रतिशत क्षैतिज (हॉरिजॉन्टल) आरक्षण का लाभ 19 अप्रैल, 2017 से लागू माना जाएगा।
पदोन्नति के मामले में ग्रुप ए, बी, सी और डी के काडर के कुल पदों का 4 प्रतिशत पीडब्ल्यूडी के लिए आरक्षित रखा जाएगा। प्रत्येक नि:शक्तता के लिए चिन्हित पदों के विरूद्ध दृष्टिहीनता या कम दृष्टि और बधिर या हार्ड हियरिंग, लोकॉमोटर विकलांगता, जिसमें सेरिब्रल पॉल्सी ( मस्तिष्क पक्षाघात ) से पीडि़त व्यक्ति, लेप्रोसी क्योर्ड, बौनापन, एसिड अटैक पीड़ित और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी शामिल हैं, के मामले में 1 -1 प्रतिशत आरक्षित रखा जाएगा। इसके अलावा, ऑटिज्म, इंटलेक्चुअल डिसेबिलिटी, स्पेसिफिक लर्निंग डिसेबिलिटी और मेंटल इलनेस तथा बहरापन-अंधा सहित खंड ए से डी के तहत व्यक्तियों में से मल्टिपल डिसेबिलिटी के मामले में संयुक्त रूप से 1 प्रतिशत आरक्षित रखा जाएगा।
पीडब्ल्यूबीडीएस के लिए आरक्षण की क्षैतिजता
नागरिकों के पिछड़े वर्गों ( अनुसूचित जातियों एवं पिछड़े वर्गों ) के लिए आरक्षण को वर्टिकल आरक्षण कहा जाता है और नि:शक्त व्यक्तियों और पूर्व सैनिकों जैसी श्रेणियों के लिए आरक्षण को हॉरिजॉन्टल आरक्षण कहा जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी दिए गए वर्ष में पीडब्ल्यूबीडीएस के लिए दो रिक्तियां आरक्षित हैं और पदोन्नत दो पीडब्ल्यूबीडीएस में से एक अनुसूचित जाति से संबंधित है और दूसरा अनारक्षित श्रेणी से संबंधित है तो बेंचमार्क नि:शक्तता एससी उम्मीदवार को आरक्षण रोस्टर में अनुसूचित जाति के प्वाइंट के विरूद्ध और अनारक्षित उम्मीदवार को संबंधित आरक्षण रोस्टर में अनारक्षित प्वाइंट के विरूद्ध समायोजित किया जाएगा। यदि कोई भी रिक्तियां अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित प्वाइंट पर नहीं आती हैं, तो बेंचमार्क नि:शक्तता के तहत अनुसूचित जाति से संबंधित उम्मीदवार को भविष्य में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित अगली उपलब्ध रिक्ति के विरुद्ध समायोजित किया जाएगा। चूंकि अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के लिए बने रोस्टर में पीडब्ल्यूबीडीएस को उपयुक्त श्रेणी अर्थात एससी, बीसी, अनारक्षित श्रेणी में रखा जाना है, इसलिए पद के लिए आवेदन पत्र (पदोन्नति के लिए विभागीय परीक्षा) में पीडब्ल्यूबीडीएस के लिए आरक्षित कोटा के तहत आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को यह इंगित करना होगा कि वे एससी/बीसी या अनारक्षित श्रेणी से संबंधित हैं या नहीं।
निशक्तता प्रमाण पत्र जारी करने के लिए सक्षम चिकित्सा प्राधिकारी
नि:शक्तता प्रमाण पत्र जारी करने के लिए सक्षम चिकित्सा प्राधिकारी राज्य सरकार द्वारा विधिवत गठित मेडिकल बोर्ड होगा। राज्य सरकार मेडिकल बोर्ड (बोर्डों) का गठन कर सकती है जिसमें कम से कम तीन सदस्य हों, जिनमें से कम से कम एक लोकोमोटर, सेरेब्रल, दृश्य और श्रवण अक्षमता, जैसा भी मामला हो, का आकलन करने के लिए विशेषज्ञ होना चाहिए। मेडिकल बोर्ड, उचित जांच के बाद, ऐसी स्थायी निशक्तता के मामलों में स्थायी निशक्तता प्रमाण पत्र देगा, जहां निशक्तता की डिग्री में बदलाव की कोई संभावना नहीं है। जिन मामलों में निशक्तता की डिग्री में भिन्नता की संभावना है, उन मामलों में मेडिकल बोर्ड प्रमाण पत्र की वैधता की अवधि को भी इंगित करेगा।
आरक्षण से छूट
अधिसूचना के अनुसार यदि कोई विभाग निशक्त व्यक्तियों के लिए आरक्षण के प्रावधान से किसी पद/संवर्ग को आंशिक रूप से या पूरी तरह से छूट देना आवश्यक समझता है, तो वह प्रस्ताव की पूर्ण तर्कसंगतता बताते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को आग्रह कर सकता है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा गठित एक समिति द्वारा छूट प्रदान करने पर विचार किया जाएगा, जिसका गठन राज्य आयुक्त के परामर्श से 3 अगस्त, 2011 की अधिसूचना के तहत किया गया था।
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