Haryana: Deepender Hooda ने भाजपा से पूछे ये सवाल

Haryana: Deepender Hooda ने भाजपा से पूछे ये सवाल
X
बीजेपी की तरफ से राजनीतिक रैलियों के ऐलान पर दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने हैरानी जताई है। उन्होंने पूछा- इस वक्त लोगों की जान बचाना जरूरी है या राजनीति चमकाना।

चंडीगढ। महामारी के दौर में बीजेपी(BJP) की तरफ से आयोजित होने वाली रैलियों पर राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा(Rajya Sabha MP Deepender Singh Hooda) ने कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि आज पूरी दुनिया पर कोरोना(Corona) का खतरा मंडरा रहा है। देश में लगातार असामान्य गति से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। हरियाणा में भी बीमारी ने रफ्तार पकड़ ली है। रोज 200 से 300 मामले सामने आ रहे हैं। तमाम सरकारें आज अपने नागरिकों की जान बचाने की जद्दोजहद में लगी हुई हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि सत्ताधारी बीजेपी महामारी के इस दौर में भी अपने प्रचार का भोंपू बजाना चाहती है। सांसद दीपेंद्र ने पूछा है कि बीजेपी के लिए समाज जरूरी है या सियासत? इस वक्त लोगों की जान बचाना जरूरी है या राजनीति को चमकाना?

दरअसल, बीजेपी की तरफ से ऐलान किया गया है कि वो पूरे प्रदेश में 14 से 17 जून तक राजनीतिक रैलियां करेगी। इन रैलियों का मकसद बीजेपी की केंद्र सरकार के 1 साल पूरा होने का जश्न मनाना है। दीपेंद्र हुड्डा का कहना है कि ये संवेदनहीनता की प्रकाष्ठा है कि एक तरफ महामारी में लोग अपनी जानें गवा रहे हैं और दूसरी तरफ सत्ताधारी पार्टी जश्न मना रही है। ऐसा लगता है कि बीजेपी सरकार ने कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में अपने हाथ खड़े कर लिए हैं। अब वो 'अपनी सुरक्षा आप करो, सरकार को माफ करो' की गैरज़िम्मेदाराना नीति पर आगे बढ़ रही है। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि विपक्ष में होने के बावजूद महामारी के दौर में उन्होंने राजनीति को दरकिनार करके काम किया है। अपनी टीम के ज़रिए पूरे प्रदेश और दूसरे प्रदेशों में भी हज़ारों लोगों तक खाना और राशन पहुंचाया है। हज़ारों लोगों में मास्क और सेनेटाइजर बांटे हैं। लेकिन आज ये देखकर आश्चर्य होता है कि सत्ताधारी नेता मास्क और सेनेटाइजर बांटने की बजाए, रोहतक और दूसरे जिलों में पार्टी प्रचार के लिए पर्चे बांट रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष समेत तमाम विपक्षी राजनीतिक कार्यक्रमों से किनारा कर रहे हैं और सत्ताधारी नेता रैलियां कर रहे हैं।

केंद्र की गाइडलाइंस के भी खिलाफ

कोरोना संक्रमण से बचने के लिए केंद्र सरकार ने ऐसे तमाम राजनीतिक, सामाजिक समारोहों, सेमिनार और बैठकों पर रोक लगा रखी है जिनमें भीड़ जुटने की संभावना हो। क्योंकि भीड़ में संक्रमण के फैलने का सबसे ज़्यादा खतरा होता है। शादी समारोह में भी 50 से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध है। यहां तक कि किसी की मौत पर भी 20 से ज्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो सकते। लेकिन महज़ सियासी गुणगान के लिए बीजेपी सैकड़ों लोगों का जमघट लगाकर जश्न मनाना चाहती है। ये मानवता और नैतिकता ही नहीं, केंद्र की गाइडलाइंस के भी खिलाफ है। क्योंकि अनलॉक वन की गाइडलाइनंस में साफ लिखा गया है कि राजनीतिक समारोहों पर प्रतिबंध रहेगा। फेस तीन में उस वक्त की स्थिति का आंकलन करने के बाद ही समारोहों की इजाजत पर फ़ैसला लिया जाएगा। एक तरफ ख़ुद सरकार लोगों को सलाह दे रही है कि जब तक बहुत ज्यादा ज़रूरी ना हो, तब तक घर से बाहर मत निकलें और दूसरी तरफ ख़ुद सत्ताधारी पार्टी सबसे गैरज़रूरी आयोजन राजनीतिक रैली के लिए लोगों को घरों से बाहर निकालना चाहती है।

दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बीजेपी को राजनीतिक रैलियों की प्लानिंग पर ऐसा तत्परता दिखाने की बजाए, लोगों की जान, उनके रोजगार और अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए दिखानी चाहिए।

Tags

Next Story