हरियाणा के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला की सजा पर कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

हरियाणा के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला की सजा पर कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला
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दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) में सजा पर बहस हुई। सीबीआई और चौटाला के पक्ष के वकील अपनी दलीलें रखीं।

आय से अधिक संपत्ति मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala) की सजा पर दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) में बहस हुई । सीबीआई और चौटाला के पक्ष के वकील अपनी दलीलें रखी। चौटाला की तरफ से उनके वकील ने उनकी उम्र, सेहत और दिव्यांगता का ध्यान रखते हुए कम से कम सजा दिए जाने की मांग की तो सीबीआई के वकील ने इस पर कहा, आम लोगों में उचित संदेश देने के लिए अधिकतम सजा जरूरी है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। सजा का ऐलान शुक्रवार (27 जून) दोपहर 2 बजे होगा।

चौटाला की तरफ वकील ने ये दलीलें दीं

< मैं जन्म से विकलांग हूं। मुझे जेल में अस्थमा हुआ है, मैं इस केस में कस्टडी में भी रह चुका हूं. मेरी उम्र 87 साल है और मैं 90 प्रतिशत विकलांग हूं। मैं बिना किसी की मदद के कहीं पर भी नहीं जा सकता हूं।

< चौटाला के वकील ने कोर्ट में उनके मेडकिल हिस्ट्री की जानकारी दी। मुझे स्वास्थ्य संबंधी कई बीमारियां हैं। मेरा इलाज मेदांता में चल रहा है। मुझे हार्ट की भी बीमारी है, साथ ही मुझे पेसमेकर भी लगा हुआ है। फफड़े में भी इंन्फेक्शन है, जिसका इलाज चल रहा है।

< चौटाला की तरफ से वकील ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अगर आरोपित दिव्यांग है, तो कोर्ट मानवता के आधार पर कम सजा देने पर विचार कर सकता है।

सीबीआई की दलीले

< सीबीआई के वकील ने ओमप्रकाश चौटाला के दलीलों का विरोध किया। वकील ने कहा चौटाला स्वास्थ्य का हवाला देकर सजा कम करने की मांग नहीं कर सकते। सजस कम करने से समाज में अच्छा संदेश नहीं जांएगा। सीबीआई के वकील ने कोर्टसे इस मामले में किसी भी तरह की नरमी नहीं बरतने की दलील दी।

ओम प्रकाश चौटाला के खिलाफ सीबीआई ने मार्च 2010 में 1993 से 2006 के बीच कथित रूप से वैध आय से काफी अधिक संपत्ति जुटाने के लिए चार्ट शीट दाखिल की थी। सीबीआई ने 106 गवाह पेश किए और गवाही पूरी करने में 7 साल लगे। चौटाला का बयान 7 साल बाद 16 जनवरी 2018 को दर्ज हुआ था। चौटाला के बेटे, अभय सिंह और अजय सिंह चौटाला भी आरोपी हैं। चौटाला की भाई प्रताप सिंह की शिकायत पर 17 जनवरी 1997 को सदर थाना डबवाली में आय से अधिक संपत्ति जमा करने के आरोप में भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज किया गया था लेकिन जांच के बाद इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई थी, सुप्रीम कोर्ट तक मामला गया था लेकिन पुलिस की रिपोर्ट को खारिज नहीं किया गया था।

बता दें कि इससे पहले दिल्ली की एक अदालत ने जूनियर शिक्षक भर्ती (जेबीटी) घोटाले में ओम प्रकाश चौटाला को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 418 (छल करके हानि पहुंचाना), 467 (मूल्यवान प्रतिभूति का फर्जीवाड़ा), 471 (फर्जी दस्तावेज का असली की तरह इस्तेमाल) और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13(2) व 13(1)(डी) के तहत पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, उनके बेटे अजय चौटाला और 53 अन्य आरोपियों को इस मामले में दोषी करार दिया था, जिसमे वे सजा पूरी सजा काट चुके हैं।

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