सरकारी सेवा के लिए Family ID जरूरी करने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती

सरकारी सेवा के लिए Family ID जरूरी करने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती
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हांसी ( हिसार ) निवासी जगदीप सिंह व अन्य ने हाई कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया कि परिवार पहचान पत्र का माडल और आवश्यक सेवाओं का लाभ उठाने के लिए इसे अनिवार्य करना अवैध है। यह मौलिक अधिकारों के विपरीत है।

हरियाणा सरकार की महत्वाकांक्षी योजना परिवार पहचान पत्र ( पीपीपी ) के लिए आधार कार्ड अनिवार्य करने व सरकारी सेवा के लिए परिवार पहचान पत्र जरूरी करने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। वीरवार को मामले में बहस के दौरान कोर्ट ने याची की दलील पर सवाल उठाते हुए कहा कि उसे आधार कार्ड देने में क्या आपत्ति है, सरकार उनको कुछ दे रही है, इसमें नुकसान क्या है।

इस पर याची के वकील रविंद्र सिंह ढुल ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देकर आधार की अनिवार्यता को गलत बताया। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए याची को छूट दी कि वो इस बात सरकार को मांग पत्र दे व सरकार उस पर उचित निर्णय ले। हांसी ( हिसार ) निवासी जगदीप सिंह व अन्य ने हाई कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया कि परिवार पहचान पत्र का माडल और आवश्यक सेवाओं का लाभ उठाने के लिए इसे अनिवार्य करना अवैध है। यह मौलिक अधिकारों के विपरीत है। याचिकाकर्ता ने 22 अप्रैल 2020 की उस अधिसूचना को रद करने की भी मांग की, जिसके तहत राज्य में किसी भी सरकारी सेवा के लिए परिवार पहचान पत्र अनिवार्य किया गया है।

इसी अधिसूचना के तहत सरकार ने नागरिक संसाधन सूचना विभाग (सीआरआइडी) का गठन किया है, जिसके तहत राज्य सरकार का उद्देश्य हरियाणा के सभी निवासियों का महत्वपूर्ण डेटा एकत्र कर उन्हें सरकारी योजनाओं का बिना किसी दस्तावेज के लाभ देना है। याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि राज्य ने परिवार पहचान पत्र बनाने के लिए आधार कार्ड की संख्या को अनिवार्य बना दिया है। अगर परिवार के किसी भी सदस्य के पास आधार कार्ड नहीं है तो उसे न तो परिवार पहचान पत्र मेें बाकी पारिवारिक सदस्यों के साथ जोड़ा जा सकता है और न ही अलग से कोई कार्ड जारी हो सकता है।

याचिका में दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट पुट्टास्वामी बनाम केंद्र सरकार के मामले में साफ कह चुका है कि आधार कार्ड किसी सेवा के लिए अनिवार्य नहीं है। हालांकि, याचिकाकर्ता पीपीपी के लिए नामांकन करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें आधार कार्ड से लिंक करना स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि आधार कार्ड में उनके बायोमीट्रिक विवरण होते हैं। पीपीपी को बायोमीट्रिक विवरण संग्रहित करने और उसे लिंक करने की कोई आवश्यकता नहीं है। याची ने हाई कोर्ट से मांग की है कि वह सरकार को बगैर आधार कार्ड के उसका पीपीपी बनाने की इजाजत दे।

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